Credit Card EMI: कैसे बढ़ती है क्रेडिट कार्ड EMI लेने पर आपकी कुल रकम? जानिए पूरी डिटेल
Credit Card EMI: क्रेडिट कार्ड EMI खरीदारी को आसान बनाती है, लेकिन इसके साथ छिपे ब्याज, प्रोसेसिंग फीस और अन्य चार्ज कुल खर्च को काफी बढ़ा देते हैं। नो कॉस्ट EMI भी सच में पूरी तरह ब्याज मुक्त नहीं होती, क्योंकि ब्याज कहीं न कहीं प्रोसेसिंग फीस या छूट कम करने के जरिए ग्राहकों से वसूला जाता है।
क्रेडिट कार्ड EMI (इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट) ने बड़ी चीजें खरीदना आसान बना दिया है। लेकिन अकसर ग्राहक इसके पीछे छिपे खर्चों को समझ नहीं पाते, जिससे कुल भुगतान बढ़ जाता है। इस खबर में क्रेडिट कार्ड EMI के असली खर्च और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई हैं, ताकि आप समझदारी से निर्णय ले सकें।
EMI का असली सच
जब आप किसी प्रोडक्ट को EMI में खरीदते हैं, तब बैंक आपसे सिर्फ किस्तें नहीं बल्कि कई अन्य शुल्क भी वसूलता है। इनमें प्रोसेसिंग फीस सबसे पहली होती है, जो ₹199 से ₹1,000 तक हो सकती है। इसके अलावा GST भी जुड़ जाता है, जिससे कुल खर्च में और वृद्धि होती है। अगर आप EMI को बीच में बंद करना चाहते हैं, तो फोरक्लोजर या प्री-क्लोजर फीस भी देनी पड़ती है, जो कई ग्राहक भूल जाते हैं।
नो कॉस्ट EMI का भ्रम
बाजार में नो कॉस्ट EMI का खूब प्रचार होता है, जहां दावा किया जाता है कि ब्याज नहीं लगेगा। लेकिन वास्तविकता ये है कि ब्याज कहीं न कहीं छिपा रहता है। दुकानदार जो छूट देते हैं, वह EMI योजनाओं में नहीं मिलता। साथ ही बैंक ब्याज को प्रोसेसिंग फीस या अन्य चार्ज के रूप में वसूलता है। इसलिए नो कॉस्ट EMI का मतलब यह नहीं कि आप ब्याज मुक्त खरीदारी कर रहे हैं।
EMI से कुल खर्च कैसे बढ़ता है?
उदाहरण के तौर पर, ₹60,000 के मोबाइल की 12 महीने की EMI लगभग ₹5,400/month हो सकती है। 12 महीने के अंत में कुल भुगतान ₹64,800 के करीब होगा। इसमें प्रोसेसिंग फीस और GST जोड़ने पर कुल खर्च ₹65,500 से ₹66,000 तक हो जाता है। यानी आप सीधे तौर पर करीब ₹6,000 अतिरिक्त भुगतान कर चुके होते हैं।
कैशबैक EMI vs रेगुलर EMI
कुछ बैंकों की ओर से कैशबैक EMI भी मिलती है, जिसमें ब्याज का एक हिस्सा बाद में वापस किया जाता है। यह तभी फायदेमंद होती है जब ग्राहक कार्ड एक्टिव रखे, बिल समय पर भरे और डिफॉल्ट न करे। किसी भी छोटी देरी पर कैशबैक रद्द हो सकता है।
कब लेना चाहिए EMI?
- अचानक बड़ा खर्च हो, मगर एक बार में भुगतान करना मुश्किल हो
- 0 या कम ब्याज वाली योजना हो
- आवक स्थिर हो और समय पर किस्त चुकाने का भरोसा हो
- बजट में नियंत्रण चाहिए
कब नहीं लेना चाहिए?
- पहले से कई EMI चल रही हों
- बिल समय पर न भर पाने की स्थिति हो
- बिना जरूरत की खरीदारी हो
- ब्याज दर बहुत अधिक (14-24%) हो, जो पर्सनल लोन से ज्यादा हो
क्रेडिट स्कोर पर प्रभाव
EMI लेने से आपकी क्रेडिट लिमिट ब्लॉक हो जाती है। लिमिट कम होने पर क्रेडिट यूटिलाइजेशन बढ़ जाता है, जिससे क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।
कैसे चुनें सही EMI
- सभी बैंकों के ऑफर्स तुलना करें
- प्रोसेसिंग फीस जरूर पूछें
- नो कॉस्ट EMI में छिपे चार्ज देखें
- जल्दी लोन बंद करने पर प्री-क्लोजर फीस जांचें
- छोटे अवधि की EMI (3 या 6 महीने) चुनें, इससे ब्याज कम लगता है
EMI सरल सुविधा जरूर है, लेकिन निर्णय लेने से पहले पूरी जानकारी लें। सही चुनाव आपकी खरीदारी को फायदेमंद और बजट को संतुलित बनाएगा।