म्यूचुअल फंड की कई स्कीमें हैं, जिन्होंने लंबे समय तक निवेश करने वाले इनवेस्टर्स को मालामाल किए हैं। इनमें एसबीआई म्यूचुअल फंड का एसबीआई बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज फंड शामिल हैं। इस स्कीम के 10 साल पूरे हो गए हैं। शुरुआत से अब तक इस स्कीम का प्रदर्शन शानदार रहा है। इस दौरान इस स्कीम के डायरेक्ट प्लान ने 14.94 फीसदी और रेगुलेर प्लान ने 13.73 फीसदी रिटर्न दिया है।
2015 में हुई थी इस फंड की शुरुआत
SBI Banking & Financial Services स्कीम की शुरुआत 26 फरवरी, 2015 में हुई थी। इस स्कीम के रिटर्न का अंदाजा आपको इस बात से लग जाएगा कि अगर आपने स्कीम शुरू होने पर इसमें हर महीने 10,000 रुपये का SIP शुरू किया होता तो आज आपका पैसा बढ़कर 27.67 लाख रुपये हो गया होता। यह 15.98 फीसदी सीएजीआर रिटर्न है। एसबीआई म्यूचुअल फंड ने इस बारे में बताया है।
बीते 4 सालों में 14 फीसदी से ज्यादा रिटर्न
अगर आपने एसबीआई बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज स्कीम में इसके लॉन्च के समय 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया होता तो डायरेक्ट प्लान में आपका पैसा बढ़कर 4.03 लाख रुपये हो गया होता। रेगुलर प्लान में आपका रिटर्न 3.62 लाख रुपये हो गया होता। बीते पांच साल में इसका रिटर्न 14.26 फीसदी सीएजीआर रहा। इसके मुकाबले बेंचमार्क निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज टीआरआई का रिटर्न 12.62 फीसदी रहा।
इस फंड ने पिछले तीन सालों में 15.71 फीसदी रिटर्न दिया है, जो बेंचमार्क के 10.22 फीसदी रिटर्न से काफी ज्यादा है। पिछले साल इस स्कीन ने 14.82 फीसदी रिटर्न दिया है, जो बेंचमार्क के 14.38 फीसदी रिटर्न से ज्यादा है। इस फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 31 जनवरी, 2025 को 6,481 करोड़ रुपये था। इस फंड के फंड मैनेजर मिलिंद अग्रवाल हैं। यह फंड बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करता है।
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क्या आपको निवेश करना चाहिए?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि म्यूचुअल फंड की किसी स्कीम के ट्रैक रिकॉर्ड से उसके प्रदर्शन का संकेत मिलता है। लेकिन, किसी स्कीम के सिर्फ पुराने प्रदर्शन या रिटर्न को देखकर उसमें निवेश का फैसला नहीं लेना चाहिए। दूसरा, किसी थिमैटिक फंड में भी सोचसमझकर निवेश करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि ऐसे फंडों के निवेश के लिए एक सीमा होती है। उदाहरण के लिए यह फंड सिर्फ बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करता है। बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियों का प्रदर्शन कमजोर रहने पर इस फंड का प्रदर्शन भी कमजोर रहेगा।