Property Market: दिल्ली-एनसीआर में रियल एस्टेट बाजार के लिए एक बड़ा बदलाव आने वाला है। स्टैंप और रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने जिला मजिस्ट्रेट को एक प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें सर्कल रेट्स में बदलाव की मांग की गई है। इस प्रस्ताव के अनुसार रेजिडेंशियल इलाकों में सर्कल रेट्स को 25-30% तक बढ़ाने की योजना है। इसके साथ ही औद्योगिक, वाणिज्यिक और आईटी सेक्टर के लिए 10% और कृषि भूमि के लिए 15% बढ़ोतरी का सुझाव दिया गया है।
सर्कल रेट्स में बदलाव क्यों?
सर्कल रेट्स, जिनमें पिछली बार अगस्त 2019 में रिवाइज किया गया था, अब पांच सालों से इनमें बदलाव नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नए सर्कल रेट्स की घोषणा जल्द ही की जाएगी, और इसके लिए पब्लिक की राय भी ली जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि नए सर्कल रेट्स लागू होने से प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे खरीदारों को अधिक स्टैम्प शुल्क देना होगा।
रियल एस्टेट में लॉकडाउन के दौरान मंदी के कारण 2020 से 2023 तक सर्कल रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया गया। इसी साल गाजियाबाद में रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टीज के लिए 15-20% सर्कल रेट्स बढ़ाने का सुझाव दिया गया था। इसके पीछे तर्क यह है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फ्लैट्स की कीमतें पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ी हैं, जबकि सर्कल रेट्स के आधार पर वसूले गए स्टैम्प शुल्क कम हैं। इससे सरकारी राजस्व में भी अंतर देखा गया है।
सर्कल रेट्स कैसे तय होते हैं?
सर्कल रेट्स किसी भी प्रॉपर्टी के न्यूनतम मूल्य होते हैं, जिस पर वह रजिस्ट्रेशन के लिए मान्य होती है। यह रेट जिला प्रशासन या संबंधित विकास प्राधिकरण तय करता है। यह एरिया के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। ये रेट्स हर 6 महीने से 1 साल के बीच अपडेट किए जाते हैं, जिससे प्रॉपर्टी बाजार में पारदर्शिता और स्थिरता बनी रहती है।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सर्कल रेट्स के आंकड़े
नोएडा के सेक्टर 14 और 14A में रेजिडेंशियल प्लॉट्स की कीमत लगभग ₹1.1 लाख प्रति वर्ग मीटर है, जबकि सेक्टर 19 में यह ₹79,200 है। ग्रेटर नोएडा के अल्फा 1, 2 और गामा 2 क्षेत्रों में सर्कल रेट ₹37,000 प्रति वर्ग मीटर है। सर्कल रेट्स के बढ़ने से नई दरों पर प्रॉपर्टी की सेल-परचेज महंगी हो जाएगी और इसके साथ ही स्टैम्प शुल्क में भी बढ़ोतरी होगी।
स्टैम्प ड्यूटी कैसे होती है तय?
स्टैम्प शुल्क सर्कल रेट्स या भूमि आवंटन दरों के आधार पर लगाया जाता है, जो कि विकास प्राधिकरणों समय-समय पर रिवाइज करता है। इसमें न्यूनतम दर वह होती है जो राज्य सरकार तय करती है। जिससे प्रॉपर्टी के गलत तरीके से बढ़ाई गई कीमतों पर अंकुश लगता है और प्रॉपर्टी बाजार में स्थिरता आती है। आने वाले दिनों में जिला प्रशासन की ओर से सर्कल रेट्स को लेकर एक आधिकारिक घोषणा की जाएगी। इस रिवाइज से प्रॉपर्टी बाजार में क्या बदलाव आएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।