ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर थी, जिनके लिए अपने अकाउंट्स का ऑडिट कराना अनिवार्य नहीं था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बाद में 15 सितंबर की डेडलाइन एक दिन बढ़ा दी थी। ऐसे टैक्सपेयर्स जिनके लिए अपने अकाउंट का ऑडिट कराना जरूरी है, उनके लिए ऑडिटेड रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर है। सवाल है कि कौन-कौन से टैक्सपेयर्स इसके दायरे में आते हैं? इस तारीख तक ऑडिट रिपोर्ट फाइल नहीं करने पर क्या होगा?
क्या है टैक्स ऑडिट रिपोर्ट?
Income Tax Act, 1961 के सेक्शन 44एबी में टैक्स ऑडिट रिपोर्ट का प्रावधान शामिल है। इस सेक्शन में कुछ शर्तें तय हैं। ऐसे टैक्सपेयर्स जिन पर ये शर्तें लागू होती हैं, उनके लिए Tax Audit Report फाइल करना जरूरी है। अगर आप बिजनेस करते हैं और आपका टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो आपको टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करनी होगी। लेकिन, अगर आपने 95 फीसदी डिजिटल ट्रांजेक्शन किया है तो टर्नओवर की लिमिट बढ़कर 10 करोड़ हो जाती है। इसकी वजह यह है कि सरकार कैशलेस ट्रांजेक्शंस को बढ़ावा देना चाहती है।
कौन-कौन से प्रोफेशनल्स इसके दायरे में आते हैं?
अगर आप एक फ्रीलांसर हैं या डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट्स या सीए हैं और प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं तो सालाना इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा होने पर टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करनी होगा। सेक्शन 44एडीए के तहत प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम के तहत आने वाले टैक्सपेयर्स के लिए भी एक खास स्थिति में ऑडिट रिपोर्ट फाइल करना जरूरी हो जाता है। अगर प्रिजेम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम के तहत आने वाला टैक्सपेयर निर्धारित रेट से कम इनकम डिक्लेयर करता है तो उसे टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करनी होगी।
प्रिजेम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम का फायदा कौन उठा सकता है?
टैक्स एक्सपर्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट बलवंत जैन ने कहा, "खास प्रोफेशन के तहत आने वाले टैक्सपेयर्स ही सेक्शन 44एडीए के तहत प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम का फायदा उठा सकते हैं। इस स्कीम में उनकी 50 फीसदी ग्रॉस रिसीट्स उनकी इनकम मान ली जाती है। शर्त यह है कि उनकी ग्रॉस रिसीट्स 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।" 75 लाख की लिमिट ऐसे मामलों में लागू होती है, जिसमें रिसीट्स में कैश कंपोनेंट्स की हिस्सेदारी 5 फीसदी से ज्यादा नहीं होती है।
क्या प्रिजेम्प्टिव टैक्सेशन वाले टैक्सपेयर्स को भी ऑडिट रिपोर्ट फाइल करना जरूरी है?
जैन ने कहा, "अगर टैक्सपेयर यह क्लेम करता है कि उसकी एक्चुअल इनकम 50 फीसदी से कम है तो उसे बुक्स ऑफ अकाउंट्स मेंटेन करना पड़ेगा और अपने अकाउंट का ऑडिट कराना होगा।" प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम का फायदा कुछ खास प्रोफेनल्स उठा सकते हैं। इनमें डॉक्टर, वकील, सीए, कंपनी सेक्रेटरीज, कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स, इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट्स और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े प्रोफेनल्स आते हैं।
टैक्स ऑडिट रिपोर्ट डेडलाइन तक फाइल नहीं करने पर क्या होगा?
अपने अकाउंट्स ऑडिट कराने वाले टैक्सपेयर्स को 30 सितंबर तक टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करना जरूरी है। अगर टैक्सपेयर्स इस डेडलाइन तक टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल नहीं करते हैं तो उनके टर्नओवर का 0.5 फीसदी या 1.5 लाख रुपये में से जो कम होगी, वह पेनाल्टी लागू होगी। लेकिन, अगर टैक्सपेयर्स के पास डेडलाइन तक टैक्स ऑडिट रिपोर्ट नहीं फाइल करने की सही वजह है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उसे पेनाल्टी से छूट दे सकता है।