ITR Filing 2025: 2 जून तक 54000 टैक्सपेयर्स ने फाइल किए रिटर्न, आईटीआर के बारे में जानें अपने हर सवाल का जवाब
2 जून को सुबह 10:30 बजे तक 54,389 इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए जा चुके थे। इनमें 48,975 वेरिफाय भी हो चुके हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक्सेल यूटिलिटी आधारित रिटर्न फाइलिंग की इजाजत 30 मई को दे दी है
इस साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी गई है।
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 2 जून को सुबह 10:30 बजे तक 54,389 इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए जा चुके थे। इनमें 48,975 वेरिफाय भी हो चुके हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक्सेल यूटिलिटी आधारित रिटर्न फाइलिंग की इजाजत 30 मई को दे दी है। इसके बावजूद ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग अभी शुरू नहीं हुई है। सवाल है कि किसके लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है?
अगर आप सैलरीड एंप्लॉयी, फ्रीलांसर या बिजनेस ओनर हैं या आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसकी इनकम टैक्सेबल नहीं है तो भी ऐसी कई स्थितियां हैं, जिनमेंITRफाइल करना जरूरी है या आईटीआर फाइल करना फायदेमंद है। आइए उन शर्तों के बारे में जानते हैं, जब आपके लिए रिटर्न फाइल करना जरूरी है:
1. अगर इनकम बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से ज्यादा है
वित्त वर्ष 2025-26 में इनकम टैक्स की नई रीजीम के तहत एग्जेम्प्शन लिमिट 4 लाख रुपये हैं। ओल्ड रीजीम के तहत 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति के लिए एग्जेम्प्शन लिमिट 2.5 लाख रुपये है। सीनियर सिटीजंस के लिए 3 लाख रुपये है और सुपर सीनियर सिटीजंस के लिए 5 लाख रुपये है।
2. इनकम एग्जेम्प्शन लिमिट से कम तो भी फाइल करना होगा ITR
-अगर आपने एक फाइनेंशियल ईयर में एक या इससे ज्यादा करेंट अकाउंट में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा डिपॉजटि किया है
-आपने खुद या किसी दूसरी की फॉरेन ट्रिप पर 2 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किया है
-किसी फाइनेंशियल ईयर में आपका बिजली बिल 1 लाख रुपये से ज्यादा है
-25,000 रुपये या इससे ज्यादा का TCS/TDS डिडक्ट किया गया है (सीनियर सिटीजंस के लिए 50,000 रुपये)
-अगर आपका विदेश में एसेट्स है या किसी फॉरेन अकाउंट की अथॉरिटी है
-अगर आपकी कंपनी या फर्म है
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से इन स्थितियों में मिलती है मदद
-इनकम टैक्स रिफंड क्लेम करने के लिए (अगर बैंक अकाउंट या सैलरी से टीडीएक कटा है।)
-वीजा या लोन अप्लिकेशन के लिए
-लॉस कैरी फॉरवर्ड करने के लिए
-फाइनेंशियल क्रेडिबिलिटी के लिए
आपके लिए कौन सा फॉर्म सही रहेगा?
ITR-1 (सहज)
ऐसे रेजिडेंट इंविजुअल (एचयूएफ नहीं) जिनकी सैलरी इनकम 50 लाख रुपये तक है। जिनका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस 1.25 लाख रुपये तक है। जिनकी एक हाउस प्रॉपर्टी है, जिनकी इंटरेस्ट सहित दूसरे स्रोत से इनकम है।
ITR-2
ऐसे इंडिविजुअल्स और एचयूएफ जिनकी कैपिटल गेंस से इनकम है, जिनके पास से एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी है, फॉरेन इनकम/एसेट्स है, लेकिन कोई बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम नहीं है।
ITR-3
ऐसे इंडिविजुअल और एचयूएफ जिनकी (फर्म में पार्टनर सहित) बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम है।
ITR-4 (सुगम)
यह ऐसे रेजिडेंट इंडिविजुअल्स, एचयूएफश और फर्मों के लिए जिनकी सेक्शन 44एडी, 44एडीए या 44एई के तहत प्रिजम्प्टवि इनकम है और इनकम 50 लाख रुपये तक है।
ITR-5
पार्टनरशिप फॉर्म, एलएलपी, एओपी, बीओआई, कोऑपरेटिव सोसायटी और ऐसे दूसरे व्यक्तियों के लिए जो आईटीआर-7 का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
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ITR-6
ऐसी कंपनियों को छोड़ दूसरी कंपनियां जो सेक्शन 11 के तहत एग्जेम्प्शन क्लेम करती है।
ITR-7
ट्रस्ट, पॉलिटिकल पार्टीज, रिसर्च इंस्टीट्यूशन, यूनिवर्सिटीज के लिए या ऐसे फंड के लिए जो सेक्शन 139(4A) से लेकर सेक्सन 139 (4एफ) के तहत एग्जेम्प्शन क्लेम करते हैं।