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क्या एक्सचेंजों पर ट्रेड करने वाले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करना सही है?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) उन लोगों के लिए निवेश का बेहतर विकल्प हो सकता है, जो लंबी अवधि के लिए गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं। इस बॉन्ड की परिपक्वता अवधि 8 साल है। इससे मिलने वाले ब्याज पर निवेशकों को टैक्स देना पड़ सकता है, लेकिन मैच्योरिटी के बाद बढ़ी हुई पूंजी पर टैक्स में छूट है। इसके अलावा, सॉवरेन गारंटी और क्रेडिट रिस्क का अभाव जैसी खूबियां इस गोल्ड बॉन्ड को और आकर्षक बनाते हैं

अपडेटेड Aug 18, 2024 पर 6:17 PM
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इस साल फरवरी से सोवरेन गोल्ड बॉन्ड का कोई नया इश्यू नहीं आया है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) उन लोगों के लिए निवेश का बेहतर विकल्प हो सकता है, जो लंबी अवधि के लिए गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं। इस बॉन्ड की परिपक्वता अवधि 8 साल है। इससे मिलने वाले ब्याज पर निवेशकों को टैक्स देना पड़ सकता है, लेकिन मैच्योरिटी के बाद बढ़ी हुई पूंजी पर टैक्स में छूट है। इसके अलावा, सॉवरेन गारंटी और क्रेडिट रिस्क का अभाव जैसी खूबियां इस गोल्ड बॉन्ड को और आकर्षक बनाते हैं।

केंद्रीय बजट 2024 में गोल्ड और सिल्वर पर कस्टम ड्यूटी को 15 पर्सेंट से घटाकर 6 पर्सेंट कर दिया गया है, जिसके बाद गोल्ड की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। इससे भारत सरकार द्वारा जारी 96,120 करोड़ के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की बकाया यूनिट्स पर असर पड़ सकता है। अब तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कुल 67 किस्त जारी की जा चुकी हैं। रिजर्व बैंक ने 30 नवंबर 2015 को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली किस्त जारी की थी।

मनीकंट्रोल की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कुल 147 यूनिट्स हैं, जिसकी कुल वैल्यू 72,274 करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कुल 27,031 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। इस तरह के गोल्ड बॉन्ड में फिजिकल गोल्ड का कोई झंझट नहीं रहता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का मकसद लोगों को फिजिकल गोल्ड के बजाय बॉन्ड में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना है। साल 2015 में इस प्रोडक्ट के लॉन्च के बाद से इसे जबरदस्त रेस्पॉन्स मिला है।


हालांकि, इस साल फरवरी से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का कोई नया इश्यू नहीं आया है। सरकार इस स्कीम का साइज कम कर सकती है और इसकी कॉस्ट ज्यादा होने का हवाला देकर इसे बंद करने का ऐलान कर सकती है। इसके पुराने इश्यू बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) जैसे एक्सचेंजों पर कम वॉल्यूम के साथ कारोबार करते हैं।

मनीकंट्रोल ने निवेश पोर्टफोलियो में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश की भूमिका के बारे में जानकारी के लिए MyWealthGrowth.com के फाउंडर हर्षद चेतनावाला से बात की। पेश इस बारे में विस्तार से जानकारी:

- गोल्ड की कीमतों के आधार पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट मानें।

- गोल्ड को कीमतों में उतार-चढ़ाव से निपटने के विकल्प के बजाय एसेट एलोकेशन इंस्ट्रूमेंट के तौर पर देखें।

- अगर ब्याज और टैक्स से जुड़े फायदे जारी रहते हैं, तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश जारी रखना चाहिए।

- वॉल्यूम कम रहने के बावजूद सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में अभी भी निवेश से जुड़े काफी फायदे हैं।

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