कई लोग रिटायरमेंट प्लानिंग को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं। कई साल निकल जाने के बाद उन्हें रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स और निवेश शुरू करने का ध्यान आता है। रिटायरमेंट प्लानिंग जितनी जल्द शुरू होगी, बड़ा फंड जुटाने में उतनी आसानी होगी। 20 से 30 साल और इससे ज्यादा उम्र के व्यक्ति को जल्द रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए। इससे उन्हें सेविंग्स और इनवेस्टमेंट के लिए ज्यादा समय मिलेगा।
रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) में कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। छोटी-छोटी बातों का लंबी अवधि में बड़ा असर पड़ता है। आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स (Savings) और निवेश (Investment) के साथ आपके ऊपर कई तरह की वित्तीय जिम्मेदारियां आएंगी, जिन्हें आपको पूरा करना होगा।
रिटायरमेंट प्लानिंग में इन बातों का रखें ध्यान:
लंबी अवधि का निवेश करने में इनफ्लेशन का ध्यान रखना सबसे जरूरी है। इनफ्लेशन की वजह से पैसे की वैल्यू घटती जाती है। इसलिए आपको यह ध्यान रखना होगा कि आपके निवेश पर मिलने वाला रिटर्न इनफ्लेशन रेट से ज्यादा होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर पैसा आपको बढ़ता दिखेगा, लेकिन उसी असल वैल्यू घटती जाएगी।
अलग-अलग निवेश के विकल्पों के टैक्स के नियम अलग-अलग हैं। ज्यादा टैक्स की वजह से किसी इनवेस्टमेंट का असल रिटर्न काफी घट जाता है। लंबी अवधि के निवेश में तो इससे काफी फर्क पड़ता है। इसलिए किसी इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने से पहले उससे जुड़े टैक्स के नियमों को जान लेना जरूरी है।
अगर आप रिटायरमेंट जैसे लंबी अवधि का निवेश शुरू करना करना चाहते हैं तो आपको पहले एक इमर्जेंसी फंड बना लेना होगा। इसकी वजह यह है कि कई बार हमारे सामने ऐसी स्थिति आ जाती है जब पैसे की अचानक जरूरत होती है। इसका सीधा असर हमारी सेविंग्स और इनवेस्टमेंट पर पड़ता है। अगर आपके पास इमर्जेंसी फंड है तो आप ऐसी जरूरतों के लिए इस फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपकी सेविंग्स और निवेश में बाध नहीं आएगी।
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कई युवा जल्द रिटायर होना चाहते हैं। दरअसल, इंडिया में रिटायरमेंट की उम्र 58-60 साल है। लेकिन, कई युवा 50-55 तक रिटायर हो जाना चाहते हैं। अगर आप भी जल्द रिटायर करना चाहते हैं तो आपका सेविंग्स और इनवेस्टमेंट प्लान एग्रेसिव होना चाहिए। इसका मतलब है कि कम समय में आपको ज्यादा सेविंग्स और निवेश करना होगा।