आजकल लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए क्रेडिट स्कोर की भूमिका सबसे अहम हो गई है, लेकिन इसका पुराना मासिक अपडेट सिस्टम कई बार लोगों को परेशान कर देता था। RBI ने अब ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी कर इसे हफ्ते में एक बार अपडेट करने का नियम बनाया है, जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। इससे अच्छे भुगतान का असर तुरंत दिखेगा और खराब स्कोर सुधारने वालों को जल्द राहत मिलेगी।
पुरानी व्यवस्था की कमियां
पहले बैंक और NBFC क्रेडिट ब्यूरो को हर महीने या फोर्टनाइटली डेटा भेजते थे, जिससे EMI क्लियर करने या लोन बंद करने के बाद भी स्कोर में 30-45 दिन लग जाते थे। इससे लोन अप्रूवल में देरी होती थी और ब्याज दरें ऊंची पड़ती थीं। कई बार लोग बिना वजह रिजेक्ट हो जाते, क्योंकि ब्यूरो को ताजा जानकारी नहीं मिल पाती। RBI का कहना है कि क्रेडिट अंडरराइटिंग के लिए रीयल-टाइम डेटा जरूरी है।
अब बैंक 7, 14, 21, 28 तारीख और महीने के आखिरी दिन इंक्रीमेंटल डेटा भेजेंगे यानी सिर्फ बदलाव वाली जानकारी जैसे नया लोन, बंद अकाउंट, EMI पेमेंट, वर्ड्यू क्लियर या एसेट क्लासिफिकेशन में तबदीली। पूरा मंथली फाइल अगले महीने की तीसरी तारीख तक जमा करनी होगी। क्रेडिट इंफो कंपनी (CIC) इसे तेजी से अपडेट करेंगी, जिससे स्कोर 7 दिनों में रिफ्रेश हो जाएगा। बैंक को डेटा रिजेक्शन कम करने के लिए यूनिफॉर्म वैलिडेशन नियम फॉलो करने होंगे।
किसे मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?
जिन्होंने हाल ही में लोन चुकाया या क्रेडिट कार्ड बिल क्लियर किया, उनका स्कोर तेजी से ऊपर चढ़ेगा, जिससे नया लोन या कार्ड जल्द मिलेगा। ब्याज दरें कम हो सकती हैं, क्योंकि बैंक ताजा डेटा पर फैसला लेंगे। क्रेडिट बिल्डिंग करने वालों, स्टूडेंट्स या छोटे बिजनेसमैन को विशेष लाभ अब इंतजार की बजाय साप्ताहिक चेकिंग से प्लानिंग आसान। हालांकि, खराब भुगतान का नेगेटिव इफेक्ट भी जल्द दिखेगा।
बैंक और ब्यूरो पर क्या असर?
बैंकों को सिस्टम अपग्रेड करना पड़ेगा, ताकि हर कटऑफ के 2 दिनों में डेटा भेज सकें। देरी होने पर RBI के DAKSH पोर्टल पर फ्लैग होगा। CIC को फास्टर प्रोसेसिंग और एरर रेक्टिफिकेशन सुधारना होगा। कुल मिलाकर, यह सिस्टम क्रेडिट मार्केट को ज्यादा ट्रांसपेरेंट और रिस्पॉन्सिव बनाएगा, लेकिन शुरुआत में तकनीकी चुनौतियां आ सकती हैं।