Crypto currency : निवेशक क्रिप्टो करेंसी पर RBI की इन चेतावनियों को न करें नज़रअंदाज़, नहीं तो हो सकते हैं बर्बाद

Crypto currency : RBI सालों से ये चेतावनी देता रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी की मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद को बढ़ावा देने और टैक्स चोरी में बड़ी भूमिका है। भारत में अभी भी क्रिप्टो के जुड़े रेग्युलेशन नहीं हैं

अपडेटेड Sep 15, 2025 पर 11:28 AM
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2022 में सरकार ने निवेशकों को ज़रा भी सुरक्षा दिए बिना क्रिप्टो पर 1 फीसदी टीडीएस के साथ 30 फीसदी टैक्स लगा दिया। इससे बिना किसी रेग्युलेशन के क्रिप्टो को एक तरह की आधिकारिक स्वीकृति मिल गई

Crypto currency : मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कानपुर के एक रिटायर्ड बैंकर,अनिल सिंह चौहान ने क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग के नाम पर एक बड़े क्रिप्टो धोखाधड़ी का शिकार होकर, एक महीने से भी कम समय में 2.52 करोड़ रुपये गंवा दिए। इसमें उनकी जीवन भर की बचत, लिया गया लोन और यहां तक ​​कि परिवार के आभूषण भी शामिल थे। अनिल के मामले में एक अजनबी का मैसेज चैट में बदल गया। फिर वीडियो कॉल का सिलसिला शुरू हो गया और फिर जल्दी पैसे कमाने का लालच दिया गया। इस तरह चौहान ने एक ऐप पर भरोसा किया, लेकिन बदले में उन्हें मिली आर्थिक बर्बादी।

क्रिप्टो रेग्युलेशन के अभाव वाले भारत जैसे देश में चौहान जैसे निवेशकों के पास ज़्यादा कानूनी विकल्प नहीं हैं। चौहान की यह कहानी निवेशकों की बर्बादी की कोई अकेली कहानी नहीं है। यह एक वित्तीय खतरे के प्रति भारत की संवेदनशीलता का संकेत है जिसे बहुत पहले ही रोक दिया जाना चाहिए था।

देश में क्रिप्टो रेग्युलेशन के अभाव ने भी निवेशकों उत्साह कम नहीं किया है। देश में क्रिप्टो का कारोबार लगातार फल-फूल रहा है और यह सिर्फ़ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। टियर 2 और टियर 3 और यहां तक कि छोटे शहरों में भी क्रिप्टो का क्रेज बढ़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिटकॉइन, एथेरियम, सोलाना और ऐसे ही दूसरे टोकन में लाखों का कारोबार हो रहा है।


क्रिप्टो को भविष्य की मुद्रा बताकर बेचा जाता है, लेकिन असल में यह एक सट्टा कैसीनो है जहां पासा हमेशा छोटे बचतकर्ताओं के खिलाफ ही चलता है। वास्तव में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) इसको लेकर कई सालों से चेतावनी दे रहा है। RBI सालों से कह रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी की मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद को बढ़ावा देने और टैक्स चोरी में बड़ी भूमिका है। आरबीआई यह भी कहता रहा है कि वह उस सिस्टम की सुरक्षा नहीं कर सकता जिस पर उसका नियंत्रण नहीं है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने साफ़ कहा है कि क्रिप्टो कोई करेंसी नहीं है,कोई असेट भी नहीं है और न ही ऐसी कोई चीज़ है जिसे वैधता मिलनी चाहिए।

अनुमानतः देश में दो करोड़ से ज़्यादा लोग क्रिप्टो से जुड़े हुए है। इनमें से बहुत सारे लोगों का फाइनेंशियल लिटरेसी लेवल बहुत अच्छा नहीं है।

2022 में सरकार ने निवेशकों को ज़रा भी सुरक्षा दिए बिना क्रिप्टो पर 1 फीसदी टीडीएस के साथ 30 फीसदी टैक्स लगा दिया। इससे बिना किसी रेग्युलेशन के क्रिप्टो को एक तरह की आधिकारिक स्वीकृति मिल गई। देश में एक्सचेंजों को क्रिप्टो के लिए कोई लाइसेंस नहीं दिया गया। कोई केवाईसी नहीं की जाती। क्रिप्टो फ्रॉड के खिलाफ पीड़ितों के पास एफआईआर के अलावा कोई सहारा नहीं,जिसका कोई नतीजा नहीं निकलता। अगर इसकी तुलना सेबी की इक्विटी पर कड़ी नजर से करेंतो क्रिप्टो के लिए कोई रेग्युलेटर नहीं है। यहां केवल भेड़िये हैं।

दुनिया के दूसरे देशों की बात करें तो EU में क्रिप्टो मार्केट के लिए डिस्क्लोजर, रिजर्व फंड और एंटी मनी लॉन्डरिंग से जुड़े नियम लागू हैं। इनका पालन करना अनिवार्य है। यहां तक कि अमेरिका में भी, जहां क्रिप्टो को लेकर अगल नियम लागू हैं, क्रिप्टो मध्यस्थों पर मुकदमे और दंड लगाकर कार्रवाई करने के उदाहरण मिलते हैं।

भारत एक ऐसी स्थिति में है जहां न तो क्रिप्टों पर प्रतिबंध और न ही इसे रेग्युलेट किया जा रहा है, जिससे चौहान जैसे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। तो फिर इसका समाधान क्या है? भारत को या तो क्रिप्टो पर पूरी तरह से प्रतिबंधित करना होगा या फिर इसे कड़े नियमों के दायरे में लाना होगा। एक ऐसे देश में जहां अभी भी बुनियादी वित्तीय साक्षरता का विकास हो रहा है, क्रिप्टो ब्लॉकचेन के आवरण में लिपटा एक संगठित जुआ है। इसको लेकर बनी निष्क्रियता का मतलब है हर दिन एक बचतकर्ता का सफाया, एक और घर की बर्बादी।

 

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