आधुनिक डिजिटल युग में, अपने OTT सब्सक्रिप्शन, मोबाइल बिल, बिजली बिल, या बीमा प्रीमियम का समय पर भुगतान करना एक चुनौती हो सकता है। RBI के नए ऑटोपे नियम की मदद से अब आप इन भुगतानों को बिना देर किए अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ऑटोमैटिक करवा सकते हैं। ऑटोपे शुरू करना आसान है, आप इसे मर्चेंट की ऐप, वेबसाइट या अपने बैंक के प्लेटफॉर्म से एनेबल कर सकते हैं।
फिक्स्ड और वैरिएबल मैंडेट का फर्क
ऑटोपे के दो प्रकार होते हैं फिक्स्ड और वैरिएबल। फिक्स्ड मैनडेट में राशि स्थिर रहती है, जैसे कि मासिक OTT शुल्क। वैरिएबल मैनडेट में बिलिंग राशि हर महीने बदल सकती है जैसे बिजली और पानी के बिल। दोनों प्रकार के लेन-देन RBI के सख्त नियमों के अंतर्गत आते हैं, जिसमें राशि के अनुसार OTP की आवश्यकता होती है।
₹15,000 की लिमिट क्यों महत्वपूर्ण है?
RBI का नियम है कि किसी भी आवर्ती भुगतान से कम से कम 24 घंटे पहले ग्राहक को एक सूचना दी जानी चाहिए, जिसमें मर्चेंट का नाम, राशि और भुगतान तिथि शामिल होती है। ग्राहक इस बीच भुगतान को रोकने या संशोधित करने का विकल्प चुन सकते हैं।
खोया या ब्लॉक हुआ कार्ड और अन्य सावधानियां
अगर आपका कार्ड खो गया है या ब्लॉक हो गया है, तो ऑटोपे ट्रांजेक्शन बाधित हो जाता है। ऐसे में पुराने कार्ड का मैंडेट मर्चेंट या बैंक प्लेटफॉर्म से हटाना पड़ता है और नए कार्ड पर दुबारा से मैंडेट रजिस्टर करना होता है।
RBI के नए ऑटोपे नियम भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी, सुरक्षित और नियंत्रित करते हैं। ये नियम धोखाधड़ी को रोकने के लिए कड़े हैं और उपभोक्ता को हर लेन-देन पर नियंत्रण देते हैं। नियमित रूप से अपने मैंडेट्स की जाँच से आप अपनी सभी मासिक और आवर्ती भुगतानों को बिना किसी रुकावट के नियत समय पर पूरा कर सकते हैं।