Silver Hallmarking Updates: देश में जल्द चांदी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य हो सकती है। देश में चांदी की क्वालिटी को लेकर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं। ज्यादातर ग्राहक चांदी की पायल, कमरंबद, तगड़ी, गुच्छा, कमरबंद और बिछुवे आदि शादी में बनवाते हैं। लेकिन कई बार ग्राहक चांदी की क्ववालिटी को लेकर शिकायत करते हैं। उन्हें ये पता ही नहीं चल पाता कि वह असली है या नकली? चांदी का शुद्धता को लेकर भारत में फिलहाल कोई स्टैंडर्ड या मानदंड नहीं है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले और खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से चांदी और उसके गहनों पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने की संभावना पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ग्राहकों की ओर से चांदी पर हॉलमार्किंग की मांग बढ़ रही है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले और खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह बात BIS के 78वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान कही। उन्होंने कहा कि चांदी पर हॉलमार्किंग के लिए उपभोक्ताओं की मांग है। BIS इस पर विचार कर निर्णय ले सकता है।
फिलहाल केवल सोने के लिए अनिवार्य है हॉलमार्किंग
अभी सरकार सिर्फ सोने के गहनों और कलाकृतियों पर हॉलमार्किंग अनिवार्य करती है। इसका मकसद ग्राहकों के हितों की सुरक्षा और मेटल की शुद्धता की गारंटी देना है। सोने के लिए मौजूदा हॉलमार्किंग सिस्टम में छह अंकों का अल्फा-न्यूमेरिक कोड (HUID) शामिल होता है, जो उसकी शुद्धता को प्रमाणित करता है।
चांदी पर हॉलमार्किंग: एक महत्वपूर्ण कदम
चांदी और उसके गहनों पर हॉलमार्किंग लागू करने से भारत में कीमती मेटल की क्वालिटी पर ग्राहकों को भरोसा होगा। साथ ही चांदी खरीदने वालों की इसकी क्वालिटी पर भी भरोसा होगा।
हॉलमार्किंग कीमती मेटल जैसे सोना और चांदी की शुद्धता और गुणवत्ता को प्रमाणित यानी वैरिफाई करने का तरीका है। यह तय करता है कि मेटल नियामक प्राधिकरण निर्धारित मानकों को पूरा करती है। हॉलमार्क में आमतौर पर ये साइन होते है जो मेटल की क्वालिटी को वैरिफाई करता है।
शुद्धता/फिननेस ग्रेड – मेटल की शुद्धता (जैसे 22K या 916)।
अस्सेइंग और हॉलमार्किंग सेंटर का साइन – जहां शुद्धता का टेस्ट किया गया है।
ज्वैलर की पहचान का निशान या कोड – निर्माता या ज्वैलर की पहचान।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) भारत का राष्ट्रीय मानक संगठन है, जो उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत काम करता है। BIS का मकसद प्रोडक्ट, प्रोसेस और सिस्टम के लिए मानक तैयार करना और उन्हें लागू करना है, जिससे क्वालिटी, सेफ्टी और भरोसे को तय किया जा सके।