मानसी सजेजा एसबीआई म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर हैं। वह छह फंडों की को-फंड मैनेजर हैं। इन फंडों का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) करीब 1.41 लाख करोड़ रुपये हैं। एसबीआई म्यूचुअल फंड इंडिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी है। सजेजा के पढ़ाई के दिनों में इंडिया में फाइनेंशियल मार्केट इतना डेवलप नहीं था। सजेजा ने बताया कि एनालिस्ट, रिसर्च, बाय साइड जैसी चीजें सुनने को नहीं मिलती थीं। ऐसे में आप फंड मैनेजर के करियर के बारे में कैसे सोच सकते हैं। मनीकंट्रोल ने देश की सबसे बड़ी एएमसी में फंड मैनेजर तक के उनके सफर और इनवेस्टमेंट के बारे में उनसे खुलकर बातें की।
विदेश में करियर की जगह इंडिया में रहने का लिया फैसला
सजेजा ने कहा कि फंड मैनेजर बनने से कई कड़ियां आपस में जुड़ती गईं। जैसे बिजनेस और इकोनॉमिक्स में मेरा इंटरेस्ट था। मैं बिजनेस न्यूजपेपर्स और मैगजींस पढ़ती थी। मैने एमबीए किया, जिसमें मेरा स्पेशियलाइजेशन फाइनेंस था। मैं ऐसा करियर चाहती थी, जिसमें मुझे इंडियन प्रमोटर्स से मिलने का मौका मिल सके। करीब 19 साल पहले एक ग्लोबल फर्म की ऑफशोर यूनिट्स में रिसर्च का मौका मिला था। इसमें गई होती तो आज मेरा करियर अलग होता। लेकिन, मैंने इंडिया में रहने का ऑप्शन चुना।
इंडिया इंक में महिलाओं के लिए करियर में बाधा नहीं
उन्होंने कहा कि मैंने एक रेटिंग एजेंसी में क्रेडिट एनालिस्ट से अपना करियर शुरू किया। उसके बाद एक म्यूचुअल फंड में बतौर एनालिस्ट आ गई। यह ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद की बात है। उन्होंने कहा कि आज इंडिया इंक में महिलाओं के लिए कोई बाधा नहीं है। कड़ी मेहनत और अनुभव से सीखने के साथ आपको करियर में आगे बढ़ते रहना है। आप एनालिस्ट, फिर सीनियर एनालिस्ट बनते हैं। फिर कुछ पोर्टफोलियो संभालते हैं और उसके बाद फंड मैनेजर बन जाते हैं।
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निवेशकों को शॉर्ट टर्म गेंस पर ध्यान नहीं देना चाहिए
निवेशकों के लिए आपका क्या मंत्र है? इसके जवाब में सजेजा ने कहा कि रिटेल इनवेस्टर आज काफी मैच्योर हो गया है। खासकर 1990 के दशक से तुलना करें तो ऐसा साफ दिखता है। वह आज शेयरों को स्पेक्युलेटिव एसेट क्लास नहीं मानता है। इससे मार्केट में भी गहराई आ रही है। अगर रिटेल इनवेस्टर्स अपने गोल को ध्यान में रख निवेश करते हैं तो उन्हें निराशा नहीं होगी। मैं एक्सपर्ट नहीं हूं, लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि निवेशकों को शॉर्ट टर्म गेंस पर ध्यान नहीं देना चाहिए। इनवेस्टमेंट के लिए काफी कोशिश और स्किल की जरुरत पड़ती है।