कई टैक्सपेयर्स ने इस बार यह सोचकर डेडलाइन से काफी पहले इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया था कि उनका रिफंड जल्द आ जाएगा। लेकिन, उन्हें निराशा हुई है। इस बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर थी। बाद में इसे एक दिन के ।लिए बढ़ाया गया था। लेकिन, जून- जुलाई में रिटर्न फाइल करने वाले कई टैक्सपेयर्स का रिफंड अब तक नहीं आया है। खास बात यह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उनके रिटर्न को प्रोसेस तक नहीं किया है।
जून में रिटर्न फाइल करने वालों का भी नहीं आया रिफंड
16 सितंबर से काफी पहले रिटर्न फाइल करने वाले एक टैक्सपेयर ने बताया, "मैंने जून में रिटर्न फाइल किया था। लेकिन, रिफंड का पैसा अब तक मेरे बैंक अकाउंट में नहीं आया है।" ऐसे कई टैक्सपेयर्स हैं, जिनका रिफंड अब तक नहीं आया, जबकि उन्होंने डेडलाइन से काफी पहले रिटर्न फाइल कर दिया था। ऐसे टेक्सपेयर्स को रिफंड बैंक अकाउंट में नहीं आने की वजह समझ में नहीं आ रही।
रिटर्न के वेरिफिकेशन और स्क्रूटनी पर इस बार ज्यादा फोकस
डेलॉयट इंडिया में डायरेक्टर तरूण गर्ग ने बताया कि इस बार रिफंड में देर की बड़ी वजह यह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वेरिफिकेशन और स्क्रूटनी प्रोसिजर पर फोकस बढ़ाया है। ज्यादा अमाउंट के रिफंड्स, ज्यादा डिडक्शन क्लेम या एग्जेम्प्शंस वाले रिटर्न की ज्यादा जांच हो रही है। टीडीएस से डेटा मैंच नहीं करने, बैंक अकाउंट के बारे में सही जानकारी नहीं होने और ई-वेरिफिकेशन में देर से भी पूरा प्रोसेस सुस्त हो जाता है।
आम तौर पर रिटर्न की प्रोसेसिंग 2-5 हफ्तों में हो जाती है
गर्ग ने कहा, "आम तौर पर सामान्य सैलरीड रिटर्न की प्रोसेसिंग ई-वेरिफाय करने के दो से पांच हफ्तों के बीच हो जाती है। ऐसे रिटर्न जिनमें कैपिटल गेंस, फॉरेन एसेट्स या ज्यादा डिडक्शंस होता है, उनके प्रोसेसिंग में समय लगता है।" ओल्ड टैक्स रीजीम में रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स जिनका डिडक्शंस ज्यादा है उनका अतिरिक्त वेरिफिकेशन होता है। सेल्फ-एंप्लॉयड प्रोफेशनल्स, एनआरआई और फॉरेन एसेट्स डिक्लेयर करने वाले टैक्सपेयर्स का भी अतिरिक्त वेरिफिकेशन होता है।
एक से ज्यादा इनकम के स्रोत वाले रिटर्न की प्रोसेसिंग में देर
एकेएम ग्लोबल के पार्टनर (टैक्स) संदीप सहगल ने कहा, "ज्यादा अमाउंट के रिफंड्स, एक से ज्यादा इनकम के स्रोत वाले रिटर्न, फॉरेन इनकम और फॉर्म 26एएस/एआईएस में मिसमैच वाले रिटर्न का अतिरिक्त वेरिफिकेशन हो रहा है।" उन्होंने कहा कि बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेट नहीं होने की स्थिति में रिफंड में देर होती है। हालांकि, ज्यादातर टैक्सपेयर्स इन छोटी गलतियों का ध्यान रखते हैं।
अब तक 5 करोड़ रिटर्न प्रोसेस हो चुके हैं
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास इंडिविजु्अल रजिस्टर्ड यूजर्स की संख्या 13.49 करोड़ है। एसेसमेंट ईयर 2025-26 में 7.58 करोड़ रिटर्न फाइल किए गए हैं। 6.87 करोड़ रिटर्न वेरिफाय हो चुके हैं। 22 सितंबर तक 5.01 करोड़ रिटर्न प्रोसेस हो चुके हैं। इसका मतलब है कि अभी एक करोड़ से ज्यादा रिटर्न की प्रोसेसिंग बाकी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को रिफंड के लिए अभी इंतजार करना पड़ सकता है।