New Labour Codes: नए लेबर कोड का इनहैंड सैलरी पर क्या होगा असर, सरकार ने दिया जवाब
New Labour Codes: नए लेबर कोड के लागू होने के बाद टेक-होम सैलरी घटेगी या बढ़ेगी, इस पर सरकार ने बड़ा अपडेट दिया है। PF कटौती, वेज स्ट्रक्चर और ग्रेच्युटी में क्या बदल रहा है? कौन से कर्मचारी प्रभावित होंगे? यहां समझें पूरी तस्वीर।
सरकार ने साफ किया है कि PF कटौती अनिवार्य रूप से नहीं बढ़ेगी।
New Labour Codes: नए लेबर कोड लागू होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा था कि क्या कर्मचारियों की इनहैंड सैलरी कम हो जाएगी। सरकार ने अब इस सवाल का भी स्पष्ट जवाब दे दिया है। लेबर मिनिस्ट्री ने कहा कि जिन कर्मचारियों का PF 15,000 रुपये की वेज सीलिंग पर है, उनकी टेक-होम सैलरी में कोई कमी नहीं आएगी। जो कर्मचारी हर महीने 1,800 रुपये PF (15,000 का 12%) में देते हैं, आगे भी उतना ही देंगे। यानी सिर्फ नियम बदले हैं, लेकिन PF कटौती की अनिवार्य सीमा नहीं बदली।
PF की कटौती पहले जैसी ही
मिनिस्ट्री ने X (पहले ट्विटर) पर कहा कि नए लेबर कोड टेक-होम सैलरी को प्रभावित नहीं करते, अगर PF कटौती वेज सीलिंग यानी 15,000 रुपये पर आधारित है। इस सीमा से ज्यादा PF देना अनिवार्य नहीं, बल्कि स्वैच्छिक है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी या रिवाइज्ड वेज बढ़ भी जाए, तब भी अनिवार्य PF कटौती 15,000 रुपये की वेज तक ही सीमित रहेगी।
जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी या रिवाइज्ड वेज (जो कुल CTC का 50% मानी जाती है) पहले से ही 15,000 रुपये से ज्यादा है, उनके लिए भी कोई मजबूरी नहीं है कि वे अधिक PF दें। वे पहले की तरह ही 1,800 रुपये तक PF कटौती रख सकते हैं।
नई वेज परिभाषा का PF पर असर
मंत्रालय ने समझाने के लिए एक उदाहरण दिया है कि नए वेज स्ट्रक्चर का PF गणना पर असर कैसे पड़ेगा।
मान लीजिए किसी कर्मचारी की कुल मासिक सैलरी 60,000 रुपये है। इसमें बेसिक + DA 20,000 रुपये है और 40,000 रुपये अलाउंसेज यानी भत्ते हैं। नए लेबर कोड में कहा गया है कि अलाउंसेज कुल वेतन के 50% से ज्यादा नहीं हो सकते। इस उदाहरण में भत्ते दो-तिहाई हैं, इसलिए 10,000 रुपये अलाउंस को वेज में जोड़ना पड़ेगा। इससे PF कैलकुलेशन के लिए वेज 20,000 रुपये से 30,000 रुपये हो जाएगी।
लेकिन अहम बात यह है कि PF कैलकुलेशन फिर भी 15,000 रुपये की वेज सीलिंग पर ही होगी। यानी PF योगदान पहले जैसा ही रहेगा: कर्मचारी 1,800 रुपये और नियोक्ता 1,800 रुपये।
इस तरह, नया वेज स्ट्रक्चर लागू होने के बावजूद कर्मचारी की टेक-होम सैलरी में कोई बदलाव नहीं आता। मंत्रालय ने बताया कि PF को 15,000 रुपये से ऊपर की वेज पर देना पूरी तरह वैकल्पिक है, यह किसी भी तरह से अनिवार्य नहीं किया गया है।
फिर भी घट सकती है टेक-होम सैलरी
सरकार ने साफ किया है कि PF कटौती अनिवार्य रूप से नहीं बढ़ेगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि टेक-होम सैलरी पर अन्य कोई असर नहीं पड़ेगा।
नई वेज परिभाषा के तहत कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कुल CTC का कम से कम 50% हिस्सा बेसिक + DA + RA में शामिल हो। इससे कर्मचारियों का फिक्स्ड वेतन हिस्सा बढ़ जाएगा। इसका बेसिक सैलरी पर सीधा असर हो सकता है।
ग्रेच्युटी का योगदान बढ़ सकता है, क्योंकि ग्रेच्युटी बेसिक सैलरी पर आधारित होती है।
रोजगार के दौरान लीव एनकैशमेंट की कैलकुलेशन बदल सकती है।
PF, NPS और ग्रेच्युटी तीनों योगदान वेज बेस बढ़ने से बढ़ सकते हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि इनमें सबसे बड़ा असर ग्रेच्युटी में देखने को मिलेगा, क्योंकि फिक्स्ड वेज बढ़ने से उसकी गणना अपनेआप बढ़ जाएगी।
कंपनियों के लिए क्या बदलता है?
एक्सपर्ट का कहना है कि नए लेबर कोड सैलरी स्ट्रक्चर को मानकीकृत करने की दिशा में बड़ा बदलाव हैं। नए नियम कहते हैं कि कम से कम 50% CTC को 'वेजेज' माना जाए, जिसमें बेसिक सैलरी, DA और रिटेनिंग अलाउंस शामिल हैं।
इस बदलाव से कंपनियों को कई कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर फिर से डिजाइन करनी पड़ेगी। खासकर उन लोगों के लिए जिनके वेतन में अलाउंसेज या फ्लेक्सी पे का हिस्सा ज्यादा है। फिक्स्ड वेज हिस्सा बढ़ने से PF, NPS और ग्रेच्युटी जैसी सोशल सिक्योरिटी योगदान अपने आप बढ़ जाते हैं। सरकार का मकसद है कि कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा मजबूत हो, भले ही सैलरी स्ट्रक्चर पहले जैसा लचीला न रहे।