इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 8 लाख बैंक डिपॉजिट पर भेजा था नोटिस, ITAT से 6 साल पुराने मामले में टैक्सपेयर को राहत

दिल्ली के रहने वाले कुमार ने अपने बैंक अकाउंट में 8.68 लाख रुपये डिपॉजिट किए थे। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस पर उन्हें नोटिस इश्यू किया। डिपार्टमेंट ने इस अमाउंट को उनके बिजनेस हुई इनकम माना। कुमार इसके खिलाफ ट्राइब्यूनल पहुंच गए

अपडेटेड Nov 01, 2025 पर 8:46 PM
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ट्राइब्यूनल ने इस मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से की गई जांच को वैध नहीं माना।

इनकम टैक्स एप्लेट ट्राइब्यूनल (आईटीएटी) ने छह साल पुराने एक मामले में अहम फैसला दिया है। ट्राइब्यूनल ने यह पाया का एसेसिंग अफसर और एप्लेट कमिश्नर ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया। यह मामला एक टैक्सपेयर से जुड़ा था, जिसने करीब 8.68 लाख रुपये का कैश डिपॉजिट किया था। आइए इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पैसे को बिजनेस इनकम माना

दिल्ली के रहने वाले कुमार ने अपने बैंक अकाउंट में 8.68 लाख रुपये डिपॉजिट किए थे। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस पर उन्हें नोटिस इश्यू किया। डिपार्टमेंट ने इस अमाउंट को उनके बिजनेस हुई इनकम माना। कुमार के खिलाफ डिपार्टमेंट ने इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44एडी के तहत मामला शुरू किया। यह सेक्शन छोटे बिजनेसेज के प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन से जुड़ा है।


ट्राइब्यूनल ने छह साल पुराने मामले में टैक्सपेयर के पक्ष में दिया फैसला

कुमार की दलील थी कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का एसेसमेंट सिर्फ धारणा पर आधारित है। डिपॉजिट किए गए अमाउंट को उनकी बिजनेस इनकम मानने के लिए डिपार्टमेंट के पास कोई सबूत नहीं है। लेकिन, इनकम टैक्स कमिश्नर ने उनकी दलील नहीं मानी। इसके बाद कुमार ने आईटीएटी का दरवाला खटखटाया। ट्राइब्यूनल ने मामले की सुनवाई के बाद 22 सितंबर, 2025 को फैसला कुमार के पक्ष में दिया।

एसेसिंग अफसर ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया

ट्राइब्यूनल ने यह माना कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 143(2) के तहत की गई ऑरिजिनल इनक्वायरी सिर्फ बैंक अकाउंट में कैश डिपॉजिट तक सीमित थी। एसेसिंग अफसर ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर पूरे अमाउंट को अघोषित बिजनेस प्रॉफिट माना, जिसके लिए कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (सीआईटी) से इजाजत नहीं ली गई।

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ट्राइब्यूनल ने डिपार्टमेंट की तरफ से की गई जांच को वैध नहीं माना

आईटीएटी ने कलकत्ता हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए एक फैसले को नजीर मानते हुए अपने फैसले में कहा कि इनक्वायरी का विस्तार कानून के हिसाब से सही नहीं था। ट्राइब्यूनल ने कहा कि एसेसिंग अफसर और एप्लेट अथॉरिटी दोनों ने ही बैंक डिपॉजिट को टैक्सेबल इनकम माना, जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था। ट्राइब्यूनल ने इस मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से की गई जांच को वैध नहीं माना।

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