हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल 'मटेरियल चेंज' क्लॉज पॉलिसीधारकों को उनकी स्वास्थ्य स्थिति में किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव की सूचना देने के लिए बाध्य करता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्लॉज के जरिए बीमा कंपनियां प्रीमियम बढ़ाने या क्लेम अस्वीकार करने का बहाना नहीं बना सकतीं, क्योंकि IRDAI (भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण) के नियम पालिसी की अवधि के दौरान लगातार नवीनीकरण की गारंटी देते हैं।
मटेरियल चेंज क्लॉज क्या है?
यह क्लॉज इस बात पर जोर देता है कि पॉलिसीधारक को अपने स्वास्थ्य में आने वाले नए रोग या हालत का बीमा कंपनी को समय पर सूचित करना चाहिए। इस सूचना के आधार पर बीमा कंपनी पॉलिसी की शर्तों, कवर या प्रीमियम में समग्र बदलाव कर सकती है, लेकिन यह बदलाव सभी पॉलिसीधारकों पर समान रूप से लागू होना चाहिए, व्यक्तिगत स्तर पर नहीं।
IRDAI के निर्देशों के अनुसार, बीमा कंपनियां इसलिए पालिसी नवीनीकरण या प्रीमियम बढ़ोतरी नहीं कर सकतीं क्योंकि पॉलिसीधारक ने क्लेम किया हो। यदि प्रीमियम में कोई बदलाव होता है, तो उसे सभी ग्राहकों पर समान रूप से लागू करना होगा और IRDAI के उत्पाद प्रबंधन समिति से इसकी मंजूरी लेनी आवश्यक होती है।
प्रीमियम बढ़ाने या क्लेम अस्वीकार करने से कैसे बचें?
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि पालिसीधारकों को बीमा कंपनी से लिखित में बदलाव की पूरी जानकारी और IRDAI की मंजूरी मांगनी चाहिए। यदि कोई अनुचित कार्यवाही होती है तो पॉलिसीधारक IRDAI या बीमा ओम्बड्समैन के पास शिकायत कर सकते हैं। साथ ही, पालिसी पोर्टेबिलिटी का विकल्प अपनाकर अपने कवर को चालू और सुरक्षित रखा जा सकता है।
बीमा कंपनियां कहती हैं कि यह क्लॉज पॉलिसीधारक को स्वस्थ्य व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए है, न कि उन्हें दंडित करने के लिए। हालांकि, IRDAI ने स्पष्ट किया है कि नए रोग विकसित होने के कारण व्यक्तिगत स्तर पर प्रीमियम बढ़ाना या नवीनीकरण अस्वीकार करना नियमों के खिलाफ है।
इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने और नवीनीकरण कराते समय इस क्लॉज की शर्तों को समझना बेहद जरूरी है, ताकि अप्रत्याशित लागत या समस्याओं से बचा जा सके।