इंडिया रियल एस्टेट गाइडः स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ता भोपाल

भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर काफी गंभीर नजर आ रहा है।

अपडेटेड Oct 20, 2018 पर 6:54 PM
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, वैसे तो भोपाल झीलों के शहर के तौर पर मशहूर है लेकिन इन दिनों क्लीन इंडिया सर्वे में अपने दूसरे नंबर की वजह से खास तौर पर चर्चा में है। भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर काफी गंभीर नजर आ रहा है। तात्याटोपे नगर में अपने मोस्ट अवेटेड प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी भोपाल के लिए सरकार ने करीब 350 एकड़ जमीन पर एक शानदार ख़ाका तैयार किया है। जहां अगले 20 साल तक 60000 लोगों के लिए वर्ल्ड क्लास स्कूल, हेल्थ, रोड, इंटरटेनमेंट समेत काफी बड़े ग्रीन एरिया में एडवांस इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की योजना तैयार की गई है। जहां सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, कमांड कंट्रोल डेटा सेंटर, स्मार्ट ट्रांस्पोर्टेशन, स्मार्ट पोल एंड सर्विलांस समेत स्मार्ट लिविंग पर जोर दिया जा रहा है। इस तरह के प्रयास सिर्फ भोपाल में ही नहीं मध्य प्रदेश में बनने वाले 7 अलग- अलग शहरों के लिए किए जा रहे हैं।

किसी भी शहर को अच्छी तरह से मैनेज करने लिए सबसे अहम होता है वहां मौजूद सुविधाओं का सुचारू रूप से काम करना और आम लोगों का सरकारी विभागों के साथ आसान संवाद। मैन्युअली ये थोड़ा मुश्किल था लेकिन तकनीक ने इसे आसान बनाया और नतीजा आईसीसीसी यानि इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के तौर पर सामने है। इस सिस्टम के जरिए शहर में मौजूद सभी सुविधाओं और सेवाओं को एक साथ जोड़ कर सिंगल प्लेटफार्म दिया जाता है। इसी तरह सीएम हेल्प लाइन के जरिए किसी भी समस्या को व्यवस्थित विभागों के साथ ही मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जा सकता है और उसके हल के लिए निश्चित समय सीमा भी तय होती है। इसके सिस्टम से पुलिस, स्वास्थ सेवाएं, सरकारी विभाग और आम लोग एक साथ जुड़े होते हैं, इससे किसी भी तरह की आपात स्थिति पर तुरंत काबू किया जा सकता है।

किसी भी शहर के लिए ट्रैफिक को मैनेज करना काफी मुश्किल होता है लेकिन भोपाल ने इस समस्या का भी हल निकाल लिया है। भोपाल आईटीएमएस यानि इंटिग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए शहर के ट्रैफिक को नियंत्रित और सुरक्षित बना रहा है। आईटीएमएस में मोशन सेंसर्स और एडवांस कैमरा के जरिए शहर के ट्रैफिक की निगरानी की जाती है। नियम तोड़ने वाले लोगों को पहले चेतावनी दी जाती है और ना मानने पर फोटो सहित सिस्टम जनरेटेड चालान उन्हें ईमेल और मैन्युअली भेज दिया जाता है। आईटीएमएस गाड़ियों की नंबर प्लेट और आकार के जरिए उनका एक डेटाबेस भी तैयार करता है ताकि दुर्घटना और क्राइम के वक्त मदद में आसानी हो। आईटीएमएस ने भोपाल के ट्रैफिक सिस्टम में काफी बड़ा बदलाव किया है।     

उस स्मार्ट और मॉर्डन शहर का क्या फायदा जहां लोगों के पास बुनियादी सुविधाएं ही ना हों, इस बात को ध्यान में रखते हुए एक ओर स्मार्ट सिटी भोपाल के तहत स्लम में रह रहे लोगों को पक्के घरों में शिफ्ट करने पर मंथन जारी है तो दूसरी ओर युवा आंत्रप्रेन्योर्स के लिए इंक्यूबेशन सेंटर भी बनाया जा रहा है।

इन्क्यूबेशन सेंटर बी नेस्ट में युवा आंत्रप्रेन्योर्स को सफल बनाने और उनके सपनों को धरातल पर लाने के लिए इंडस्ट्री के एक्सपर्ट गाइड करते हैं। यहां बिना किसी खर्च चौबीस घंटे सातो दिन चुने हुए आंत्रप्रेन्योर्स को मॉर्डन वर्क प्लेस, बिजनेस की बारीकियां, फाइनेंशियल और लीगल एजवाइजरी समेत एडवरटाइजिंग और मार्केटिंग सर्विस मुहैया कराई जाती है। इतना ही नहीं अच्छी योजनाओं को इंडस्ट्री में पैर जमाने के लिए उन प्लेटफार्म तक पहुंचाया जाता है जहां उन्हें आर्थिक सहायता भी मिल सके।       

साईकिल को लगभग भूल चुके लोगों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत स्मार्ट साइकिलिंग का आप्शन दिया गया है। शहर के अलग-अलग हिस्सों में पब्लिक बाइक शेयरिंग के ऐसे सेंटर्स बनाए गए हैं। इन सेंटर्स से आप ऐप के जरिए जीपीएस से कनेक्ट डिजिटल लॉक साइकिल्स को अनलॉक करके 30 मिनट तक मुफ्त साइकिलिंग का मज़ा ले सकते हैं और उससे ज्यादा वक्त के लिए मामूली किराया देना होगा। इन साइकिल्स को किसी भी सेंटर से लिया या उनपर छोड़ा जा सकता है। सबसे अच्छी बात साइकिल चलाने वालों के लिए डेडिकेटेड साइकिल ट्रैक बनाए गए हैं। इसके अलावा अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने के लिए हब एंड स्पोक मॉडल पर काम किया जा रहा है।


स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ही रोड साइड पर स्मार्ट पोल्स लगाए गए हैं जो लगते तो समान्य पोल जैसे ही हैं लेकिन इनमें कई सारे फीचर्स हैं मसलन,  इनमें एनर्जी सेविंग एलईडी लाइट हैं, इसके साथ ही ये खम्भे वाई फाई हॉटस्पॉट सर्विस प्रदान करते हैं, इन पोल्स में सर्विलांस कैमरे भी लगे हुए हैं, एयर क्वालिटी, तापमान और ह्यूमिडिटी मॉनीटर करने के लिए सेंसर्स लगे हैं, इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए चार्जिंग प्वाइंट। और ये सब कुछ कनेक्ट होगा कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से ताकि हर पहलू से शहर की सुविधा और सुरक्षा का जायज़ा मिलता रहे।

भोपाल की ज्यादातर सरकारी सर्विस को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने के लिए भोपाल प्लस ऐप डिजाइन किया गया है, जहां तमाम विभागों को एक साथ जोड़ा गया है। स्मार्ट सिटी भोपाल प्रोजेक्ट इस तरह से प्लान किया गया है कि इसे आर्थिक जरूरतों के लिए सरकार पर निर्भर ना रहना पड़े।

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First Published: Oct 20, 2018 6:54 PM

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