आज की तेज रफ्तार जिंदगी में मेडिकल इमरजेंसी, ट्रैवल प्लान या किसी बड़े खर्च के लिए अचानक पैसों की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे हालात में लोग अकसर इंस्टेंट पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड लोन का सहारा लेते हैं। दोनों ही विकल्प तुरंत फंड उपलब्ध कराते हैं, लेकिन इनके फायदे और नुकसान अलग-अलग हैं। सही चुनाव आपकी जरूरत और वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है।
इंस्टेंट पर्सनल लोन बैंक और NBFCs द्वारा दिया जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह जल्दी अप्रूव और डिस्बर्स हो जाता है। ब्याज दरें आमतौर पर 10–24% सालाना होती हैं और भुगतान फिक्स्ड EMI के जरिए करना होता है। यह उन लोगों के लिए बेहतर है जिन्हें बड़ा अमाउंट और लंबी अवधि के लिए पैसे चाहिए। हालांकि, प्रोसेसिंग फीस और डॉक्यूमेंटेशन का ध्यान रखना जरूरी है।
क्रेडिट कार्ड लोन आपके मौजूदा कार्ड लिमिट पर आधारित होता है। इसमें ब्याज दरें अपेक्षाकृत कम यानी 12–18% सालाना हो सकती हैं। कई बार बैंक नो-कॉस्ट EMI भी ऑफर करते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह बेहद तेज़ी से उपलब्ध हो जाता है और भुगतान में लचीलापन देता है। यह उन लोगों के लिए सही है जिन्हें छोटा अमाउंट चाहिए और जल्दी चुकाने की क्षमता है।
अगर आपको तुरंत और छोटा अमाउंट चाहिए तो क्रेडिट कार्ड लोन सुविधाजनक है। वहीं अगर बड़ी रकम और लंबी अवधि चाहिए तो इंस्टेंट पर्सनल लोन बेहतर साबित होगा। दोनों ही विकल्पों में ब्याज दर और प्रोसेसिंग फीस का ध्यान रखना जरूरी है, वरना EMI का बोझ बढ़ सकता है।
कई बार लोग इमरजेंसी में बिना सोचे-समझे लोन ले लेते हैं और बाद में भुगतान का दबाव झेलते हैं। सही चुनाव वही है जो आपकी वास्तविक जरूरत, भुगतान क्षमता और क्रेडिट प्रोफाइल से मेल खाता हो।