अगर आप सरकारी नौकरी करते हैं, तो हर महीने आपकी सैलरी में से एक हिस्सा कटता है, जिसमें पीएफ, वीपीएफ और जीपीएफ जैसी योजनाएं शामिल होती हैं। आज यहां बात करेंगे जीपीएफ यानी जनरल प्रोविडेंट फंड की, जो खास तौर पर सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाई गई है। जीपीएफ में हर सरकारी कर्मचारी की सैलरी का एक हिस्सा हर महीने जमा होता रहता है, जिसका फायदा रिटायरमेंट के समय एक बड़ी रकम के रूप में मिलता है।
जीपीएफ की सबसे बड़ी खासियत है इसकी सुरक्षा यह पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में रहता है और शेयर बाजार की उठापटक का कोई असर इस फंड पर नहीं पड़ता। फिलहाल जीपीएफ पर 7.1% का ब्याज मिलता है, जिसे सरकार हर तीन महीने में रिव्यू करती है। हालांकि, पिछले कई सालों में इसमें खास बदलाव नहीं आया है, जिससे कर्मचारियों को स्थिर फायदे मिलते हैं।
अगर कोई कर्मचारी 15 साल तक जीपीएफ में नियमित पैसा जमा करता है, तो रिटायरमेंट पर उसे करीब 31,60,000 रुपए की मोटी रकम मिल सकती है। वहीं 10 सालों का निवेश 17.2 लाख रुपए तक पहुंच जाता है। सबसे अच्छी बात यह है कि जीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री है, और जमा राशि भी टैक्स की छूट दिलाती है। इस तरह यह न सिर्फ रिटायरमेंट के लिए सुरक्षित बचत का जरिया है, बल्कि टैक्स सेविंग का भी बढ़िया ऑप्शन है।
कौन कर सकता है GPF में निवेश?
GPF सिर्फ उन सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है जिनकी नियुक्ति 1 जनवरी 2004 से पहले हुई थी। इसके बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों के लिए NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) लागू है। जीपीएफ में हर महीने बेसिक सैलरी और डीए (महंगाई भत्ता) का एक हिस्सा जमा करना होता है। यह हिस्सा कर्मचारी अपनी सुविधा के अनुसार 6% से लेकर 100% तक चुन सकता है।
जीपीएफ सरकारी कर्मचारियों को भविष्य के लिए आर्थिक सुरक्षा देता है। रिटायरमेंट पर मिलने वाली बड़ी रकम, टैक्स फ्री ब्याज और नियमित बचत की सुविधा इसे और खास बना देती हैं। जिन कर्मचारियों के लिए यह उपलब्ध है, उनके लिए GPF एक भरोसेमंद और लाभकारी स्कीम है, जिसमें रिटायरमेंट के समय फंड की चिंता नहीं रहती।