एमओसी कैंसर केयर एंड रिसर्च सेंटर ने उत्तर भारत में 18 नए सेंटर खोलने का प्लान बनाया है। इसके लिए कंपनी एलेवेशन कैपिटल से 1.8 करोड़ डॉलर जुटाए हैं। एमओसी के प्लान के बारे में मनीकंट्रोल ने उसके को-फाउंडर्स डॉ क्षितिज जोशी और डॉ वशिष्ठ मनियार से बातचीत की। अभी एमओसी के महाराष्ट्र और गुजरात में 24 सेंटर्स हैं। छह महीने पहले उसने तंजानिया में अपना पहला इंटरनेशनल सेंटर ओपन किया है। अब वह दक्षिण अफ्रीका में सेंटर ओपन करने का प्लान बना रहा है।
एमओसी की शुरुआत 2018 में हुई थी
जोशी ने कहा कि MOC की शुरुआत 2018 में हुई थी। ब्रेस्ट कैंसर का सस्ता इलाज ऑफर करना इसका मकसद था। कैंसर के पेशेंट के सामने दो विकल्प होता है। पहला है सरकारी अस्पताल में इलाज कराने का जहां भीड़ काफी ज्यादा है। दूसरा है प्राइवेट अस्पताल जाने का जहां इलाज काफी महंगा है। बड़ी संख्या में कैंसर के मरीजों को ऐसे छोटे हॉस्पिटल में इलाज कराने को मजबूर होना पड़ता है, जिनके इलाज की क्वालिटी खराब है। एमओसी की स्थापना कैंसर के मरीजों को सस्ता और सही इलाज ऑफर करने के लिए हुई थी।
अभी कैंसर का इलाज काफी महंगा है
मनियार ने कहा कि मुंबई जैसे शहर में भी कैंसर का इलाज सिर्फ रिलायंस, हिंदुजा और नानावटी जैसे अस्पतालों और टाटा मेमोरियल सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। इनमें पेंशन को इलाज के लिए घंटों इतंजार करना पड़ता है। स्कैन का अप्वाइंटमेंट मिलने में तो कई हफ्तों का समय लग जाता है। टाटा मेमोरियल जैसा अस्पताल सीमित संख्या में ही मरीजों का इलाज कर सकता है। एमओसी ने कम्युनिटी कैंसर क्लिनिक शुरू किया है। ये छोटे सेंटर हैं, लेकिन इनमें इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इससे इलाज पर आने वाला खर्च काफी घट जाता है।
एमओसी के सेंटर में इलाज कराना आसान
जोशी ने कहा कि कैंसर का रोगी पहले एमओसी के ओपीडी में आता है। वहां उसके टेस्ट्स होते हैं। लैब स्क्रीनिंग होती है। फिर उसे जरूरत के हिसाब से देश और विदेश में बनी दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। मरीज को सेमी-आईसीयू डेकेयर सेटअप में केमोथैरेपी सहित जरूरी इलाज उपलब्ध कराया जाता है। इस दौरान रोगी लगातार ओंकोलॉजिस्ट की निगरानी में होता है, जबकि दूसरे अस्पतालों में स्पेशियलिस्ट्स सिर्फ विजिट पर आते हैं। पेशेंट को न्यूट्रिशनिस्ट्स, फिजियोथैरेपी और साइकोलॉजिकल काउंसलर्स की सुविधाएं भी ऑफर की जाती हैं।