हाइब्रिड फंड्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये रिस्क और रिटर्न के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।
Mutual Fund SIP: म्यूचुअल फंड्स की दुनिया में सिस्टमैटेकि इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) करने वाले ज्यादातर लोग इक्विटी फंड्स और डेट फंड्स को जानते हैं। इक्विटी फंड्स में पैसा शेयर मार्केट में लगता है, जहां रिटर्न की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि, रिस्क भी बड़ा होता है। वहीं, डेट फंड्स अमूमन बॉन्ड्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। इनमें रिस्क कम होता है, पर रिटर्न भी सीमित होते हैं।
अगर आप इन दोनों फंड की खूबियां चाहते हैं, यानी कम जोखिम के साथ संतुलित रिटर्न तो आपके लिए हाइब्रिड फंड्स हैं। इनमें निवेश का एक हिस्सा इक्विटी में जाता है और दूसरा हिस्सा डेट में। इसका फायदा यह है कि इक्विटी से ग्रोथ मिलती है और डेट से सुरक्षा।
अगस्त 2025 में हाइब्रिड फंड्स की धूम
अगस्त 2025 में हाइब्रिड फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर करीब ₹8.9 लाख करोड़ हो गया। इसमें सबसे ज्यादा इनफ्लो आर्बिट्राज और मल्टी-एसेट फंड्स में देखने को मिला। वहीं, बैलेंस्ड एडवांटेज और इक्विटी सेविंग्स स्कीम्स की रफ्तार कुछ धीमी रही।
अगस्त में हाइब्रिड फंड्स के तहत आने वाले आर्बिट्राज फंड्स में ₹6,666 करोड़ का नेट इनफ्लो रहा। यह जुलाई से कम लेकिन पिछले साल से कहीं ज्यादा है। मल्टी-एसेट फंड्स में ₹3,528 करोड़ का निवेश आया। वहीं, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स और आक्रामक हाइब्रिड स्कीम्स में क्रमशः ₹2,316 करोड़ और ₹1,870 करोड़ का इनफ्लो दर्ज हुआ। कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स ने भी ₹44 करोड़ का मामूली लेकिन पॉजिटिव फ्लो दिखाया।
दूसरे फंड्स से कैसे अलग हैं हाइब्रिड?
इक्विटी फंड्स पूरी तरह शेयर मार्केट पर निर्भर रहते हैं, इसलिए मार्केट गिरने पर इनका वैल्यू तेजी से घट सकती है। इसके मुकाबले हाइब्रिड फंड्स में डेट हिस्सा नुकसान को कुछ हद तक संभाल लेता है।
दूसरी ओर डेट फंड्स से तुलना करें तो वहां स्थिरता तो होती है, लेकिन रिटर्न सीमित रहता है। हाइब्रिड फंड्स में इक्विटी की मौजूदगी की वजह से रिटर्न की संभावना बेहतर रहती है। इसका मतलब है कि हाइब्रिड आपको कम जोखिम के साथ ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं।
हाइब्रिड फंड्स कितनी तरह के होते हैं?
हाइब्रिड फंड्स के भी कई तरह होते हैं। आक्रामक यानी Aggressive Hybrid Fund में इक्विटी का हिस्सा ज्यादा रहता है और डेट कम। वहीं, Conservative Hybrid Fund में डेट का हिस्सा बड़ा और इक्विटी छोटा होता है।
Balanced Advantage Fund की खासियत यह है कि इसमें मार्केट की स्थिति के हिसाब से इक्विटी और डेट का अनुपात बदलता रहता है। इसके अलावा Multi-Asset Fund भी होते हैं, जो इक्विटी और डेट के साथ गोल्ड जैसी दूसरी एसेट क्लास में भी पैसा लगाते हैं।
हाइब्रिड फंड्स के फायदे और नुकसान
हाइब्रिड फंड्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये रिस्क और रिटर्न के बीच संतुलन बनाए रखते हैं। नए निवेशकों के लिए ये आसान विकल्प हैं क्योंकि इन्हें मैनेज करना आसान होता है। लंबे समय तक रखने पर ये अच्छे रिटर्न भी दे सकते हैं।
लेकिन यह पूरी तरह सुरक्षित विकल्प नहीं है। इक्विटी का हिस्सा हमेशा रिस्क लेकर आता है। साथ ही, कई बार इनका अनुपात आपकी निवेश जरूरत से मेल नहीं खा सकता। टैक्सेशन भी इक्विटी और डेट हिस्से पर निर्भर करता है, जिससे नए निवेशकों को भ्रम हो सकता है।
किसे निवेश करना चाहिए
अगर आप पहली बार SIP के जरिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं, ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते लेकिन बैंक FD से बेहतर रिटर्न चाहते हैं, तो हाइब्रिड फंड्स आपके लिए सही हो सकते हैं। वहीं अगर आप बहुत ही सुरक्षित रहना चाहते हैं तो डेट फंड्स या FD ज्यादा ठीक रहेंगे। और अगर आपका नजरिया लंबी अवधि का है और आप ज्यादा रिस्क उठा सकते हैं तो इक्विटी फंड्स बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
हाइब्रिड फंड्स निवेश की दुनिया में एक बैलेंस्ड विकल्प हैं। ये न तो उतने रिस्की हैं जितने इक्विटी फंड्स और न उतने सीमित जितने डेट फंड्स। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये दोनों का संतुलन देकर निवेशकों को स्थिरता और ग्रोथ का कॉम्बिनेशन देते हैं। यही वजह है कि इन्हें अक्सर निवेश का सफर शुरू करने वाले लोगों और बैलेंस्ड अप्रोच चाहने वालों के लिए सही माना जाता है।
Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।