पर्सनल लोन : जानिए आपके क्रेडिट स्कोर का आपके पर्सनल लोन पर क्या असर पड़ता है. | Moneycontrol Hindi

पर्सनल लोन और क्रेडिट स्कोर: जानिए क्या होता है असर, जरूरी बातें और स्मार्ट मैनेजमेंट टिप्स

25 March, 2025 | 15:17 IST

पर्सनल लोन और क्रेडिट स्कोर: जानिए क्या होता है असर, जरूरी बातें और स्मार्ट मैनेजमेंट टिप्स
मौजूदा समय में डिजिटल प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन लेंडिंग ऐप्स की मदद से पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करना काफी आसान हो गया है. हालांकि, अप्लाई करना भले ही आसान हो गया हो, लेकिन अप्रूवल पाना आज भी एक मुश्किल काम है. क्योंकि इस दौरान जो फैक्टर बहुत अहम भूमिका निभाता है, वो है- आपका 'क्रेडिट स्कोर'.

क्रेडिट स्कोर केवल पर्सनल लोन ही नहीं बल्कि अलग-अलग फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स के लिए आपकी एलिजिबिलिटी को चेक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आपका क्रेडिट स्कोर आपके लोन मैनेज करने के तरीके से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. मजेदार बात ये है कि पर्सनल लोन लेना या इसके लिए अप्लाई करना भी आपके क्रेडिट स्कोर पर अस्थाई तौर पर असर डाल सकता है.

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क्या होता है क्रेडिट स्कोर?

क्रेडिट स्कोर एक नंबर होता है, जो लेंडर्स को आपकी लोन चुकाने की कैपेबिलिटी का आइडिया देता है. यह 300 से 900 के बीच होता है. इस बीच 750 से ऊपर का स्कोर बहुत अच्छा माना जाता है. यह बेहतर इंटरेस्ट रेट पर पर्सनल लोन पाने में आपकी मदद कर सकता है.

लेंडर्स (जैसे बैंक या NBFCs) अक्सर लोन अप्रूव करने से पहले क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं और बेहतर स्कोर वालों को आसानी से लोन देते हैं, क्योंकि यहां डिफॉल्ट का रिस्क कम होता है.

पर्सनल लोन का क्रेडिट स्कोर पर क्या असर पड़ता है?

पर्सनल लोन लेते समय आपके क्रेडिट स्कोर पर पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तरह का असर पड़ सकता है.

क्रेडिट मिक्स : आपका क्रेडिट स्कोर कई अलग-अलग तरह के फैक्टर्स से तय होता है. इनमें एक फैक्टर यह है कि आप अलग-अलग तरह के लोन्स को किस तरह से मैनेज कर पाते हैं. अगर आप भिन्न प्रकार के लोन्स को जिम्मेदारी से मैनेज करते हैं तो ये आपके क्रेडिट स्कोर पर पॉजिटिव इम्पैक्ट डालेगा.

समय पर रीपेमेंट : आपके क्रेडिट स्कोर पर सबसे ज्यादा असर आपकी रीपेमेंट हिस्ट्री का पड़ता है. अगर आप पर्सनल लोन लेते हैं और बिना किसी डिफॉल्ट के समय पर EMI का पेमेंट करते हैं, तो आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर हो सकता है. लेंडर आपके रीपेमेंट की जानकरी क्रेडिट ब्यूरो को देता है और समय पर EMIs का पेमेंट एक अच्छी अच्छी आदत को दर्शाता है. इससे आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ता है.

हार्ड इन्क्वायरी : जब आप पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो लेंडर आपकी क्रेडिट रिपोर्ट को गहराई से चेक करता है, जिसे हार्ड इंक्वायरी भी कहा जाता है. इस बीच हर एक हार्ड इंक्वायरी के साथ आपका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है. हालांकि, यह गिरावट आमतौर पर ज्यादा समय के लिए नहीं आती है और कुछ महीनों में सुधर सकती है. लेकिन कम समय में कई लोन्स के लिए अप्लाई करने से आपके क्रेडिट स्कोर पर नेगेटिव इम्पैक्ट भी पड़ सकता है.

पर्सनल लोन लेने के बाद अपने क्रेडिट स्कोर को कैसे मेंटेन करें 

पर्सनल लोन लेने के बाद एक हेल्दी क्रेडिट स्कोर मेंटेन करना बहुत जरूरी है. यहां कुछ तरीके बताए गए हैं, जिनसे आप ऐसा कर सकते हैं:

अपना क्रेडिट स्कोर चेक करें : अपने क्रेडिट स्कोर को रेग्युलरली चेक करना बहुत जरूरी है. यह आदत स्कोर पर असर डालने वाले किसी भी फैक्टर को समय रहते सुधारने में मददगार साबित हो सकती है. 

EMIs के लिए रिमाइंडर सेट करें : लेट पेमेंट्स या EMI न चुकाना आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचा सकता है. हर महीने समय पर अपनी EMI का पेमेंट करने के लिए रिमाइंडर या ऑटोमैटिक पेमेंट्स सेट करें. अगर आपके पास कई लोन्स या क्रेडिट कार्ड्स हैं, तो पहले ज्यादा इंटरेस्ट वाले लोन्स को चुकाएं.

जरूरत से ज्यादा उधार न लें: जरूरत से ज्यादा लोन लेना आपके क्रेडिट स्कोर को काफी नुकसान पहुंचा सकता है. सिर्फ इसलिए बड़ा लोन न लें क्योंकि बैंक ऑफर कर रहा है. इससे EMI डिफॉल्ट का रिस्क बढ़ सकता है और ऐसा होने पर आपका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो सकता है.

Moneycontrol ने टॉप लेंडर्स के साथ पार्टनरशिप की है. इसके तहत कंपनी 50 लाख रुपए तक का लोन ऑफर करती है. यह प्रोसेस 100% डिजिटल और आसान है, जिसमें इंटरेस्ट रेट केवल 10.5% pa से शुरू होता हैं. इसके साथ ही इसमें कोई हिडेन चार्जेज नहीं है.

डिफॉल्ट का क्रेडिट स्कोर पर क्या असर पड़ता है 

पर्सनल लोन डिफॉल्ट का आपके क्रेडिट स्कोर पर नेगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है. डिफॉल्ट जितना ज्यादा होगा, आपके लिए क्रेडिट स्कोर को दोबारा हेल्दी पोजीशन में लाना उतना ही मुश्किल होगा. इस बीच लेंडर कानूनी रास्ता अपनाकर कर्जे की वसूली शुरू कर सकता है. डिफॉल्टर को भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए अप्रूवल पाना मुश्किल हो जाएगा. इसके बाद भी अगर कोई लेंडर लोन अप्रूव करता है, तो इंट्रेस्ट रेट काफी ज्यादा हो सकता है.

क्रेडिट स्कोर : बैलेंसिंग जरूरी है 

पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड होते हैं. यानि इन पर होम लोन या ऑटो लोन जैसे सिक्योर्ड लोन्स के मुकाबले इंट्रेस्ट रेट हाई होता है. इसलिए, पर्सनल लोन को रेग्युलर खर्चों के साथ बैलेंस करना जरूरी है. वरना ये आपके डेट टू इनकम रेश्यो को प्रभावित कर क्रेडिट स्कोर पर भी असर डाल सकता है.

Moneycontrol आपके एम्प्लॉयमेंट स्टेटस के आधार पर पर्सनल लोन ऑफर करती है.  कंपनी का 3-स्टेप्स एप्लीकेशन प्रोसेस भी काफी आसान है :

  1. अपनी पर्सनल लोन एलिजिबिलिटी को चेक करने के लिए बेसिक जानकारी दें.
  2. इसके बाद KYC प्रोसेस पूरा करके अपनी आइडेंटिटी कंफर्म करें.
  3. अंत में सही EMI रीपेमेंट ऑप्शन चुनें.

इसके बाद कुछ ही मिनटों में आप फंड्स को अपने बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करवा सकते हैं.

सारांश

पर्सनल लोन के लिए एक अच्छा क्रेडिट स्कोर होना काफी अहम है. ये लोन अप्रूवल और इंट्रेस्ट रेट पर भी असर डाालता है. लोन का सही ढंग से रीपेमेंट करना भी क्रेडिट स्कोर के लिए बहुत जरूरी है. हालांकि कई बार लोन अप्लाई करने के बाद होने वाली हार्ड इन्क्वाइरी भी क्रेडिट स्कोर को गिरा सकती है, लेकिन ये अस्थाई होता है और लोन को सही ढंग से मैनेज कर हेल्दी क्रेडिट को मेंटेन किया जा सकता है

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