Credit Cards

60 साल की उम्र में आसानी से हो सकते हैं रिटायर, यह है इसके लिए बेस्ट स्ट्रेटेजी

रिटायमेंट प्लानिंग जितनी जल्द की जाए उतना अच्छा है। अगर कोई व्यक्ति जल्द रिटायर करना चाहता है तो उसके लिए यह और भी जरूरी है। रिटारमेंट के बाद आपके कुछ खर्च घट जाते हैं, लेकिन कुछ नए खर्च बढ़ जाते हैं। मेडिकल केयर पर होने वाला खर्च इसका उदाहरण है

अपडेटेड Nov 08, 2024 पर 11:19 AM
Story continues below Advertisement
इंडिया में रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है।

आज कई लोग 60 से पहले रिटायर करना चाहते हैं। खासकर युवाओं में इसकी चाहत बढ़ रही है। इंडिया में रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है। प्राइवेट सेक्टर में रिटायरमेंट उम्र 58 साल है। सरकार की तरफ से कोई सोशल सिक्योरिटी सिस्टम नहीं होने से रिटायरमेंट प्लान और भी जरूरी हो जाती है। अगर कोई व्यक्ति जल्द रिटायर करना चाहता है तो उसे किन बातों का ध्यान रखना होगा? उसकी स्ट्रेटेजी क्या होनी चाहिए? सीएनबीसी-टीवी18 ने इन सवालों के जवाब जानने के लिए रजत चट्टोपाध्याय और विशाल धवन से बातचीत की। चटोपाध्याय एसबीआई म्यूचुअल फंड के ईवीपी हैं। धवन प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के फाउंडर और सीईओ हैं।

रिटायरमेंट का सही मतलब 

चट्टोपाध्याय ने बताया कि रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) का मतलब सिर्फ पैसे का मैनेजमेंट नहीं है। इसका मतलब अपने सपने और शौक (Aspirations) को पूरा करना भी है। जब हम काम करे होते हैं तो रोजाना की जिम्मेदारियों को पूरा करने के अलावा हमारे पास वक्त नहीं होता है। हम अपने मन के कई काम करना चाहते हैं, लेकिन हम कर नहीं पाते। इसलिए रिटायरमेंट वह समय है जब हमारे पास खुद के लिए कुछ करने का समय होता है। अपने उन सपनों को पूरा करने का मौका होता है, जिन्हें हम लंबे समय से देखते आए हैं।


सपने और शौक पूरे करने का सही वक्त

धवन ने कहा, "हमारे सामने कई जिम्मेदारियां होती हैं। कई वित्तीय लक्ष्य होते हैं। सभी के लिए पैसे की जरूरत होती है। हम अपने बच्चों की शिक्षा के लिए सेविंग्स करना चाहते हैं। हम अपने लिए घर खरीदना चाहते हैं। कार खरीदना चाहते हैं। हॉलीडे पर विदेश जाना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि इसके बाद रिटायरमेंट आता है। हमें रिटायरमेंट बाद के खर्चों के बारे में सोचना होता है। फिर, इनफ्लेशन का असर है। इनफ्लेशन की वजह से जरूरी चीजों पर हमारा खर्च बढ़ता रहता है। कई लोग सोचते हैं कि रिटायरमें के बाद उनके खर्च घट जाएंगे। लेकिन, ऐसा होता नहीं है।

रिटायरमेंट बाद का खर्च

सवाल है कि रिटायरमेंट बाद के खर्च के लिए हमारे पास कितने पैसे होने चाहिए? इसके जवाब में धवन ने कहा कि सबसे पहले व्यक्ति को अपने खर्चों को समझना होगा। फिर आपको यह देखना होगा कि आपके कौन से खर्च बढ़ने वाले हैं। उदाहरण के लिए आपके ग्रॉसरी खर्च में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं होने जा रहा है। लेकिन, ज्यादा उम्र में मेडिकल पर होने वाला खर्च बढ़ जाएगा। उधर, बच्चों पर होने वाला खर्च कम हो जाएगा। लेकिन, आपका जरूरी खर्च इनफ्लेशन की वजह से बढ़ जाएगा। आपको रिटायरमेंट के बाद इनफ्लेशन से ज्यादा रिटर्न हासिल करने पर फोकस करना होगा। ऐसा नहीं करने पर आपके पैसे की वैल्यू घटती जाएगी।

कैसे करें रिटायरमेंट प्लानिंग?

चट्टोपाध्याय ने कहा कि रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स और निवेश से जुड़े कई फॉर्मूला हैं। सबसे आसान फॉर्मूला यह है कि अगर कोई व्यक्ति आज 20 साल का है तो उसे अपनी इनकम का कम से कम 20 फीसदी सेविंग्स के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। अगर व्यक्ति 30 साल का है तो वह अपनी इनकम का 30 फीसदी सेविंग्स कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति 35 साल का है और वह हर महीने 5,500 रुपये का इनवेस्टमेंट करता है तो 25 साल बाद वह 1 करोड़ रुपये का फंड तैयार कर सकता है।

यह भी पढ़ें: क्या गवर्नमेंट एंप्लॉयी एक साथ GPF और NPS में इनवेस्ट कर सकता है?

जल्द इनवेस्टमेंट शुरू करने के फायदे

मजेदार बात यह है कि अगर व्यक्ति 25 साल की उम्र में रिटायरमेंट के लिए इनवेस्टमेंट शुरू कर देता है तो उसे हर महीने 5,500 इनवेस्ट करने की जरूरत नहीं पड़ेगा। वह सिर्फ 1,500 रुपये हर महीने के इनवेस्टमेंट से एक करोड़ का फंड तैयार कर सकता है। इसका मतलब है कि आप जितनी जल्द इनवेस्टमेंट की शुरुआत करेंगे, उतना ज्यादा फायदा आपको होगा।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।