Personal Loan: आज पर्सनल लोन हर जगह मिल रहा है। बैंक ऐप्स पर, फिनटेक प्लेटफॉर्म्स पर, यहां तक कि SMS के जरिए प्री-अप्रूव्ड ऑफर्स भी आ रहे हैं। यह सुविधा काम की है, लेकिन इसी वजह से लोग अक्सर बिना ठीक से तुलना किए पहला 'ठीक-ठाक' ऑफर चुन लेते हैं।
Personal Loan: आज पर्सनल लोन हर जगह मिल रहा है। बैंक ऐप्स पर, फिनटेक प्लेटफॉर्म्स पर, यहां तक कि SMS के जरिए प्री-अप्रूव्ड ऑफर्स भी आ रहे हैं। यह सुविधा काम की है, लेकिन इसी वजह से लोग अक्सर बिना ठीक से तुलना किए पहला 'ठीक-ठाक' ऑफर चुन लेते हैं।
बेहतर तरीका यह मानकर चलना है कि हर लेंडर पैसा कमाने का अलग तरीका अपनाता है। कोई ब्याज से कमाता है, कोई फीस से, कोई पेनल्टी से और कई बार तीनों से। आपकी जिम्मेदारी है यह पहचानना कि असली लागत कहां छिपी है।
1. ब्याज दर देखिए, लेकिन यह भी समझिए कि वह किस तरह की है
हां, ब्याज दर अहम है, लेकिन एक कदम आगे जाकर देखना जरूरी है। क्या यह पूरी अवधि के लिए फिक्स्ड है या बदल सकती है? बहुत से लोग सिर्फ EMI पर ध्यान देते हैं और भूल जाते हैं कि 24 से 60 महीनों में ब्याज दर का छोटा सा फर्क भी कुल भुगतान को काफी बढ़ा सकता है।
यह भी याद रखें कि बैनर पर दिखने वाली दर आपको जरूरी नहीं मिले। फाइनल रेट आपके क्रेडिट स्कोर, इनकम प्रोफाइल, मौजूदा लोन और यहां तक कि लेंडर के साथ आपके रिश्ते पर भी निर्भर करती है।
2. फीस कटने के बाद आपके खाते में असल में कितना पैसा आएगा
प्रोसेसिंग फीस चुपचाप आपके खाते में आने वाली रकम कम कर सकती है। दो लोन की EMI और ब्याज दर लगभग एक जैसी हो सकती है। लेकिन एक लेंडर पहले ही मोटी फीस, इंश्योरेंस या 'मेंबरशिप' चार्ज काट लेता है। एक सीधा सवाल जरूर पूछें- पहले दिन मेरे खाते में कितनी रकम क्रेडिट होगी?
अगर कटौती ज्यादा है, तो आप 5 लाख रुपये का लोन लेकर भी सिर्फ 4.85 लाख रुपये पा सकते हैं, जबकि ब्याज पूरे 5 लाख पर देना पड़ेगा।
3. प्रीपेमेंट और फोरक्लोजर के नियम, क्योंकि प्लान बदलते रहते हैं
ज्यादातर लोग पर्सनल लोन पूरी अवधि तक नहीं चलाते। बोनस मिलने, नौकरी बदलने या रीफाइनेंसिंग के बाद लोन जल्दी बंद कर दिया जाता है। यहीं छिपी लागत सामने आती है।
इसलिए पर्सनल लोन लेने से पहले तीन चीजें जरूर जांचें- क्या पार्ट प्रीपेमेंट की अनुमति है, कोई लॉक-इन पीरियड है या नहीं, और फोरक्लोजर चार्ज कितना है। थोड़ा ज्यादा ब्याज वाला लेकिन आसान प्रीपेमेंट वाला लोन बेहतर रहता है।
4. EMI, अवधि और तब की सुविधा जब कैश फ्लो टाइट हो
कम EMI सुरक्षित लगती है, लेकिन अक्सर इसका मतलब लंबी अवधि और ज्यादा कुल ब्याज होता है। ऑफर्स की तुलना करते समय सिर्फ EMI नहीं, बल्कि कुल भुगतान रकम देखें।
यह भी देखें कि लोन कितना फ्लेक्सिबल है। क्या आप EMI की तारीख बदल सकते हैं? क्या बाद में अवधि घटा सकते हैं? क्या बिना कस्टमर केयर की जंग लड़े एक्स्ट्रा पेमेंट कर सकते हैं? जब जिंदगी उलझती है, तब यही 'बोरिंग' फीचर्स सबसे ज्यादा काम आते हैं।
5. पेनल्टी और अगर कुछ गलत हो जाए तो लेंडर का रवैया
सबसे अनुशासित उधारकर्ता भी कभी-कभी बैंकिंग गड़बड़ी या टाइमिंग मिसमैच की वजह से EMI मिस कर सकता है। कुछ लेंडर भारी बाउंस चार्ज लगाते हैं, तुरंत पेनल ब्याज जोड़ देते हैं और उम्मीद से जल्दी क्रेडिट ब्यूरो में रिपोर्ट कर देते हैं।
साइन करने से पहले लेट पेमेंट चार्ज और बाउंस फीस जरूर देखें। साथ ही कस्टमर सर्विस की क्वालिटी और शिकायतों का पैटर्न भी समझें। पर्सनल लोन सिर्फ एक नंबर नहीं है, यह कुछ सालों का रिश्ता है, और आप चाहेंगे कि यह कम तनाव वाला हो।
बिना ज्यादा उलझे ऑफर्स तुलना करने का आसान तरीका
दो या तीन शॉर्टलिस्ट किए गए ऑफर्स लें और हर एक के लिए चार आंकड़े लिख लें- खाते में आने वाली नेट रकम, EMI, कुल भुगतान और 12 महीने बाद फोरक्लोजर की लागत। अक्सर इससे सही विकल्प खुद-ब-खुद साफ हो जाता है।
सबसे अच्छा पर्सनल लोन वह नहीं है, जिसकी हेडलाइन ब्याज दर सबसे कम हो। सबसे अच्छा लोन वह है जो आपकी असली स्थिति में सबसे कम खर्चीला पड़े और जरूरत पड़ने पर आपको आसानी से बाहर निकलने का रास्ता दे।
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