एक संसदीय समिति ने इनकम टैक्स बिल, 2025 के बारे में कई सुझाव दिए हैं। अगर सरकार इन सुझावों के आधार पर इस बिल में संशोधन करती है तो इससे छोटे टैक्सपेयर्स को काफी राहत मिलेगी। समिति ने कहा है कि उस क्लॉज में संशोधन होना चाहिए, जिसके तहत सिर्फ रिफंड क्लेम करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है। इस क्लॉज में कहा गया है कि अगर टैक्सपेयर की इनकम टैक्स एग्जेम्प्शन लिमिट से कम है तो भी टैक्स रिफंड क्लेम करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा।
नए इनकम टैक्स, 2025 बिल में रिफंड के लिए नियम
इस बिल के ड्राफ्ट में यह प्रावधान है कि अगर किसी टैक्सपेयर का TDS कटा है तो उसे रिफंड क्लेम करने के लिए ITR फाइल करना होगा, भले ही उसकी सैलरी एग्जेम्प्श लिमिट से कम होगी। अगर तय समय के अंदर वह आईटीआर फाइल नहीं करता है तो Income Tax डिपार्टमेंट उस पर पेनाल्टी लगा सकता है। कुछ स्थितियों में उसके खिलाफ केस करने का अधिकार भी इकम टैक्स डिपार्टमेंट को है। संसदीय समिति का मानना है कि यह प्रावधान ठीक नहीं है। इससे छोटे टैक्सपेयर्स मुश्किल में पड़ जाएंगे। खासकर, ऐसे टैक्सपेयर्स जिनकी इनकम टैक्स एग्जेम्प्शन लिमिट से कम है, पेंशनर्स और अस्थायी वर्कर्स को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।
नियम में संशोधन से छोटे टैक्सपेयर्स को मिलेगी राहत
संसदीय समिति ने कहा कि इस नियम के दुरूपयोग का भी खतरा है। इसलिए उसने इस बिल के क्लॉज 263 के सब-क्लॉज (1)(IX) को हटाने की सलाह सरकार को दी है। अगर सरकार यह क्लॉज हटा देती है तो इससे छोटे टैक्सपेयर्स भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए बगैर रिफंड क्लेम कर सकेंगे। उन्हें पेनाल्टी लगने और उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू होने का भी डर नहीं रहेगा। समिति ने कहा है कि इससे टैक्स सिस्टम में चीजें आसान होंगी। नए इनकम टैक्स बिल का मकसद टैक्स सिस्टम को आसान बनाना और टैक्सपेयर्स को ज्यादा सुविधा देना है।
संसदीय समिति ने 21 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है
लोकसभा सांसद बैजयंत पांडा की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने नए इनकम टैक्स बिल, 2025 की स्टडी की है। इस सिमित में 31 सदस्य शामिल थे। समिति ने 21 जुलाई, 2025 को अपनी रिपोर्ट लोकसभा को सौंप दी है। सरकार ने 13 फरवरी, 2025 को इस बिल को लोकसभा में पेश किया था। उसके बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतामरण की तरफ से पेश एक प्रस्ताव के तहत इस बिल को विचार के लिए संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था। बताया जाता है कि समिति की रिपोर्ट में ऐसी कई सिफारिशें हैं जो टैक्सपेयर्स के हित में हैं।