त्योहारी सीजन के दौरान देशवासियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की सबसे ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 1.54 प्रतिशत पर आ गई है, जो पिछले महीने अगस्त के मुकाबले 0.53 प्रतिशत कम है। यह आंकड़ा जून 2017 के बाद सबसे नीचा स्तर है, जिससे उपभोगताओं की जेब पर काफी असर पड़ेगा और वे पहले की तुलना में अधिक बचत कर पाएंगे।
स्थिति में सुधार का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरी हुई दर है। सितंबर में सब्जियों, दालों, तेल, वसा, फलों, अनाज और अंडों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। खासतौर पर हरी सब्जियों के दामों में 21.38 प्रतिशत तक गिरावट आई है, जबकि दालों की कीमतों में 15.32 प्रतिशत की कमी देखी गई। खाद्य महंगाई सितंबर में -2.28 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो दिसंबर 2018 के बाद सबसे कम है। इसके अलावा, तेल, वसा और फलों की कीमतें भी नियंत्रण में हैं, जिससे महंगाई पर दबाव कम हुआ है।
भारत सरकार ने हाल ही में लागू किए गए जीएसटी सुधारों के चलते कीमतों को नियंत्रित करने में सफलता पाई है। जीएसटी रिफॉर्म से बाजार में वस्तुओं की कीमतों पर दबाव कम हुआ है, जिससे खर्च कम हो रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रह सकती है, जिससे त्योहारी सीजन में लोगों को महंगाई के बोझ से राहत मिल सकेगी।
महंगाई दर का मतलब आमजन के लिए
महंगाई में कमी का सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा क्योंकि जब कीमतें कम होंगी तो रोजमर्रा की खरीदारी सस्ती पड़ेगी। इससे खासतौर पर घरेलू महिलाओं के लिए किचन बजट संभालना आसान होगा और वे पहले से अधिक बचत कर सकेंगी। साथ ही यह खेती और खाद्य उत्पादन क्षेत्रों के लिए भी सकारात्मक संकेत है, जो आपूर्ति श्रृंखला में सुधार दर्शाता है।
समग्र आर्थिक स्थिति पर असर
खाद्य और ईंधन को हटाकर देखी गई कोर महंगाई 4.5 प्रतिशत के करीब है, जो थोड़ी बढ़ोत्तरी दर्शाता है। हालांकि, कुल मिलाकर महंगाई दर इतनी कम होने से भारतीय रिजर्व बैंक के लिए दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है, जिससे आर्थिक विकास को बल मिलेगा। त्योहारी सीजन में महंगाई की इस गिरावट के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि आर्थिक गतिविधियां गति पकड़ेंगी।