Retirement Planning: रेगुलेर इनकम के लिए एन्युटी और SWP में से कौन ज्यादा फायदेमंद?

एन्युटी खरीदने के बाद हर महीने आपको इनकम होने लगती है। इस पर मार्केट के उतारचढ़ाव का असर नहीं पड़ता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एन्युटी रिटायरमेंट के बाद जरूरी खर्चों जैसे फूड, हाउसिंग, इंश्योरेंस प्रीमियम और हेल्थकेयर को पूरा करने में मदद करती है

अपडेटेड Nov 26, 2025 पर 7:53 PM
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SWP में आप विड्रॉल का अमाउंट और फ्रीक्वेंसी तय करते हैं। आप जब चाहे विड्रॉल को रोक सकते हैं।

रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम के लिए एन्युटी और एसडब्ल्यूपी में निवेश किया जा सकता है। एन्युटी इंश्योरेंस कंपनी के साथ एक लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट है, जिसमें एकमुश्त निवेश करने पर हर महीने पेंशन मिलती है। सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान (एसडब्ल्यूपी) इनवेस्टर को म्यूचुअल फंड्स में अपने निवेश को तय समय पर फिक्स्ड अमाउंट रिडीम करने की सुविधा देता है। दोनों से रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम होती है। दोनों में बड़ा फर्क है।

एन्युटी से होने वाली इनकम पर मार्केट का असर नहीं

Annuity से आपको दिमाग की शांति मिलती है। एन्युटी खरीदने के बाद हर महीने आपको इनकम होने लगती है। इस पर मार्केट के उतारचढ़ाव का असर नहीं पड़ता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एन्युटी रिटायरमेंट के बाद जरूरी खर्चों जैसे फूड, हाउसिंग, इंश्योरेंस प्रीमियम और हेल्थकेयर को पूरा करने में मदद करती है। यह खासकर ऐसे लोगों के लिए सही है, जो रिटायरमेंट के बाद पूरी उम्र रेगुलर इनकम का स्रोत चाहते हैं। लेकिन, एन्युटी के कुछ फीचर्स कई इनवेस्टर पसंद नहीं करते हैं। आपका एकमुश्त निवेश लॉक हो जाता है। हर महीने मिलने वाले फिक्सड पेंशन की वैल्यू इनफ्लेशन की वजह से कम होती जाती है।


एसडब्ल्यूपी में विड्रॉल को कंट्रोल कर सकते हैं

SWP में आप विड्रॉल का अमाउंट और फ्रीक्वेंसी तय करते हैं। आप जब चाहे विड्रॉल को रोक सकते हैं। उसमें बदलाव कर सकते हैं। विड्रॉल अमाउंट बढ़ा सकते हैं। चूंकि आपका पैसा म्यूचुअल फंड में बना रहता है जिससे आपका फंड बढ़ता रहता है। इससे आपकी इनकम पर इनफ्लेशन का असर नहीं पड़ता है। इस वजह से एसडब्लयूपी उन लोगों के लिए अच्छा है, जो रिटायरमेंट के बाद भी इनकम के मामले में फ्लेक्सिबिलिटी चाहते हैं। आपका कैपिटल पर पर आपका पूरा एक्सेस बना रहता है। इसके साथ एक खराबी यह है कि SWP का प्रदर्शन मार्केट से जुड़ा होता है। मार्केट में लंबे समय तक बड़ी गिरावट जारी रहने पर आपकी इनकम पर असर पड़ सकता है।

दोनों के लिए टैक्स के अलग-अलग नियम

एन्युटी से होने वाली इनकम सैलरी की तरह होती है। इस पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। रिटायरमेंट के बाद किसी तरह का टैक्स बेनेफिट नहीं मिलता है। SWP विड्रॉल पर कैपिटल गेंस के नियम लागू होते हैं। इक्विटी आधारित फंड्स के एक वित्त वर्ष में 1.25 लाख रुपये के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स नहीं लगता है। इससे ज्यादा के कैपिटल गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगता है। डेट आधारित फंड से होने वाले कैपिटल गेंस पर आपके स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। ऐसे रिटायर्ड लोग जो कम टैक्स स्लैब में आते हैं, उनके लिए SWP फायदेमंद हो सकता है।

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फाइनेंशियल एडवाइजर्स की सलाह

एक्सपर्ट्स का कहना है कि एन्युटी और SWP दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। आप इनकम की अपनी जरूरत, रिस्क लेने की क्षमता और टैक्स के नियमों को ध्यान में रख किसी एक का चुनाव कर सकते हैं। कई फाइनेंशियल प्लानर्स हाइब्रिड एप्रोच के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। इसमें जरूरी मंथली खर्चों के लिए एन्युटी इनकम का इस्तेमाल किया जा सकता है। बाकी खर्चों के लिए SWP का इस्तेमाल हो सकता है। दोनों की मदद से आपके रिटर्न पर इनफ्लेशन का भी ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

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