देव आशीष
देव आशीष
नए साल की शुरुआत के साथ ही फाइनेंशियल ईयर (Financial Planning) अपनी अंतिम तिमाही में प्रवेश कर जाता है। लोग अपनी टैक्स सेविंग्स (Tax Savings) का हिसाब लगाना शुरू कर देते हैं। हर व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचाने की कोशिश करता है। कई बार ऐसा करने की कोशिश में वह ऐसे प्रोडक्ट्स में निवेश कर देता है, जो उसके लिए पूरी तरह से सही नहीं होते हैं। यह ठीक उसी तरह से है जैसे आपको कोई ऐसी दवा पर डिस्काउंट ऑफर करे जिसकी आपको जरूरत नहीं है। लेकिन, आप सिर्फ डिस्काउंट की वजह से दवा खरीद लेते हैं।
सिर्फ टैक्स बचाना काफी नहीं है
टैक्स सेविंग्स जरूरी है। लेकिन, यह आंख बंद करके नहीं करना चाहिए। टैक्स-सेविंग या टैक्स-प्लानिंग आपके कुल इनवेस्टमेंट प्लान (Investment Plan) का हिस्सा होना चाहिए। एक इनवेस्टमेंट एडवाइजर के रूप में मैं देखता हूं कि मेरे पास ऐसे क्लाइंट्स आते हैं, जिनके पोर्टफोलियो कई इंस्ट्रूमेंट्स से भरे होते हैं। टैक्स बचाने के लिए इनमें पिछले सालों में निवेश किया गया होता है। इनमें लाइफ इंश्योरेंस की कई पॉलिसीज, यूलिप्स, ELSS फंड्स जैसी कई चीजें होती हैं। इससे पोर्टफोलियो किसी दिशाहीन नौका की तरह दिखता है।
ज्यादातर लोगों को सेक्शन 80सी, 80D, 80E, 24B के तहत आने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शंस की जानकारी होती है, जिसमें टैक्स-बेनेफिट मिलता है। इसके बावजूद वे अपने फाइनेंशियल गोल के हिसाब से टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट करने में नाकाम रहते हैं। इस वजह से हर साल जनवरी आते ही वे टैक्स प्लानिंग के बारे में जल्दबाजी शुरू कर देते हैं।
टैक्स-सेविंग्स आपकी कुल फाइनेंशियल प्लानिंग का हिस्सा होनी चाहिए
सबसे पहले आपको यह देखने की जरूरत है कि क्या आपको टैक्स-सेविंग्स के लिए किसी खास प्रोडक्ट्स में इनवेस्ट करने की जरूरत है या नहीं। सेक्शन 80C के तहत EPF कंट्रिब्यूशन, बच्चों की ट्यूशन फीस, होम लोन के प्रिंसिपल रिपेमेंट, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम आदि पर टैक्स डिडक्शन की सुविधा मिलती है। अगर 80सी के तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स टैक्स-सेविंग्स के लिए आपके लिए पर्याप्त नहीं हैं तो ही आपको दूसरे टैक्स-सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में सोचना चाहिए।
दूसरी बात आपको यह देखने की जरूरत है कि आपका बीमा कवर पर्याप्त है या नहीं। अगर आपका लाइफ इश्योरेंस कवर पर्याप्त नहीं है तो आपके लिए एक टर्म लाइफ कवर खरीदना सबसे जरूरी है। इसके प्रीमियम पर आपको सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन मिलेगा।
आपके लिए अपने फाइनेंशियल गोल्स को ठीक तरह से समझना जरूरी है। अगर आप 5 साल के अपने बेटे की उच्च शिक्षा के लिए इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं और आपकी रिटायरमेंट में 25 साल बाकी हैं। तो आपका इनवेस्टमेंट ऐसा होगा, जो गोल को पूरा करने के साथ ही टैक्स बचाने वाला होगा।
आप इस पर विचार कर सकते हैं:
-चूंकि आपका बेटा 5 साल का है और उच्च शिक्षा कम से कम 12 साल दूर है तो आप ELSS में इनवेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं। इससे लंबी अवधि मे आप बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं।
-रिटायरमेंट की बात करें तो अगर आपके रिटायरमेंट पोर्टफोलियो में पहले से ईपीएफ जैसे कंपोनेंट मौजूद हैं तो आप ईएलएसएस में निवेश कर इक्विटी में अपना निवेश बढ़ा सकते हैं और टैक्स भी बचा सकते हैं। दूसरी तरफ अगर आपके रिटायरमेंट कॉर्पस में पीएफ कंट्रिब्यूशन कम है और इक्विटी एलोकेशन ज्यादा है तो आप वीपीएफ में अपना कंट्रिब्यूशन बढ़ा सकते हैं। इससे आपको सेक्शन 80सी के तहत टैक्स छूट भी मिलेगी। अगर वीपीएफ की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो आप पीपीएफ में निवेश शुरू करने के बारे में सोच सकते हैं।
-NPS में हर साल 50,000 रुपये के निवेश पर अतिरिक्त टैक्स बेनेफिट मिलता है। यह सब-सेक्शन 80CCD (1B) के तहत मिलता है। NPS एक रिटारयमेंट प्रोडक्ट है, जिससे रिटायरमेंट प्लानिंग में यह आपकी मदद कर सकता है। इस पर आपको अतिरिक्त टैक्स छूट भी मिल जाएगी। इस तरह आपका इनवेस्टमेंट गोल्स के हिसाब से होगा। साथ ही आप टैक्स-सेविंग्स भी कर सकेंगे।
(देव आशीष सेबी में रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर हैं। वह स्टेबलइनवेस्टर के फाउंडर भी हैं।)
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