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RBI ने लोन की EMI फ्लोटिंग रेट से तय करने के लिए डिटेल गाइडलाइंस जारी की, जानिए इसमें क्या कहा गया है

18 अगस्त को जारी इस गाइडलाइंस में सभी रजिस्टर्ड एंटिटीजी (RE) को लोन के ग्राहकों को स्पष्ट रूप से लोन के बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट में बदलाव के संभावित असर के बारे में बताने को कहा गया है। इसका मतलब है कि बैंकों को अपने ग्राहकों को यह साफ तौर पर बताना होगा कि बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट में बदलाव से उनके लोन की EMI या उसकी अवधि (tenor) पर क्या असर पड़ेगा

अपडेटेड Aug 18, 2023 पर 3:20 PM
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गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि बैंकों को ग्राहकों को EMI बढ़ाने या लोन की अवधि बढ़ाने या दोनों ही ऑप्शंस के इस्तेमाल की इजाजत देनी होगी। ग्राहकों को लोन को तय वक्त से पहले आंशिक रूप या पूरी तरह से चुकाने का भी विकल्प देना होगा।

RBI ने फ्लोटिंग इंटरेस्ट लोन में EMI का इंटरेस्ट रेस्ट तय करने के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी है। 18 अगस्त को जारी इस गाइडलाइंस में सभी रजिस्टर्ड एंटिटीजी (RE) को लोन के ग्राहकों को स्पष्ट रूप से लोन के बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट में बदलाव के संभावित असर के बारे में बताने को कहा गया है। इसका मतलब है कि बैंकों को अपने ग्राहकों को यह साफ तौर पर बताना होगा कि बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट में बदलाव से उनके लोन की EMI या उसकी अवधि (tenor) पर क्या असर पड़ेगा। केंद्रीय बैंक ने इस बारे में एक रिलीज जारी किया है।

ग्राहकों को 31 दिसंबर तक देनी होगी जानकारी

RBI की रिलीज में कहा गया है कि बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट में बदलाव के बारे में EMI/tenor या दोनों में होने वाली वृद्धि के बारे में तुरंत उचित माध्यम से ग्राहक (borrower) को बताना होगा। इस महीने के दूसरे हफ्ते में आरबीआई ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में कहा था कि वह इस बारे में जल्द गाइडलाइंस जारी करेगा। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि सभी REs को सुनिश्चित करना होगा कि उपर्युक्त निर्देश के बारे में नए और पुराने लोन के ग्राहकों को 31 दिसंबर, 2023 तक जानकारी दे दी जाए।


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फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट में स्विच करने का भी ऑप्शन देना होगा

केंद्रीय बैंक ने कहा है कि सभी मौजूदा ग्राहकों को उचित माध्यम से यह जानकारी दी जाएगी। इसमें उन्हें उपलब्ध ऑप्शंस के बारे में बताया जाएगा। RBI ने बैंकों को एक दूसरा अहम निर्देश भी दिया है। उसने कहा है कि बैंकों को ग्राहकों (borrower) को फिक्स्ड रेट में स्विच करने का ऑप्शन देना होगा। यह बैंक के बोर्ड से एप्रूव्ड पॉलिसी के मुताबिक होगा। इसमें यह भी बताया जाएगा कि एक बॉरोअर को अपने लोन की अवधि में कितनी बार स्विच करने की इजाजत होगी।

फुल या पार्शियल प्रीपेमेंट की सुविधा भी देनी होगी

गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि बैंकों को ग्राहकों को EMI बढ़ाने या लोन की अवधि बढ़ाने या दोनों ही ऑप्शंस के इस्तेमाल की इजाजत देनी होगी। ग्राहकों को लोन को तय वक्त से पहले आंशिक रूप या पूरी तरह से चुकाने का भी विकल्प देना होगा। वे लोन की अवधि में कभी इस ऑप्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं। REs को लोन की स्विचिंग से जुड़े सभी चार्जेज के बारे में ग्राहकों को बताना होगा। REs को लोन स्टेटमेंट जितना आसान हो सके, उतना बनाने को भी कहा गया है।

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