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ग्लोबल मार्केट में आई भारी गिरावट, एक्पर्ट्स से जानें अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंडों में रहें बनें या इनसे निकलें?

निवेशकों को सलाह है कि वे बढ़ती ब्याज दरों के अलावा जियो-पोलिटिकल तनाव को भी ध्यान में रखें। या भी ध्यान में रहे कि अस्थिरता रातों-रात गायब नहीं हो सकती है

अपडेटेड May 18, 2022 पर 1:51 PM
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बढ़ती ब्याज दरों ने नए युग के टेक्नोलॉजी वाले ग्रोथ स्टॉक्स को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है। जानकारों का कहना है कि ग्रोथ स्टॉक्स पर बढ़ती ब्याज दरों का उलटा असर होता है

पूरी दुनिया के इक्विटी बाजारों में हाल के दिनों में भारी गिरावट देखने को मिली है। अमेरिका में Nasdaq-100 अपने नवंबर 2021 के हाई से 26.48 फीसदी टूट गया है। यूएस फेड की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते तमाम स्टॉक की भारी पिटाई हुई है। इसके चलते अमेरिकी स्टॉक्स में पैसे लगाने वाले, इंटरनेशनल म्यूचूअल फंडों में निवेश करने वाले तमाम भारतीयों को काफी नुकसान सहना पड़ा है।

अमेरिका दुनिया का सबसे अहम मार्केट है जो टेक्नोलॉजी की दुनिया के तमाम बड़े नामों का घर है। इन कंपनियों को कोविड -19 महामारी के दौरान डिजिटलीकरण की आई बहार का जबरदस्त फायदा मिला था। जिसके चलते इनके शेयरों के भाव आसमान चूमते नजर आए थे लेकिन हाल की गिरावट में इनके शेयर जितनी तेजी से ऊपर भागे थे उतनी ही तेजी से नीचे की तरफ फिसले हैं। इस साल के शुरुआत से ही तमाम कारणों की वजह से Netflix और Paypal Holdings के शेयर 68.85 और 58.20 फीसदी तक टूट गए हैं।

Edelweiss Asset Management के निरंजन अवस्थी का कहना है कि हालांकि इन टेक स्टॉक की अर्निंग ग्रोथ मजबूत थी लेकिन इनमें से कुछ स्टॉक के वैल्यूएशन काफी महंगे हो गए थे। ऐसे में बढ़ती ब्याज दरों के चलते इस तरह के महंगे हो चुके स्टॉक्स को भारी मार सहनी पड़ी है।


बढ़ती ब्याज दरों ने नए युग के टेक्नोलॉजी वाले ग्रोथ स्टॉक्स को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है। जानकारों का कहना है कि ग्रोथ स्टॉक्स पर बढ़ती ब्याज दरों का उलटा असर होता है। अगर ब्याज दरें बढ़ती है तो ग्रोथ स्टॉक की कीमतें नीचे आती है। वहीं यदि ब्याज दरें घटती है तो इस तरह के स्टॉक के वैल्यूएशन में बढ़ोतरी होती है।

हालांकि बाजार जानकारों का कहना है कि जब ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दौर शुरु होता है तब स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है लेकिन समय बीतने के साथ धीरे-धीरे स्थिरता नजर आती है। बाजार में स्थिरता आने के साथ ही टेक्नोलॉजी से जुडे़ ग्रोथ स्टॉक एक बार फिर बेहतर प्रदर्शन करने लगते हैं। ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद 2013 से 2017 के अवधि में टेक्नोलॉजी से जुड़े शेयरों का व्यवहार कुछ ऐसा ही रहा था। इस अवधि में इनमें तेजी तेजी देखने को मिली थी।

क्या आपको अपने ग्लोबल इन्वेस्टमेंट में बने रहना चाहिए?

एनालिस्ट की सलाह है कि अगर आप इंटरनेशनल फंडों में अपने निवेश को लेकर चिंतित हैं तो हड़बड़ाहट में पेनिक बटन मत दबाइए। बल्कि यह देखिए की आपने इन फंडों में कितना निवेश कर रखा है। अगर आप विदेशी म्यूचुअल फंडों में ओवर इन्वेस्टेड हैं तो निवेश घटाने का मतलब बनता है। अगर आप बिकवाली करने का निर्णय लेते हैं तो सबसे पहले उन थीम फंडों से निकलें जिनको लेकर आपकी समझ कम है या जिनको लेकर आपका नजरिया मंदी का है। वहीं डायवर्सिफाइड इंडेक्स फंडों में बने रहने की सलाह होगी।

DSP Mutual Fund के साहिल कपूर का कहना है कि निवेशकों को Nasdaq और सेमी कंडक्टर जैसे स्ट्रक्चरल सेक्टर के डायवर्सिफाइड इंडेक्स में लंबी अवधि के नजरिए से रुक-रुक कर किश्तों में निवेश की रणनीति अपनानी चाहिए। ऐसे निवेशक जो अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइकरना चाहते है उनके लिए S&P 500 इंडेक्स इस समय काफी बेहतर नजर आ रहा है।

निवेशक इस समय विदेशी फंडों में निवेश का अच्छा मौका देख रहे हैं लेकिन म्यूचुअल फंडों पर विदेशों में लिस्टेड शेयरों पर निवेश के लिए लागू प्रतिबंध के कारण ये इसका लाभ नहीं उठा पा रहे है। ऐसे में उनके सामने एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ETF )की यूनिटो या फिर विदेशों में लिस्टेड ETF में खरीदारी करने वाले में फंड ऑफ फंड्स में ही निवेश का विकल्प बचता है।

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निवेशकों को सलाह है कि वे बढ़ती ब्याज दरों के अलावा जियो-पोलिटिकल तनाव को भी ध्यान में रखें। या भी ध्यान में रहे कि (वोलेटिलिटी)अस्थिरता रातों-रात गायब नहीं हो सकती है और ये आपके धैर्य की परीक्षा ले सकती है। इक्विटी में पैसा लगाना बेहतर विकल्प है। लकिन चाहे वह घरेलू हो या अंतरराष्ट्रीय बाजार कम से कम पांच साल का टाइम हॉरीजोन जरूर रखें तभी अच्छा रिटर्न मिलेगा।

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