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नोएडा एयरपोर्ट के पास जमीन और फ्लैट होंगे महंगे! नए नियमों का प्रॉपर्टी मार्केट पर पड़ेगा असर

Noida International Airport: YEIDA बोर्ड ने एक प्रस्ताव पास किया है जिसके तहत एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर दायरे में बनने वाली किसी भी बिल्डिंग के नक्शे को तभी मंजूरी मिलेगी जब वह एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के दिशा-निर्देशों के हिसाब से होगी

अपडेटेड Sep 08, 2025 पर 5:55 PM
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Noida International Airport: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है।

Noida International Airport: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। ये फैसला सीधे तौर पर जमीन, प्रॉपर्टी और निवेश से जुड़े लोगों पर असर डालने वाला है। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने यह साफ कर दिया है कि एयरपोर्ट के आसपास अब कंस्ट्रक्शन को लेकर नियम और सख्त होंगे। दरअसल, YEIDA बोर्ड ने एक प्रस्ताव पास किया है जिसके तहत एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर दायरे में बनने वाली किसी भी बिल्डिंग के नक्शे को तभी मंजूरी मिलेगी जब वह एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के दिशा-निर्देशों के हिसाब से होगी। अब नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आसपासके इलाके में अंधाधुंध कंस्ट्रक्शन पर ब्रेक लग गया है।

AAI का कलर-कोडेड जोन मैप बनेगा गाइडलाइन

YEIDA के सीईओ आरके सिंह ने बताया कि यह कदम हवाई पट्टी और फ्लाइट के रास्ते को सुरक्षित रखने के लिए उठाया गया है। AAI पहले ही एक कलर-कोडेड जोनिंग मैप जारी कर चुका है। अब उसी के आधार पर यह तय होगा कि कहां, कितनी ऊंचाई और किस तरह का कंस्ट्रक्शन हो सकता है। इस प्रोसेस को सही तरीके से लागू करने के लिए YEIDA एक एक्सपर्ट कंसल्टेंट नियुक्त करने की भी तैयारी कर रहा है, जो पूरे एरिया का सर्वे करेगा।


रियल एस्टेट सेक्टर पर असर

इस फैसले का रियल एस्टेट सेक्टर पर सीधा असर पड़ने वाला है। चूंकि 20 किलोमीटर के दायरे में अब नई इमारतें कम बनेंगी, इसलिए यहां प्रॉपर्टी की सप्लाई घट जाएगी। मांग पहले से ज्यादा होगी, लेकिन नए प्रोजेक्ट्स सीमित होंगे। इससे मौजूदा जमीन और फ्लैट की कीमतें बढ़ सकती हैं।

जिन बिल्डरों की योजनाओं को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है या जो लोग इस क्षेत्र में मकान-फ्लैट खरीद चुके हैं, उनके लिए यह फैसला जैकपॉट साबित हो सकता है। उनकी प्रॉपर्टी को प्रीमियम लोकेशन का टैग मिल जाएगा और रेट अपने आप बढ़ जाएंगे।

अब जो निवेशक या बिल्डर यहां आने वाले समय में नए प्रोजेक्ट लाने की सोच रहे थे, उन्हें अब ज्यादा सतर्क रहना होगा। कोई भी नक्शा पास कराने से पहले AAI की ग्रीन सिग्नल जरूरी होगा। इससे मंजूरी का प्रोसेस लंबा हो सकता है।

कई बड़े बिल्डर इस इलाके में हाउसिंग और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स लॉन्च करने की योजना बना चुके थे। अब उन्हें अपने प्लान्स पर दोबारा काम करना होगा, जिससे प्रोजेक्ट्स में देरी तय मानी जा रही है। यही वजह है कि निवेशकों को भी यह तय करना पड़ेगा कि उनकी खरीदी हुई जमीन या प्लॉट सभी नियमों के मुताबिक हो, वरना आगे परेशानी बढ़ सकती है।

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