Japan Bond Markets: जापान में बॉन्ड्स की कीमतों में बड़ी गिरावट, इंडिया में इनवेस्टर्स को क्या करना चाहिए?

Japan Bond Markets: जापान में लंबी अवधि के बॉन्ड्स की यील्ड कई दशकों के सबसे हाई लेवल पर पहुंच गई है। जापान के केंद्रीय बैंक बैंक ऑफ जापान को बॉन्ड मार्केट में स्थिरता के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा है। बैंक ऑफ जापान ने बॉन्ड्स खरीदे हैं

अपडेटेड Nov 20, 2025 पर 6:08 PM
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बॉन्ड की कीमत और उसकी यील्ड के बीच विपरीत संबंध होता है।

जापान में सरकारी बॉन्ड्स की कीमतों में बड़ी गिरावट दिखी है। लंबी अवधि के बॉन्ड्स की यील्ड कई दशकों के हाई लेवल पर पहुंच गई है। जापान के केंद्रीय बैंक बैंक ऑफ जापान को बॉन्ड मार्केट में स्थिरता के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा है। बैंक ऑफ जापान ने बॉन्ड्स खरीदे हैं। हालांकि, इसका ज्यादा असर इनवेस्टर्स पर नहीं पड़ा है।

जापान में यील्ड बढ़ने का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है

इनवेस्टर्स जापान के Bond Market में उथल-पुथल, सरकार के घाटा और मॉनेटरी पॉलिसी में सख्ती से पैदा होने वाली दिक्कतों को लेकर चिंतित हैं। बढ़ते रिस्क को देखते हुए वे लंबी अवधि के सरकार के बॉन्ड्स पर ज्यादा यील्ड चाहते हैं। दशकों तक जीरो इंटरेस्ट वाले जापान में यील्ड में थोड़े उछाल का भी दुनियाभर के बाजारों पर असर पड़ता है।


बॉन्ड की कीमत और उसकी यील्ड के बीच विपरीत संबंध

बॉन्ड की कीमत और उसकी यील्ड के बीच विपरीत संबंध होता है। बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर उसकी यील्ड घट जाती है। इसी तरह बॉन्ड की कीमत घटने पर यील्ड बढ़ जाती है। जापान में बॉन्ड की यील्ड बढ़ने पर इनवेस्टर्स खासकर इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स दूसरे देशों से अपना निवेश निकालकर ज्यादा यील्ड का फायदा उठाने के लिए जापान के बॉन्ड्स में लगाते हैं।

ग्लोबल इनवेस्टर्स की दिलचस्पी जापान में निवेश में बढ़ती है

हम फौजी एनिशिएटिव के सीईओ कर्नल संजीव गोविला (रिटायर्ड) ने कहा, "जापान में बॉन्ड्स की यील्ड बढ़ने पर ग्लोबल इनवेस्टर्स भारत जैसे उभरते बाजारों से अपने पैसे निकाल जापान के बॉन्ड्स में लगाना शुरू कर देते हैं। इसके चलते भारत से फॉरेन इनवेस्टर्स का पैसा बाहर जा सता है। इससे रुपये पर दबाव बढ़ सकता है। इंडियन गवर्नमेंट के बॉन्ड्स की यील्ड बढ़ने की उम्मीदे बढ़ जाती है।"

इंडिया में बॉन्ड्स की कीमतों में आ सकती है गिरावट

इंडियन मार्केट्स से पैसा निकलने पर बॉन्ड्स की कीमतों में गिरावट आ सकती है और यील्ड बढ़ सकती है। इससे सरकार, कंपनियों और यहां तक कि आम लोगों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाता है। इसका असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में पूंजी की कॉस्ट पर भी पड़ता है। गोविला ने कहा कि जापान में सरकार के बॉन्ड्स की यील्ड बढ़ने पर ग्लोबल मार्केट्स में इंटरेस्ट रेट बढ़ जाता है। इससे विदेश से पूंजी जुटाने वाली भारतीय कंपनियों के लिए कर्ज जुटाना महंगा हो जाता है। विदेश में कर्ज महंगा होने का असर भारत में घरेलू बाजार पर भी पड़ता है।

कुछ खास सेक्टर्स पर भी पड़ सकता है असर

कुछ खास सेक्टर्स पर भी इसका असर पड़ सकता है। जापान इंडिया को काफी ज्यादा टेक्नोलॉजी, मशीनरी और ऑटो कंपोनेंट्स का एक्सपोर्ट करता है। अगर बॉन्ड मार्केट में उथल-पुथल की वजह से जापान की करेंसी येन में मजबूती आती है तो भारत में आयातकों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।

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इनवेस्टर्स को क्या करना चाहिए?

इंडिया में डेट इनवेस्टर्स को अपनी पोजीशन बनाए रखनी चाहिए। इसकी वजह यह है कि इंटरेस्ट रेट साइकिल अपने पीक पर है। जापान में बॉन्ड की कीमतों में उतारचढ़ाव थोड़े समय के लिए है। जल्दबाजी में बॉन्ड्स बेचने से इनवेस्टर्स को बड़ा नुकसान हो सकता है। गोविला ने कहा कि मीडियम-टू-लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स में निवेश करने वाले इनवेस्टर्स को अपना निवेश बनाए रखने की सलाह है। नए निवेशकों को एकमुश्त निवेश की जगह धीरे-धीरे निवेश करने की सलाह है।

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