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HDFC Bank ने घटाया MCLR, कम होगी होम लोन EMI, बैंक ने करोड़ों ग्राहकों को दिया तोहफा

HDFC MCLR: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC ने होली से पहले अपने ग्राहकों को तोहफा दिया है। HDFC Bank ने MCLR सभी पीरियड पर 0.10 फीसदी घटा दिया है। MCLR घटने से होम, कार और पर्सनल लोन की EMI कम होती है

अपडेटेड Apr 07, 2025 पर 11:17 AM
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HDFC Bank ने सभी पीरियड पर MCLR घटा दिया है।

HDFC Bank MCLR: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC ने होली से पहले अपने ग्राहकों को तोहफा दिया है। HDFC Bank ने MCLR सभी पीरियड पर 0.10 फीसदी घटा दिया है। MCLR घटने से होम, कार और पर्सनल लोन की EMI कम होती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने साल की शुरुआत में रेपो रेट घटाया और अब अप्रैल में होने वाली RBI बैठक में फिर रेपो रेट घटने की उम्मीद है। RBI की बैठक से पहले ही एचडीएफसी बैंक ने एमसीएलआर घटा दिया है।

HDFC Bank ने घटाया MCLR

MCLR के आधार पर ही होम, कार और पर्सनल लोन का इंटरेस्ट तय होता है। HDFC ने सभी पीरियड पर MCLR को 0.10 फीसदी घटा दिया है। HDFC Bank की नई MCLR रेट आज 7 अप्रैल 2025 से लागू हो गई है।

पीरयड नया MCLR (7 अप्रैल 2025) पुराना MCLR
ओवनाइट 9.10% 9.20%
एक महीना 9.10% 9.20%
तीन महीना 9.20% 9.30%
छह महीना 9.30% 9.40%
1 साल 9.30% 9.40%
2 साल 9.30% 9.40%
3 साल 9.35% 9.45%


एचडीएफसी बैंक की नई MCLR दरें - 7 अप्रैल 2025 से लागू

एचडीएफसी बैंक की ओवरनाइट एमसीएलआर 9.10  फीसदी है। एक महीने का एमसीएलआर कम होकर 9.10 फीसदी हो गया है। तीन महीने का का रेट कम होकर 9.20 फीसदी हो गया है। छह महीना, एक साल और 2 साल का रेट कम होकर 9.30 फीसदी हो गया है। ये पहले 9.40 फीसदी था। तीस साल का एमसीएलआर 9.35 फीसदी है।

 

MCLR बढ़ने या घटने का असर

जब बैंक अपना MCLR (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate) बदलता है तो होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन जैसी सभी फ्लोटिंग रेट वाले लोन की ईएमआई पर असर पड़ता है। अगर MCLR बढ़ता है, तो लोन की ब्याज दरें बढ़ जाती हैं और आपकी ईएमआई महंगी हो जाती है। वहीं, अगर MCLR घटता है, तो ब्याज दरें कम हो जाती हैं, जिससे आपकी EMI कम हो जाती है।इसका फायदा नए लोन लेने वालों को भी मिलता है क्योंकि उन्हें पहले की तुलना में सस्ता लोन मिल सकता है।

कैसे तय होता है MCLR?

बैंक MCLR तय करने के लिए कई फैक्टर पर ध्यान देते हैं, जैसे डिपॉजिट रेट, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कैश रिजर्व रेशो (CRR) की लागत। जब RBI रेपो रेट में बदलाव करता है, तो इसका सीधा असर MCLR पर पड़ता है। अगर रेपो रेट घटता है, तो बैंक भी MCLR कम कर सकते हैं, जिससे लोन सस्ता हो सकता है। वहीं, अगर रेपो रेट बढ़ता है, तो MCLR भी बढ़ जाता है और लोन की ईएमआई महंगी हो जाती है।

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