
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में अपनी लोकप्रिय सामाजिक योजना “लाडकी बहिन योजना” में बड़ा बदलाव किया है, जिससे हजारों महिलाओं को राहत मिली है। इस कानून के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बहनों को हर महीने राहत राशि सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। पिछले दिनों सरकार ने लाभार्थियों के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया अनिवार्य कर दी थी, जिससे बहुत सी महिलाओं में असंतोष देखने को मिला। अब राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए ई-केवाईसी नियम को अस्थाई तौर पर स्थगित कर दिया है। यह बदलाव बहनों की परेशानी दूर करने के लिए किया गया है, जिससे अक्टूबर महीने की किस्त मिलने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
क्यों जरूरी थी ई-केवाईसी?
ई-केवाईसी नियम लागू करने का मकसद था कि योजना का लाभ सिर्फ सही लाभार्थियों तक पहुंचे। पहले इसका दायरा इतने सख्त नहीं था, जिससे कई गलत लाभार्थी या अपात्र लोग योजना का फायदा उठा लेते थे। सरकार ने पति या पिता की आय सत्यापन के लिए पैन कार्ड आधारित ई-केवाईसी जरूरी कर दी थी, जिससे पारिवारिक आय का प्रमाण मिल सके। लेकिन इसमें कई जरूरतमंद बहनों को दिक्कतें आईं, जिसकी वजह से सरकार को इस नियम को अस्थायी रूप से हटाना पड़ा।
किन महिलाओं को तुरंत राहत?
अब ई-केवाईसी प्रक्रिया कुछ वक्त के लिए बंद है, जिससे महाराष्ट्र की करीब 2 करोड़ 56 लाख महिलाओं को अक्टूबर की किस्त समय पर मिल सकेगी। सरकार ने इसके लिए 3960 करोड़ रुपये का बजट भी पास किया है। यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले दिनों अफवाहें फैल गई थीं कि योजना बंद होने वाली है, लेकिन मंत्री ने साफ किया कि ये योजना जारी रहेगी और महिलाओं को इसका पूरा लाभ मिलता रहेगा।
योजना का असर और भविष्य
लाडकी बहिन योजना के कारण महायुति सरकार को विधानसभा चुनाव में महिलाओं का बड़ा समर्थन मिला। अब तक योजना के हजारों अपात्र लाभार्थियों की पहचान भी की जा रही है, ताकि सही लाभार्थियों को ही पैसा मिले। अगर आगे चलकर फिर से पात्रता नियमों में बदलाव होता है, तो सरकार नए प्रावधान लागू करेगी लेकिन फिलहाल महिलाओं को राहत मिल गई है। सरकार का दावा है कि इस योजना को किसी भी हाल में बंद नहीं किया जाएगा और इसकी मदद से महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
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