ऑफिस के काम से विदेश जाने पर मिलने वाले लिविंग अलाउन्स पर टैक्स लगेगा? जानिए इनकम टैक्स का नियम क्या कहता है

अगर कोई व्यक्ति ऑफिस के काम से विदेश जाता है तो कंपनी उसे लिविंग अलाउन्स देती है। यह इसलिए दिया जाता है कि विदेश में उसके रहने पर आने वाले अतिरिक्त खर्च की भरपाई हो जाए। सवाल है कि क्या इस अलाउन्स पर इंडिया में टैक्स लगेगा? इस बारे में इनकम टैक्स अपेलेट ट्राइब्यूनल की दिल्ली ब्रांच ने हाल में एक अहम फैसला दिया है

अपडेटेड Feb 16, 2024 पर 12:11 PM
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेश में होने वाली इनकम पर टैक्स के मामले में व्यक्ति का रेजिडेंसी स्टेट्स बहुत अहम है।

कई बार कंपनियां कामकाज के सिलसिले में एंप्लॉयी को विदेश भेजती हैं। वे एंप्लॉयीज को इंडिया में सैलरी के अलावा कुछ लिविंग अलाउन्स देती हैं। सवाल है कि क्या इस लिविंग अलाउन्स को इंडिया में अपनी सैलरी का हिस्सा माना जाएगा और उस पर टैक्स लगेगा? इनकम टैक्स अपेलेट ट्राइब्यूनल (Income Tax Appellate Tribunal) की दिल्ली ब्रांच ने हाल में एक ऑर्डर दिया है, जो बहुत अहम है। इसमें कहा गया है कि एक एनआरआई (NRI) जो ऑस्ट्रिया में काम कर रहा है और जिसे सैलरी/लिविंग अलाउन्स इंडिया में अपने एंप्लॉयर से मिलता है, उसे इंडिया में इस इनकम पर टैक्स नहीं चुकाना होगा। अब सवाल है कि अगर कोई इंडियन रेजिडेंट ऑफिस के काम से विदेश जाता है और उसे लिविंग अलाउन्स मिलता है तो क्या उसके लिए भी यही नियम लागू होगा?

टैक्स के मामले में रेजिडेंसी बहुत अहम है

टैक्स कंसल्टेंसी फर्म टैक्सबीरबल के डायरेक्टर चेतन चंडाक का कहना है कि जब बात इनकम टैक्स की हो तो रेजिडेंसी का सवाल सबसे पहले आता है। उसके बाद यह मायने रखता है कि इनकम इंडिया में होती है या विदेश में। उसके बाद टैक्स का मामला तय होता है। अगर आप रेजिडेंट इंडियन (ROR) हैं तो विदेश में होने वाली इनकम पर आपको इंडिया में टैक्स चुकाना होगा। अगर आपने विदेश में होने वाली इनकम पर किसी देश में टैक्स चुकाया है तो आप इंडिया में इस पर टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं।


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RNOR या NRI के लिए अलग नियम

चंडाक के मुताबिक, अगर आप RNOR (रेजिडेंट बट नॉन ऑर्डिनरिली रेजिडेंट) या NRI हैं तो विदेश में हुई इनकम इंडिया में टैक्स के दायरे में नहीं आएगी। इसलिए इंडिया में इस पर टैक्स नहीं लगेगा भले ही इसका पेमेंट इंडियन बैंक अकाउंट या विदेशी बैंक अकाउंट में होता है। उन्होंने कहा कि सैलरी (अलाउन्स सहित) उस जगह पर दी गई मानी जाती है जहां काम किया जाता है या सेवाएं दी जाती हैं। इसलिए अगर सैलरी किसी एनआरआई को विदेश में मिलती है तो उस पर उस देश में टैक्स लगेगा।

अलाउन्स का स्ट्रक्चर भी बहुत अहम है

नांगिया एंडरसन इंडिया में पार्टनर नीरज अग्रवाल ने कहा कि NRI या RNOR की सैलरी के मामले में इंडिया में टैक्स तभी लगेगा जब उनकी यह इनकम इंडिया में उनकी सेवाएं या काम के लिए होगी। जहां तक अलाउन्स का सवाल है तो किसी एंप्लॉयी को इंडिया में कंपनी की तरफ से फिक्स्ड इनकम के रूप में मिला अलाउन्स उसकी सैलरी का हिस्सा माना जाएगा और उस पर टैक्स लगेगा। अग्रवाल ने कहा कि लेकिन अगर कंपनी ने अलाउन्स का स्ट्रक्चर बुद्धिमानी से बनाई है जिसमें फिक्स्ड इनकम की जगह ऑफिशियल काम पर आने वाले खर्च के आधार पर एक निश्चित अमाउंट का रिइम्बर्समेंट किया जाता है तो यह अमाउंट टैक्सेबल इनकम में शामिल नहीं होगा।

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