स्वास्थ्य बीमा या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को समय-समय पर बेहतर कवरेज, कम प्रीमियम या बेहतर सेवा के लिए बदलना आम बात हो गई है। इसे पोर्टिंग कहा जाता है, जिसका मतलब है कि आप अपनी पुरानी पॉलिसी को छोड़कर नई कंपनी में ट्रांसफर कर सकते हैं बिना कोई विशेष लाभ खोए। लेकिन बीमा कंपनी बदलते समय कई बार क्लेम रिजेक्शन जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं, इसलिए सावधानी जरूरी है।
पोर्टिंग प्रक्रिया और वेटिंग पीरियड
हर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कुछ बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड होता है, जिसके दौरान उस बीमारी पर क्लेम स्वीकार नहीं किया जाता। उदाहरण के लिए, अगर आपकी पुरानी पॉलिसी में किसी बीमारी पर तीन साल का वेटिंग पीरियड था और आपने दो साल बाद पोर्ट किया, तो नई बीमा कंपनी बचे हुए एक साल का वेटिंग पीरियड भी लागू कर सकती है। इसलिए जब भी आप नई पॉलिसी में पोर्ट करें, तो यह स्पष्ट कर लें कि कौन-कौन से वेटिंग पीरियड ट्रांसफर हो रहे हैं।
आवश्यक दस्तावेज और सही जानकारी देना
पोर्टिंग के दौरान पुरानी पॉलिसी की पूरी जानकारी, क्लेम हिस्ट्री और मेडिकल रिकॉर्ड्स को संभालकर रखना बेहद जरूरी होता है। नई कंपनी को सही और पूरी जानकारी देना जरूरी होता है ताकि क्लेम से जुड़ी कोई समस्या न आए। इसके अलावा, अधिकतर कंपनियां पोर्टिंग के लिए आपकी आवेदन प्रक्रिया को 45 से 60 दिन पहले शुरू करने की सलाह देती हैं ताकि नीति की समीक्षा और अप्रूवल में कोई देरी न हो।
चल रहे इलाज और सर्जरी के बारे में स्पष्ट करें
अगर किसी बीमारी का इलाज चल रहा है या कोई सर्जरी प्लान की गई है, तो पोर्टिंग से पहले नई कंपनी से स्पष्ट कर लें कि वह उस कवर को स्वीकार करेगी या नहीं। कई बार नए इंश्योरेंस कंपनी इलाज के दौरान आने वाले खर्च को कवर नहीं करतीं, जिससे क्लेम रिजेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
क्लेम के दौरान सही कम्युनिकेशन जरूरी
पोर्टिंग के बाद भी क्लेम फाइल करते समय सभी डॉक्यूमेंटेशन और कम्युनिकेशन क्लियर रखनी चाहिए। इससे क्लेम रिजेक्शन की संभावना कम होती है और समस्या आने पर आसानी से निपटारा किया जा सकता है। बेहतर सेवा और कम प्रीमियम पाने के लिए पोर्टिंग करना अच्छा विकल्प है, लेकिन इसके लिए नियमों को समझना और सही तरीके से पालन करना बेहद आवश्यक है।
स्वास्थ्य बीमा पोर्टिंग से आप बेहतर कवरेज और कम खर्च में पॉलिसी बदल सकते हैं, लेकिन क्लेम रिजेक्शन से बचने के लिए जरूरी है कि आप पूरी जानकारी रखकर समय से पहले प्रक्रिया शुरू करें और सभी नियमों का पालन करें। सही जानकारी और जागरूकता से पोर्टिंग को एक स्मार्ट और लाभकारी फैसला बनाया जा सकता है।