Hybrid Funds: क्या हाई वैल्यूएशन के बीच हाइब्रिड फंड में निवेश करने में कम रिस्क है?

हाइब्रिड फंड की खासियत यह है कि यह बाजार की स्थिति के मुताबिक एसेट एलोकेशन का फैसला करता है। जो निवेशक बाजार की स्थिति के मुताबिक अपने पोर्टफोलियो को रिबैलेंस नहीं करते हैं उनके लिए हाइब्रिड फंड निवेश का अच्छा विकल्प है

अपडेटेड Sep 11, 2024 पर 5:41 PM
Story continues below Advertisement
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड भी हाइब्रिड फंड की कैटेगरी में आते हैं। ये इक्विटी में निवेश के लिए प्राइस टू अर्निंग्स (पी/ई) और प्राइस टू बुक वैल्यू (पी/बी) जैसे मानकों का इस्तेमाल करते हैं।

निवेशकों को हाई वैल्यूएशन की चिंता नहीं है। अच्छी लिक्विडिटी की बदौलत मार्केट चढ़ रहा है। बीते 53 महीनों में सेंसेक्स 200 फीसदी चढ़ा है। इससे पहले मई 2003 से जनवरी 2008 के बीच सेंसेक्स 600 अंक से ज्यादा चढ़ा था। इसके बाद अगस्त 2013 और जनवरी 2020 के बीच सेंसेक्स 140 फीसदी चढ़ा था। इस बार लगातार मार्केट में तेजी के बाद संदेह के बादल मंडरा रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या यह तेजी जारी रहेगी या मार्केट में करेक्शन आएगा? निवेशकों के मन में यह सवाल इसलिए चल रहा है, क्योंकि वे ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते। ज्यादा रिस्क नहीं लेने वाले निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड की हाइब्रिड स्कीम अच्छा विकल्प हो सकती है।

क्या है हाइब्रिड फंड?

हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund) शेयरों के अलावा डेट और कुछ दूसरे एसेट क्लास में निवेश करते हैं। ये फंड उन निवेशकों के लिए ज्यादा फायदेमंद हैं, जिन्होंने अब तक मार्केट में बड़ी गिरावट नहीं देखी है। जो निवेशक शेयरों में कम निवेश के साथ स्टेबल रिटर्न हासिल करना चाहते हैं वे इक्विटी सेविंग्स स्कीम में निवेश कर सकते हैं। इक्विटी हाइब्रिड फंड का इक्विटी में ज्यादा निवेश होता है। इसका हमेशा इक्विटी में 65 फीसदी से ज्यादा निवेश बना रहता है।


क्या है मल्टी एसेट फंड?

बैलेंस्ड एडवांटेज फंड भी हाइब्रिड फंड की कैटेगरी में आते हैं। ये इक्विटी में निवेश के लिए प्राइस टू अर्निंग्स (पी/ई) और प्राइस टू बुक वैल्यू (पी/बी) जैसे मानकों का इस्तेमाल करते हैं। पिछले कुछ सालों में इस फंड की लोकप्रियता बढ़ी है। इससे इसका एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) भी बढ़ा है। मल्टी एसेट फंड भी ऐसा फंड है, जो कई तरह के एसेट में इनवेस्ट करता है। इनमें इक्विटी, गोल्ड, डेट और दूसरे तरह के एसेट शामिल हैं। यह फंड डायवर्सिफिकेशन के लिहाज से काफी अच्छा है।

अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड (AIF) अंब्रेला के तहत अलग तरह से डायनेमिक एसेट एलोकेशन होता है। इस कैटेगरी के फंड में बेसिक एलोकेशन एक बैलेंस्ड एडवान्टेज फंड की तरह होता है, लेकिन यह कुछ हिस्सा (जैसे 20 फीसदी) डेरिवेटिव्स में निवेश करता है। इससे फंड मैनेजर को मार्केट की दिशा के अपने आकलन के आधार पर ज्यादा एग्रेसिव पॉजिशन लेने का मौका मिलता है।

यह भी पढ़ें: RBI: क्या बदलने हैं फटे हुए नोट? बैंक एक बार में कितने फटे हुए नोटों के बदलेगा? यहां जानें आरबीआई के नियम

हाइब्रिड फंडों में किसे निवेश करना चाहिए?

ऐसे निवेशक जिनके पास अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो की रिबैलेंसिंग का समय नहीं है, वे हाइब्रिड फंड में निवेश कर सकते हैं। निवेशक एक फंड में निवेश करते हैं और उस फंड का फंड मैनेजर स्थिति के हिसाब से पोर्टफोलियो का एलोकेशन करता है। यह कैटेगरी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। कई निवेशक अपना कुछ पैसा ऐसे फंड में लगा रहे हैं। इस फंड ने हमेशा अच्छा रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न दिया है। यह खासकर उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो पहली बार निवेश कर रहे हैं। ऐसे वक्त जब वैल्यूएशन हाई है और बाजार में उतारचढ़ाव दिख रहा है, इस कैटेगरी के फंड निवेशकों के लिए निवेश के अच्छे विकल्प हैं।

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Sep 11, 2024 5:38 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।