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रिटायरमेंट बाद के खर्चों के लिए 4 फीसदी रूल का करें इस्तेमाल, अगले 30 साल तक रहें टेंशन-फ्री

इस रूल की शुरुआत फाइनेंशियल एडवाइजर बिल बेनजेन ने 1990 के दशक में की थी। यह रिटायर हो चुके लोगों के लिए आज एक बड़ा फाइनेंशियल टूल है। इसे तैयार करने के लिए 1926 से 1976 के मार्केट डेटा का विश्लेषण किया गया

अपडेटेड Feb 13, 2025 पर 4:16 PM
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इस रूल के कई फायदे हैं। यह इस्तेमाल करने में आसान है। यह काफी भरोसेमंद है।

महंगाई जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उससे रिटायर्ड लोग अपने खर्चों को लेकर चिंतित हैं। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि रिटायरमेंट के लिए किए गए इनवेस्टमेंट का इस्तेमाल किस तरह से करने में फायदा है। ऐसे लोगों को 4 फीसदी रूल से मदद मिल सकती है। इस रूल की शुरुआत फाइनेंशियल एडवाइजर बिल बेनजेन ने की थी। यह रिटायर हो चुके लोगों के लिए आज एक बड़ा फाइनेंशियल टूल है। इसे तैयार करने के लिए 1926 से 1976 के मार्केट डेटा का विश्लेषण किया गया।

इनवेस्टमेंट को इनफ्लेशन के साथ एडजस्ट करें

इस रूल में यह कहा गया है कि रिटायरमेंट के पहले साल में अपने इनवेस्टमेंट के 4 फीसदी का इस्तेमाल करना होगा। हर साल इस अमाउंट को इनफ्लेशन के साथ एडजस्ट करना होगा। इससे रिटायरमेंट के लिए किए गए इनवेस्टमेंट का इस्तेमाल लंबे समय तक किया जा सकता है। यह रूल रिटायर हो चुके लोगों को फाइनेंशियल मैनेजमेंट में काफी मदद करता है। लंबे समय से रिटायर्ड लोग इस रूल का इस्तेमाल अपने रिटायरमेंट इनवेस्टमेंट के इस्तेमाल के लिए कर रहे हैं।


यह रूल इस्तेमाल करने में काफी आसान है

इस रूल के कई फायदे हैं। यह इस्तेमाल करने में आसान है। यह काफी भरोसेमंद है। इसमें बदलती स्थितियों के हिसाब से बदलाव की गुंजाइश है। इस रूल को अप्लाई करने से आपकी सेविंग्स का पैसा रिटायरमेंट के बाद 30 साल तक चल सकता है। इस रूल में इनफ्लेशन और व्यक्तिगत स्थितियों के हिसाब से बदलाव करने की गुंजाइश है। हालांकि, इस रूल में बाजार के उतारचढ़ाव के असर को ध्यान में नहीं रखा गया है। इसके अलावा अचानक आए बड़े खर्च का ध्यान भी इसमें नहीं रखा गया है।

कुछ स्थितियों में काम नहीं करता है यह रूल

अगर रिटायरमेंट के शुरुआती सालों में मार्केट का रिटर्न अच्छा नहीं रहता है तो सेविंग्स का पैसा जल्द खत्म हो सकता है। इसमें विड्रॉल के लिए एक निश्चित रेट का अनुमान लगाया है। कई बार ऐसी स्थितियां पैदा हो जाती है, जिसमें व्यक्ति को ज्यादा पैसे विड्रा करना जरूरी हो जाता है। इनफ्लेशन एडजस्टमेंट और चीजों की कीमतों में होने वाली असल वृद्धि के बीच बड़ा फर्क पैदा हो सकता है। इसलिए कई बार यह रूल व्यक्ति की जरूरत पूरी करने के लिहाज से नाकाफी साबित होता है।

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