Property Market: यूपी के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में घर खरीदना पहले से ज्यादा महंगा हो जाएगा। अब होमबायर्स को शुरुआत में ही घर की कुल कीमत का 10 फीसदी पेमेंट करने के बाद ही 6 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी और 1 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन चार्ज का पेमेंट करना होगा। अगर आपकी डील किसी भी कारण से कैंसिल होती है, तो स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज का पैसा वापिस मिलेगा या नहीं? इस बारे में कुछ भी साफ नहीं है। यानी, पैसा फंसने के पूरे चांस हैं।
यूपी सरकार ने लागू किये प्रॉपर्टी को लेकर नए नियम
उत्तर प्रदेश सरकार ने रियल एस्टेट में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए नियम लागू किए हैं। अब फ्लैट की कुल कीमत का 10% पेमेट करने के बाद बिल्डर-बायर एग्रीमेंट को रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा। इस बदलाव का मकसद पारदर्शिता लाना है, लेकिन इससे खरीदारों और बिल्डरों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इन नियमों के अनुसार खरीदारों को शुरुआत में ही फ्लैट की कीमत का 10% पेमेट, 6% स्टांप ड्यूटी और 1% रजिस्ट्रेशन चार्ज चुकाना होगा। पहले यह खर्च प्रोजेक्ट के पूरा होने पर किया जाता था, जिससे खरीदार अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार समय पर पेमेंट कर पाते थे। लेकिन अब पैसे नहीं होने के बावजूद सरकारी नियमों का पालन करना होगा।
मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए मुश्किल बना नियम
नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे इलाकों में खासतौर पर मध्यवर्गीय परिवारों के लिए यह नया नियम मुश्किल साबित हो सकता है। इन अतिरिक्त खर्चों के कारण कई लोग फ्लैट खरीदने का फैसला टाल सकते हैं, जिससे घर खरीदने की दरों में कमी आ सकती है।
बिल्डरों के सामने समस्याएं
बिल्डरों को हर सेल समझौते को जल्द रजिस्टर कराने की अतिरिक्त जिम्मेदारी उठानी होगी। इसके कारण उनके ऊपर प्रशासनिक और वित्तीय दबाव बढ़ सकता है। इससे प्रोजेक्ट की कॉस्ट में बढ़ोतरी और निर्माण कार्य में देरी होने की संभावना है। बाजार के एक्सपर्ट का मानना है कि ये नए नियम बिल्डरों के कामकाज को और चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं, जिससे प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो पाएंगे और खरीदार असंतुष्ट हो सकते हैं।
हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में रजिस्ट्रेशन के लिए शुरुआती चार्ज बेहद कम (₹1,000-₹10,000) है। यहां खरीदारों को बड़े खर्च प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद करने पड़ते हैं। इससे खरीदार और बिल्डर दोनों को आर्थिक रूप से राहत मिलती है। वहीं, यूपी में 6% स्टांप ड्यूटी और 1% पंजीकरण चार्ज का बोझ खरीदारों को शुरुआत में ही ज्यादा पैसे अरेंज करने होंगे। यह नियम खरीदारों और बिल्डरों दोनों के लिए वित्तीय दबाव बढ़ा सकता है।
रिफंड नीतियों की कमी होना
अगर किसी कारण से खरीदार को बुकिंग रद्द करनी पड़े, तो उन्हें पहले से चुकाई गई स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज का नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस मामले में रिफंड नीतियों की स्पष्टता नहीं है, जो खरीदारों के लिए चिंता का कारण बन सकती है। रियल एस्टेट एक्सपर्ट के अनुसार लगभग 15-20% खरीदार किसी न किसी वजह से बुकिंग रद्द करते हैं। बिना रिफंड की सुविधा, खरीदारों का भरोसा कमजोर हो सकता है।
इन नए नियमों से नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे इलाकों में रियल एस्टेट की मांग घट सकती है। खरीदार उन राज्यों का रुख कर सकते हैं, जहां शुरुआती खर्च कम हो। साथ ही बढ़ती लागत और देरी से बिल्डरों के प्रोजेक्ट महंगे हो सकते हैं, जिससे बाजार में कंपिटिशन पर असर होगा।