शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए सोशल मीडिया अब बड़ी जानकारी का जरिया बन चुका है, लेकिन इसी के साथ गलत और भ्रामक सलाह का खतरा भी तेजी से बढ़ा है। इसे रोकने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए बाजार नियामक SEBI को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से फर्जी या भ्रामक शेयर मार्केट कंटेंट सीधे हटवाने की ताकत दे दी है। वित्त मंत्रालय की 8 दिसंबर की अधिसूचना के बाद SEBI को सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत अधिकृत प्राधिकरण बना दिया गया है।
क्या बदला, SEBI को क्या नई ताकत मिली?
अब SEBI किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर बाजार से जुड़ी गलत, भ्रामक या निवेशकों को गुमराह करने वाली पोस्ट, वीडियो, रील या मैसेज को तुरंत हटाने का निर्देश सीधे दे सकेगा। पहले ऐसे मामलों में कई स्तरों से होकर लंबी प्रक्रिया चलती थी, जिससे कार्रवाई में देरी होती थी। नई व्यवस्था में अगर किसी कंटेंट के जरिए स्टॉक की अवास्तविक तारीफ, झूठे रिटर्न के वादे या पंप‑एंड‑डंप जैसी चालबाजियां दिखीं, तो SEBI तुरंत कार्रवाई की सिफारिश कर सकेगा और प्लेटफॉर्म्स के लिए इसे मानना आसान नहीं, बल्कि अनिवार्य जैसा होगा।
फिनफ्लुएंसर्स पर सख्ती क्यों?
पिछले कुछ सालों में YouTube, Instagram, Telegram और X पर फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर्स की भरमार हो गई है। इनमें से कई न तो SEBI रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर हैं, न रिसर्च एनालिस्ट, फिर भी वे स्टॉक टिप्स, ‘क्लब मेंबरशिप’, पेड सिग्नल्स और गारंटीड रिटर्न के नाम पर लोगों को आकर्षित करते हैं। कई मामलों में छोटे शेयरों में कृत्रिम खरीदारी करा कर प्राइस चढ़ाया जाता है और बाद में आम निवेशक फंस जाते हैं। बाजार नियामक की रिपोर्ट्स और हाल की कार्रवाइयों से साफ है कि सोशल मीडिया आधारित ‘मिसइन्फॉर्मेशन’ अब सिस्टमिक रिस्क बनता जा रहा था।
निवेशक और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए क्या बदलेगा?
अब जो भी व्यक्ति या पेज शेयर बाजार पर सलाह देगा, उसे नियमों, डिस्क्लोजर और जिम्मेदारी का और ज्यादा ध्यान रखना पड़ेगा। बिना रजिस्ट्रेशन रिटर्न का वादा करना, पेड प्रमोशन छिपाना या रेगुलेशन का गलत मतलब बताना अब सीधे SEBI की रडार पर आएगा। कंटेंट हटने के साथ–साथ पेनल्टी, बैन या अन्य नियामकीय कार्रवाई भी संभव है। दूसरी ओर, रिटेल निवेशकों के लिए यह एक सुरक्षा दीवार की तरह काम करेगा – कम से कम खुलेआम झूठे दावों और ‘जल्दी अमीर बनो’ वाले कंटेंट पर कुछ लगाम लगेगी।
एक्सपर्ट लगातार सलाह दे रहे हैं कि सोशल मीडिया कॉल्स को सिर्फ रेफरेंस की तरह देखें, फाइनल फैसला अपनी रिसर्च, SEBI-पंजीकृत सलाहकार और आधिकारिक घोषणाओं पर आधार पर ही लें। कोई भी वीडियो, रील या पोस्ट अगर बिना रिस्क बताए सिर्फ मुनाफे की तस्वीर दिखाए, तो उसे लाल झंडी समझें। यह नया नियम निवेशकों की ढाल है, लेकिन असली सुरक्षा तभी होगी जब आप खुद भी सवाल पूछेंगे, डाइवर्सिफिकेशन अपनाएंगे और ‘फटाफट मुनाफे’ के लालच से दूर रहेंगे।