कई लोग यह मानते हैं कि अगर उनका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो उन्हें लोन मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन सच्चाई यह है कि सिर्फ क्रेडिट स्कोर ही बैंक की मंजूरी की गारंटी नहीं देता। बैंक या फाइनेंशियल संस्थान लोन देते समय आपकी इनकम, नौकरी की स्थिरता, मौजूदा लोन और वित्तीय स्थिति जैसे कई अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देते हैं।
कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जहां 750 या उससे अधिक क्रेडिट स्कोर रखने वाले लोगों का लोन रिजेक्ट हो जाता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसका सबसे बड़ा कारण हाई डेब्ट-टू-इनकम रेशियो (Debt-to-Income Ratio) होता है। अगर आपकी सैलरी का 40-50 प्रतिशत हिस्सा पहले से चल रहे लोन की EMI में चला जाता है, तो बैंक आपको ओवर-लेवरेज्ड मानकर नया लोन देने से इनकार कर सकता है।
इसके अलावा, जिन लोगों की नौकरी अस्थिर है या कॉन्ट्रैक्ट जल्द खत्म होने वाला है, उन्हें भी बैंक रिस्की मानते हैं। फ्रीलांसर या सेल्फ-एम्प्लॉयड प्रोफेशनल्स की अनियमित आय भी लोन रिजेक्शन की वजह बन सकती है। बैंक यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ग्राहकों की इनकम स्थिर हो ताकि EMI भुगतान समय पर हो सके।
लोन का ज्यादा अमाउंट मांगना भी एक आम कारण है। अगर आपकी सैलरी उस लोन अमाउंट को संभालने लायक नहीं है, तो बैंक उसे मंजूर नहीं करेगा। इसी तरह, अगर आपने हाल ही में कई जगह लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया है, तो यह “क्रेडिट ग्रीड” यानी ज्यादा उधारी की चाह के रूप में देखा जाता है, जो बैंक के इंकार का कारण बन सकता है।
ऐसे में लोन लेने से पहले अपनी इनकम, खर्च और मौजूदा लोन पर ध्यान देना जरूरी है। लोन एमाउंट वही रखें जो आपकी नेट इनकम और EMI कैपेसिटी के हिसाब से व्यावहारिक हो। याद रखें, अच्छा क्रेडिट स्कोर जरूरी है, लेकिन बैंक के भरोसे के लिए स्थिर आमदनी और संतुलित वित्तीय व्यवहार भी उतना ही अहम है।