Market Volatility: आपको अपनी इक्विटी स्कीम को जारी रखना चाहिए या एग्जिट करना चाहिए?

बीते दो महीने में BSE Sensex और NIFTY 50 में 8 फीसदी से ज्यादा गिरावट आ चुकी है। अगर साल 2022 में देखें तो दोनों ही सूचकांक 7-7 फीसदी लुढ़क चुके हैं

अपडेटेड Jun 02, 2022 पर 2:00 PM
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इस साल (2022) शेयर बाजार (Stock Markets) में काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव रहा है। बीते दो महीने में BSE Sensex और NIFTY 50 में 8 फीसदी से ज्यादा गिरावट आ चुकी है। अगर साल 2022 में देखें तो दोनों ही सूचकांक 7-7 फीसदी लुढ़क चुके हैं। बीते दो महीने में BSE Midcap और BSE Smallcap क्रमश: 9 फीसदी और 11 फीसदी गिर चुके हैं।

स्टॉक मार्केट्स में आई गिरावट का असर म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीमों के रिटर्न पर पड़ा है। डायवर्सिफायड म्यूचुअल फंड में स्मॉल फंड कैटेगरी की स्कीमों पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। इस साल अब तक इस कैटेगरी का औसत रिटर्न 10 फीसदी तक घट गया है। मिडकैप कैटेगरी में सात फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। लार्ज कैप कैटेगरी में 5 फीसदी तक गिरावट है।

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अब तक म्यूचुअल फंड्स के निवेशकों का रिटर्न पिछले साल जैसा नहीं रहा है। पिछले साल इन तीनों कैटेगरी का रिटर्न 24 से 63 फीसदी के बीच रहा था। स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि India VIX इस साल अब तक 28 फीसदी से ज्यादा चढ़ चुका है।

इंटरेस्ट रेट्स में वृद्धि, इनफ्लेशन और विदेशी फंड्स की बिकवाली और यूक्रेन क्राइसिस की वजह से स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव जारी रहने की उम्मीद है। अब सवाल है कि म्यूचुअल फंड्स के निवेशकों को क्या करना चाहिए?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि मार्केट में उतार-चढ़ाव आपके लिए पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने का मौका हो सकता है। उदाहरण के लिए अगर आपका इक्विटी-डेट एलोकेशन 60:40 से 50:50 हो गया है तो आप अतिरिक्त 10 फीसदी डेट को इक्विटी में डाल सकते हैं। इससे आपका एलोकेशन पहले की तरह (60:40) हो जाएगा।

म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर महेश मिरपुरी ने कहा, "ऐसा करने (रीबैलेंसिंग) से आपको तब शेयरों में इनवेस्ट करने का मौका मिलता है, जब मार्केट नीचे है।" आप अपने पोर्टफोलियो को रिव्यू करने के लिए एक समय फिक्स कर सकते हैं। फिर जरूरत पड़ने पर उसे रीबैलेंस कर सकते हैं। अगर एसेट एलोकेशन आपके ऑरिजिनल एलोकेशन से बहुत ज्यादा बदल गया है तो आप पहले भी रीबैलेंस कर सकते हैं।

Rupee With Rushabh Investment Services के फाउंडर रुषभ देसाई ने कहा कि लंबी अवधि के लिए शेयरों में नया निवेश करना जरूरी है। उन्होंने कहा, "बाजार में काफी करेक्शन आया है। आगे भी गिरावट आ सकती है। इसलिए एक बार में कुल निवेश करने के बजाय तीन से छह महीने के दौरान धीरे-धीरे निवेश करना ठीक होगा।"

अगर आपका फाइनेंशियल गोल दूर है तो फिर आपको शेयरों में अपने इनवेस्टमेंट को निकालने से बचना चाहिए। Gaining Ground Investment Services के फाउंडर रवि कुमार टीवी ने कहा, "मार्केट में उतार-चढ़ाव के चलते छोटी अवधि में आपके इनवेस्टमेंट के रिटर्न पर भी असर पड़ा है, लेकिन अगर आप अपना निवेश बनाए रखते हैं तो लंबी अवधि में आपको फायदा होगा, क्योंकि उतार-चढ़ाव लंबे समय तक जारी नहीं रहेगा।"

उन्होंने कहा कि लंबी अवधि के गोल्स के लिए अब भी इक्विटी में निवेश करना सबसे फायदेमंद है। इससे ज्यादा रिटर्न कमाने में मदद मिलती है। दूसरी तरफ अगर आपका फाइनेंशियल गोल नजदीक आ गया है तो आप कुछ पैसा निकाल सकते हैं और उसे कम उतार-चढ़ाव वाले इंस्ट्रूमेंट में लगा सकते हैं।

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