वित्त वर्ष 2025-26 में मोदी सरकार के खजाने में जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली है। डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन की दर में 6.33 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि टैक्स रिफंड जारी करने में 16 प्रतिशत की कमी आ गई है। यह परफॉरमेंस देश की अर्थव्यवस्था और सरकार के वित्तीय प्रबंधन को मजबूती देने वाला है। 1 अप्रैल से 12 अक्टूबर तक शुद्ध डायरेक्ट टैक्स संग्रह 11.89 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है, जबकि गत वर्ष इसी समय तक यह आंकड़ा लगभग 11.18 लाख करोड़ रुपये था।
टैक्स कलेक्शन का विस्तृत विश्लेषण
कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन में इस साल अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिली है। 1 अप्रैल से 12 अक्टूबर तक नेट कॉरपोरेट टैक्स 5.02 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, जबकि 2024 की इस अवधि में यह 4.92 लाख करोड़ रुपये था। गैर-कॉरपोरेट कर संग्रह 6.56 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष इसी समय 5.94 लाख करोड़ रुपये था। साथ ही, प्रतिभूति लेन-देन कर (STT) 30,878 करोड़ रुपये रहा साल दर साल हल्की बढ़ोतरी दिखाते हुए।
इस वर्ष कुल टैक्स कलेक्शन में गैर-कॉरपोरेट टैक्स का योगदान लगभग 51.6% और कॉरपोरेट टैक्स का 48.4% रहा, जो टैक्स ढांचे का संतुलित स्वरूप दर्शाता है।
रिफंड की स्थिति, सरकार का लक्ष्य और नीति
2025-26 में रिफंड प्रक्रिया में 16% की गिरावट आई है। पिछले वर्ष इसी अवधि में 2,41,749 करोड़ रुपये का रिफंड जारी हुआ था, जो इस बार 2,03,107 करोड़ रुपये पर आ गया है। कॉरपोरेट सेक्टर को जारी रिफंड इस बार बढ़कर 1,40,741 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि गैर-कॉरपोरेट को जारी रिफंड गिरकर मात्र 62,359 करोड़ रुपये रह गया। सरकार ने रिटर्न में गड़बड़ी की जांच को प्राथमिकता दी है, जिससे प्रक्रिया में समय लग रहा है, पर जिनके दस्तावेज दुरुस्त हैं, उन्हें रिफंड शीघ्र जारी होगा।
सरकार का लक्ष्य इस वित्त वर्ष के अंत तक 25.20 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह का है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 12.7 फीसदी अधिक है। यह वित्तीय मजबूती के लिहाज से बड़ा कदम है और स्टेबल टैक्स ग्रोथ के संकेत देती है।
आर्थिक हालात और आगे की रणनीति
व्यवसायियों के साथ-साथ व्यक्तिगत करदाता भी टैक्स आधार को मजबूत बनाते दिख रहे हैं। सरकार की सख्त जांच और डिजिटल टैक्स फाइलिंग प्रणाली से पारदर्शिता और अनुपालन को बढ़ावा मिल रहा है। अगर मौजूदा रुझान जारी रहे, तो सरकार अपने निर्धारित लक्ष्य के करीब पहुंच सकती है या उसे पार भी कर सकती है। आर्थिक नीतियों और टैक्स प्रणाली की मजबूती, जंगल आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद, सरकार की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ कर रही है। इसमें टैक्स का प्रवाह, रिफंड में कटौती और टेक्नोलॉजी का बड़ा योगदान है।