HDFC MCLR: आज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट घटा दिया है। आरबीआई (RBI) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि रेपो रेट 6.50 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसदी किया जा रहा है। ऐसा एक्सपर्ट काफी समय से उम्मीद कर रहे थे। ऐसा माना जा रहा था कि RBI के इंटरेस्ट घटाने से बैंक अपने MCLR को घटाएंगे। इसके उलट HDFC Bank ने MCRL को बढ़ा दिया है। MCLR के आधार पर ही होम, कार और पर्सनल लोन का इंटरेस्ट तय होता है। HDFC ने ओवरनाइट का एमसीएलआर बढ़ा दिया है।
देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC के ग्राहकों को झटका दिया है। HDFC ने कुछ पीरियड के लोन पर MCLR को 0.05 फीसदी बढ़ा दिया है। ये MCLR रेट ओवरनाइट पीरियड पर बढ़ाया है। इन सभी पीरियड के रेट पर बैंक ने 0.05 फीसदी रेट कम किया है। बाकि, पीरियड पर MCLR पहले जैसा ही है। HDFC Bank की नई MCLR रेट 7 फरवरी 2025 से लागू हो गई है। यहां जानें MCLR घटने या बढ़ने से आप पर क्या होता है असर?
पीरयड | नया MCLR (7 फरवरी 2025) | पुराना MCLR |
ओवनाइट | 9.20% | 9.15% |
एक महीना | 9.20% | 9.20% |
तीन महीना | 9.30% | 9.30% |
छह महीना | 9.40% | 9.40% |
1 साल | 9.40% | 9.40% |
2 साल | 9.45% | 9.45% |
3 साल | 9.45% | 9.45% |
एचडीएफसी बैंक की नई MCLR दरें - 7 जनवरी 2025 से लागू
एचडीएफसी बैंक के ओवरनाइट एमसीएलआर 9.15 फीसदी से 9.20 फीसदी कर दिया है।
एक महीने का एमसीएलआर 9.20 फीसदी है। इसमें बदलाव नहीं किया गया है।
तीन महीने की एमसीएलआर 9.30 प्रतिशत है। इसमें बदलाव नहीं किया गया।
छह महीने की एमसीएलआर 9.40 फीसदी है। इसमें बदलाव नहीं किया गया है।
एक साल का एमसीएलआर 9.40 फीसदी है। इसमें बदलाव नहीं किया गयै।
2 साल और 3 साल से अधिक पीरियड के लिए एमसीएलआर 9.45 फीसदी है। इसमें बदलाव नहीं किया गया।
MCLR बढ़ने या घटने से क्या होता है?
बैंक के MCLR रिवाइज करने से होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन समेत सभी तरह के फ्लोटिंग लोन की ईएमआई पर असर पड़ता है। MCLR बढ़ने पर लोन का इंटरेस्ट बढ़ जाता है और घटने पर घटता है। आपके होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन की EMI का इंटरेस्ट इसके जरिये तय होता है।जैसे अगर आप कार या घर खरीदने का प्लान कर रहे हैं, तो आपको लोन पहले की तुलना मे सस्ता मिलेगा। इसके अलावा जिनका पहले से लोन चल रहा है, उनकी मंथली लोन की EMI थोड़ी कम हो सकती है।
एमसीएलआर तय करते समय कई कारणों को ध्यान में रखा जाता है। इसमें डिपॉजिट रेट, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कैश रिजर्व रेशो को बनाए रखने की कॉस्ट शामिल है। रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बदलाव का असर MCLR रेट पर पड़ता है। एमसीएलआर में बदलाव से आपके लोन की ब्याज दर पर असर पड़ता है, जिससे लोन लेने वालों की ईएमआई बढ़ जाती है।