ITR Filing: 15 सितंबर के बाद भी डेडलाइन बढ़ाएगा टैक्स विभाग? जानिए क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
ITR Filing: इस साल ITR यूटिलिटीज देर से जारी होने और पोर्टल पर तकनीकी समस्याओं ने टैक्सपेयर्स की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 15 सितंबर की डेडलाइन नजदीक है। एक्सपर्ट से जानिए टैक्स विभाग ITR फाइल करने की डेडलाइन बढ़ेगी या नहीं।
स्थिति और जटिल इसलिए हो गई क्योंकि कई डेडलाइन एक साथ हैं।
ITR Filing: इस साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पहले ITR फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है। अब नई डेडलाइन खत्म होने में भी करीब 1 हफ्ते का ही समय बचा है, लेकिन अभी भी बहुत से टैक्सपेयर्स रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए हैं। ऐसे में टैक्सपेयर्स और प्रोफेशनल्स फिर से डेडलाइन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
डेडलाइन बढ़ाने की मांग क्यों?
इस साल इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) यूटिलिटीज देर से जारी होने के कारण टैक्सपेयर्स और टैक्स प्रोफेशनल्स के सामने चुनौती खड़ी हो गई है। पोर्टल पर तकनीकी समस्याएं भी जारी हैं। इनमें बार-बार सेशन टाइमआउट, एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और Form 26AS में मेल न होना शामिल है। इन कारणों से फाइलिंग प्रक्रिया पहले से ज्यादा जटिल और तनावपूर्ण हो गई है।
फॉर्म की उपलब्धता अहम
SBHS & Associates के पार्टनर हिमांक सिंघला का कहना है, 'हर टैक्स सीजन में रिटर्न फॉर्म और यूटिलिटीज की समय पर उपलब्धता सही अनुपालन के लिए बेहद जरूरी है। साथ ही, पर्याप्त फाइलिंग विंडो टैक्सपेयर्स और प्रोफेशनल्स को अपने दायित्व सही तरीके से पूरा करने में मदद करती है।'
उन्होंने कहा कि पिछले साल ITR-1 से ITR-4 और ITR-6 1 अप्रैल 2024 को जारी हुए, ITR-5 31 मई और ITR-7 21 जून को रिलीज़ हुए थे। इससे करदाताओं को 31 जुलाई की डेडलाइन से पहले लगभग तीन महीने की तैयारी का समय मिला था।
इस साल अलग है स्थिति
इस साल हालात पूरी तरह बदल गए हैं। CBDT ने नॉन-ऑडिट मामलों की डेडलाइन 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी। लेकिन, ITR-5, ITR-6 और ITR-7 की यूटिलिटीज अगस्त में जारी हुईं। ITR-2 और ITR-3 भी 11 जुलाई 2025 को ही रिलीज हुए। इससे करदाताओं और प्रोफेशनल्स के पास फाइलिंग पूरी करने के लिए बहुत कम समय बचा।
CA प्रतिभा गोयल ने कहा, 'ITR की डेडलाइन बढ़ानी चाहिए, ताकि अंतिम समय की हड़बड़ी से बचा जा सके। ITR यूटिलिटीज का देर से रिलीज होना सब गड़बड़ कर दिया है।'
डेडलाइन का दबाव बढ़ा
स्थिति और जटिल इसलिए हो गई क्योंकि कई डेडलाइन एक साथ हैं। टैक्स ऑडिट रिपोर्ट 30 सितंबर तक जमा करनी होती है, जिससे नॉन-ऑडिट रिटर्न फाइलिंग से ऑडिट रिपोर्टिंग में ट्रांजिशन के लिए समय बहुत कम है। इसके अलावा, Companies Act के तहत ROC डेडलाइन भी सितंबर में हैं। इससे कई नियमों के अनुपालन का दबाव और बढ़ गया है।
एक्सटेंशन से भी ज्यादा फायदा नहीं
CBDT ने मई 2025 में व्यावहारिक कठिनाइयों को देखते हुए नॉन-ऑडिट ITR की डेडलाइन 15 सितंबर तक बढ़ाई थी। लेकिन मुख्य यूटिलिटीज अगस्त में जारी हुईं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके चलते टैक्सपेयर्स ने एक्सटेंशन का पूरा लाभ नहीं उठाया।
हिमांक सिंघला का कहना है, '15 सितंबर के बाद डेडलाइन का बढ़ना बेहद जरूरी है। यह सिर्फ सहूलियत का नहीं, बल्कि निष्पक्षता और व्यावहारिकता का मामला है।'
अंतिम समय पर फाइलिंग जोखिम भरी
क्या टैक्सपेयर्स को एक्सटेंशन का इंतजार करना चाहिए? टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, ऐसा नहीं करना चाहिए। टैक्सपेयर्स को जितना जल्दी हो सके, रिटर्न फाइल कर देना चाहिए।
Taxbuddy.com के फाउंडर सुजित बंजार कहते हैं, 'आखिरी मिनट की फाइलिंग में असली समस्याएं आती हैं। इनकम-टैक्स पोर्टल हाई ट्रैफिक में स्लो या फ्रीज हो जाता है। तकनीकी गड़बड़ियां जैसे वेरिफिकेशन फेल होना, आधार OTP में देरी, या पोर्टल में मेंटेनेंस आम हैं।'
उनकी चेतावनी है कि अंतिम समय में इनकम और डिडक्शन के प्रमाण जुटाना काफी उलझन भरा होता है। दबाव में की गई गलतियों से टैक्सपेयर्स को नुकसान हो सकता है, जैसे कि लॉस सेट-ऑफ का लाभ गंवाना। सुजित बंजार का कहना है, 'जल्दी फाइलिंग न केवल सटीकता सुनिश्चित करती है, बल्कि मानसिक तनाव भी कम करती है।'