नई GST दरों के लागू होने के बाद छोटे पैक वाली वस्तुओं की कीमतें टूटे हुए पैसों में आने लगी हैं, जिससे दुकानदारों और ग्राहकों दोनों को छुट्टे पैसे देने और लेने में दिक्कत हो रही है। उदाहरण के तौर पर, ₹19 की सिगरेट अब ₹21.70 में बिक रही है, ₹2 का शैम्पू ₹1.77 में मिलता है और ₹1 की टॉफी की कीमत 88 पैसे रह गई है। इस वजह से दुकानदारों को संभालना मुश्किल हो रहा है क्योंकि 50 पैसे का सिक्का पहले ही बंद हो चुका है, और डिजिटल भुगतान की हर जगह सुविधा नहीं है।
GST दरों में कटौती का फायदा लगाने की कोशिश कंपनियां कर रही हैं, लेकिन दाम कम करने या समान का वजन बढ़ाने को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन न होने के कारण बाजार में असमंजस बना हुआ है। कई कंपनियों ने कीमतें कम करनी शुरू कर दी हैं, जैसे मोंडलेज ने बॉर्नविटा, ओरियो, और 5 स्टार चॉकलेट के दाम घटा दिए हैं। RSPL ग्रुप ने भी पुराने स्टॉक के दाम 13% तक कम किए हैं ताकि ग्राहकों को साफ दिखे कि टैक्स कटौती का लाभ उन्हें मिल रहा है। फिर भी, कारोबारियों को डर है कि वजन बढ़ाने को ग्राहक कैसे स्वीकार करेंगे और सरकार इसका कैसे मूल्यांकन करेगी।
छोटे पैकेट की मांग भारत में ज्यादा है जहां ₹1, ₹2, ₹5 और ₹10 के पैकेट बिकते हैं। शैम्पू के 79% बिक्री छोटे पैक से होती है, जबकि बिस्किट और चॉकलेट की बिक्री में भी यह हिस्सेदारी आधी से अधिक है। टूटे हुए दामों की वजह से दुकानदार और ग्राहक दोनों असमंजस में हैं कि छुट्टे पैसे का हिसाब-किताब कैसे करें। उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है यह समस्या कुछ दिनों की ही है। जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, कंपनियां पुराने राउंड नंबर वाले दामों पर लौट आएंगी, जिससे ग्राहक को समान मात्रा में बेहतर उत्पाद मिलेगा।
सरकार से भी कंपनियां मांग कर रही हैं कि दाम कम करने के बजाय अगर उत्पाद का वजन बढ़ा दिया जाए, तो क्या इसे लाभ पहुंचाने वाला माना जाएगा। फिलहाल इस विषय में स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं, जिससे कारोबारियों को संभलने में मुश्किल हो रही है। कालनावा इंडिया के प्रबंध निदेशक प्रशांत पेरेस के अनुसार बाजार में यह उलझन जल्द ही सुलझ जाएगी। उन्होंने माना कि GST कटौती के बाद अजीब दाम और भुगतान की दुविधा बनी है, लेकिन समय के साथ यह समस्या कम हो जाएगी।