Insurance Amendment Bill: संसद का आगामी मानसून सत्र इंश्योरेंस सेक्टर के लिए काफी अहम रहने वाला है। सूत्रों के मुताबिक, बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2022 मानसून सत्र में ही पेश किया जा सकता है। इसमें कॉम्पोजिट लाइसेंसिंग और बीमा क्षेत्र में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) की सीमा को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने जैसे अहम बदलाव शामिल होंगे।
समाचार एजेंसी Reuters ने 19 मई को रिपोर्ट किया था कि भारत ई-कॉमर्स से लेकर फार्मा जैसे क्षेत्रों में FDI नियमों में बदलाव लाने पर विचार कर रहा है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि संशोधनों की सटीक जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन बीमा क्षेत्र में FDI को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने की संभावना काफी अधिक है।
क्या है कॉम्पोजिट लाइसेंसिंग?
कॉम्पोजिट लाइसेंसिंग (Composite Licensing) एक प्रस्तावित सिस्टम है। इसके तहत एक बीमा कंपनी को एक ही लाइसेंस के जरिए "जीवन बीमा" (Life Insurance) और "सामान्य बीमा" (General Insurance) दोनों तरह की सेवाएं दे सकेंगी।
अभी बीमा कंपनियों को दो अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है। पहली हैं जीवन बीमा कंपनियां, जैसे कि LIC, Max Life, SBI Life। वहीं, दूसरी सामान्य बीमा कंपनियां हैं, जैसे कि ICICI Lombard, New India Assurance, Bajaj Allianz General
इन दोनों सेगमेंट के लिए अलग-अलग लाइसेंस लेने होते हैं, और दोनों के संचालन नियम भी अलग हैं। कॉम्पोजिट लाइसेंसिंग से बीमा कंपनियां एक ही यूनिट के तहत जीवन बीमा और सामान्य बीमा दोनों उत्पाद बेच सकेंगी। इससे उनके संचालन को सरल और अधिक कुशल बनाया जा सकेगा।
बीमा कंपनियों की बदल रही है रणनीति
Axis Max Life Insurance के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर अमृत सिंह ने मार्च तिमाही के नतीजों के बाद Moneycontrol से बातचीत में उम्मीद जताई थी कि यह कॉम्पोजिट लाइसेंसिंग मानसून सत्र में लागू हो सकती है, जिसके बाद कंपनी अपने प्रस्तावित आईपीओ सरलीकरण को आगे बढ़ाएगी।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब Life Insurance Corporation of India (LIC) ने ManipalCigna Health Insurance के साथ एक रणनीतिक समझौता किया है। हालांकि इस समझौते की विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन यह कदम स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में LIC के विस्तार रणनीति का संकेत देता है।
वित्त मंत्री ने बजट में किया था ऐलान
इस साल यानी 2025 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा क्षेत्र में FDI लिमिट को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने का ऐलान किया था, ताकि अधिक वैश्विक निवेशकों और पूंजी को आकर्षित किया जा सके। यह संशोधन बीमा अधिनियम का हिस्सा है, जिसे मानसून सत्र में पेश किया जाना संभावित है।
बीमा कानून में अन्य संशोधन क्या होंगे?
विधेयक के तहत कंपनियों की पूंजी संरचना को सरल बनाने के लिए भी कई अहम सुधार प्रस्तावित हैं। जैसे कि कॉम्पोजिट लाइसेंस की अनुमति, FDI सीमा में वृद्धि और न्यूनतम पूंजी आवश्यकता को अधिक लचीला बनाना। अभी जीवन और सामान्य बीमा के लिए 100 करोड़ रुपये और पुनर्बीमा कंपनियों के लिए 200 करोड़ रुपये की न्यूनतम सीमा तय है।
इसमें इंश्योरेंस रेगुलेटर- भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) को अधिक स्वायत्तता भी दी जाएगी।