जीएसटी काउंसिल का फैसला 22 सितंबर से लागू होने जा रहा है। इसके बाद हजारों चीजों की कीमतें घट जाएंगी। खास बात यह है कि 22 सितंबर से ही शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इस वक्त हर साल बड़ी खरीदारी करते हैं। इनमें बाइक्स और कार तक शामिल होती हैं। दुकानदार और कंपनियां बंपर डिस्काउंट ऑफर करती हैं। अब जीएसटी में कमी से खरीदारी का फायदा दोगुना होने जा रहा है। जीएसटी के सिर्फ 5 फीसदी और 18 फीसदी स्लैब लागू होने का मतलब है कि शैंपू से लेकर कार तक सस्ती होने जा रही है। ये चीजें 22 सितंबर से आपको सस्ती मिलेंगी। तो क्या आपको 21 सितंबर तक खरीदारी का प्लान रोक देना चाहिए?
22 सितंबर से नए जीएसटी रेट्स से बिकेंगे समान
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आप पैसे बचाना चाहते हैं तो आपको 21 अगस्त तक खरीदारी का प्लान रोक देना चाहिए। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर हार्दिक गांधी ने कहा, "22 सितंबर से इनवॉयसेज पर GST का नए रेट्स दिखने चाहिए। रिटेलर्स आपको पुराने जीएसटी रेट्स पर समान नहीं बेच सकते हैं, भले ही डिस्ट्रिब्यूटर्स के साथ उनका एडजस्टमेंट बाकी हो।" उन्होंने कहा कि सरकार ने भी साफ कर दिया है कि वह एंटी प्रॉफिटरिंग रूल्स पर ज्यादा जोर नहीं देगी। लेकिन, सरकार उम्मीद करती है कि कंपनियां जीएसटी में कमी का फायदा ग्राहकों को देंगी। इसका मतलब है कि अगर किसी चीज पर जीएसटी 10 फीसदी घटता है तो उसकी कीमत में भी यह कमी दिखेगी।
बिजनेसेज को जीएसटी में बदलाव लागू करने को मिला है समय
इंडिया में केपीएमजी के नेशनल हेड (इनडायरेक्ट टैक्स) अभिषेक जैन ने कहा, "21 सितंबर तक चीजों पर जीएसटी के मौजूदा रेट्स लागू होंगे। 22 सितंबर से चीजों पर नए रेट्स से जीएसटी लगेगा।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से जीएसटी में कमी का ऐलान किया था। इसका मतलब है कि इंडस्ट्री को जीएसटी में बदलाव को लागू करने के लिए पर्याप्त समय मिला है। आम तौर पर जीएसटी काउंसिल के फैसले नोटिफिकेशन इश्यू होने के कुछ दिन के अंदर लागू हो जाते हैं। इस बार तो बिजनेसेज को तीन हफ्ते का समय मिला है। यह आईटी सिस्टम, बिलिंग सॉफ्टवेयर और प्वाइंट्स ऑफ सेल मशीन में बदलाव के लिहाज से काफी है।
स्टॉक में पहले पड़े समान बढ़ा सकते हैं डीलर्स की मुसीबत
सवाल यह है कि डिस्ट्रिब्यूटर्स और डीलर्स के पास जो आइटम्स पहले से पड़े हुए हैं, उनका क्या होगा? मैन्युफैक्चरर्स ने उनके बिल जीएसटी के पुराने रेट्स से काटे होंगे। लेकिन, 22 सितंबर से उन्हें आइटम्स नए रेट्स से बेचने होंगे। जैन ने कहा, " सरकार के नए सर्कुलर्स के मुताबिक, जीएसटी रेट्स में इस बदलाव के लिए इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत रिफंड्स उपलब्ध नहीं होंगे। यह बड़ी समस्या है। कुछ कंपनियां डीलर को होने वाली नुकसान की भरपाई करने को तैयार हो सकती हैं। लेकिन, सभी कंपनियों के लिए ऐसा करना मुमिकन नहीं होगा।"
मैन्युफैक्चरर्स डिस्ट्रिब्यूटर्स और डीलर्स को दे सकते हैं राहत
डिस्ट्रिब्यूटर्स को पहले से पड़े माल पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। मान लीजिए अगर किसी डिस्ट्रिब्यूटर के पास 20,000 रुपये का एसी पड़ा है, जिस पर अभी जीएसटी रेट 28 फीसदी है। डिस्ट्रिब्यूटर अगर इसे 21 सितंबर के बाद बेचता है तो इस पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा। इसका मतलब है कि अगर मैन्युफैक्चरर अगर इस 10 फीसदी का बोझ खुद नहीं उठाता है तो डिस्ट्रिब्यूटर्स को खुद इसका बोझ उठाना होगा। इस वजह से डिस्ट्रिब्यूटर्स और डीलर्स के बीच उलझन की स्थिति है। रोजमर्रा की चीजों के मामले में प्रॉब्लम ज्यादा नहीं है, क्योंकि उनकी खपत रोजाना होती है।