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हॉस्पिटल के रूम रेंट पर लगेगा 5 फीसदी जीएसटी, जानिए आप पर इसका कैसे पड़ेगा असर

आम तौर पर रूम रेंट सम इंश्योर्ड का 1 से 2 फीसदी होता है। उदाहरण के लिए स्टैंडर्ड आरोग्य संजीवनी हेल्थ पॉलिसी में सम इंश्योर्ड की 2 फीसदी या 5000 रुपये रोजाना की सीमा तय है। इसमें से जो कम है, वह लागू होता है

अपडेटेड Jul 23, 2022 पर 1:28 PM
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जीएसटी की वजह से रूम रेंट बढ़ने का मतलब है कि ऐसे पॉलिसीहोल्डर्स का खर्च बढ़ जाएगा, जिनकी पॉलिसी में रूम रेंट की सब-लिमिट दी गई है।

हॉस्पिटल रूम पर 5 फीसदी GST लगाने का फैसला लागू हो गया है। रोजाना 5000 रुपये से ज्यादा रेंट वाले रूम पर यह टैक्स लगाया गया है। इससे हॉस्पिटल में इलाज कराना महंगा हो जाएगा। आइए जानते हैं इसका असर आप पर किस तरह पड़ेगा।

आम तौर पर रूम रेंट सम इंश्योर्ड का 1 से 2 फीसदी होता है। उदाहरण के लिए स्टैंडर्ड आरोग्य संजीवनी हेल्थ पॉलिसी में सम इंश्योर्ड की 2 फीसदी या 5000 रुपये रोजाना की सीमा तय है। इसमें से जो कम है, वह लागू होता है। ऐसी भी हेल्थ पॉलिसी हैं, जिनमें पॉलिसीहोल्डर्स सिंगल प्राइवेट रूम के लिए एलिजिबल होता है। कुछ पॉलिसी में रूम रेंट की लिमिट के बारे में कुछ नहीं बताया जाता है।

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उम्मीद है कि जनरल इंश्योरेंस कंपनियां इस टैक्स को टोटल बिल अमाउंट का हिस्सा मानेंगी। लेकिन, इसका असर ऐसे पॉलिसीहोल्डर्स पर पड़ेगा, जिनकी हेल्थ पॉलिसी में रूम रेंट की सब-लिमिट तय है। डिजिट इंश्योरेंस के अप्वॉइंटेड एक्चुअरी निखिल कामदार ने कहा, "रूम रेंट की सीमा तय नहीं होने पर बीमा कंपनियां आम तौर पर जीएसटी सहित क्लेम का पेमेंट कर देती हैं।"

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी के नए नियम से हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ सकता है। ACKO Insurance के ईवीपी (एक्चुअरी एंड अंडरराइटिंग) बीरेश गिरि ने कहा, "पॉलिसीहोल्डर्स के लिहाज से देखें तो उसका प्रीमियम बढ़ जाएगा, क्योंकि हॉस्पिटल के टोटल बिल में रूम रेंट की हिस्सेदारी 15-20 फीसदी होती है।"

जीएसटी की वजह से रूम रेंट बढ़ने का मतलब है कि ऐसे पॉलिसीहोल्डर्स का खर्च बढ़ जाएगा, जिनकी पॉलिसी में रूम रेंट की सब-लिमिट दी गई है। MediAssist TPA के सीईओ और डायरेक्टर सतीश गुडुगू ने कहा, "पहले स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी नहीं लगता था। 5 फीसदी जीएसटी की वजह से ऐसे पॉलिसीहोल्डर्स के लिए इलाज का खर्च बढ़ जाएगा, जिनकी हेल्थ पॉलिसी में रूम रेट की सब-लिमिट तय है।।"

उन्होंने बताया कि कुछ हेल्थ पॉलिसी में रूम रेंट की सब-लिमिट के साथ ही Proportionate deduction Claudes होते हैं। उन्होंने कहा, "चूंकि सभी दूसरे चार्जेज (जैसे कंसल्टेशन फीस और ऑपरेशन थिएटर चार्ज) रू रेंट से लिंक्ड होते हैं, जिससे हॉस्पिटल का कुल बिल बढ़ जाएगा। इस वजह से उसी अनुपात में एलिजिबल क्लेम अमाउंट घट जाएगा।"

जो पेशेंट छोटे हॉस्पिटल्स या शेयर्ड रूम में रहना पसंद नहीं करते, उनके लिए इलाज कराना मंहगा हो जाएगा। गिरि ने कहा, "अचानक अस्पताल में भर्ती की स्थिति में ज्यादातर लोग मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल जाना पसंद करते हैं। ऐसे हॉस्पिटल्स में रूम रेंट बहुत ज्यादा होता है। जीएसटी लगने की वजह से उनका कुल बिल बढ़ जाएगा।"

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