इनवेस्टर्स की नजरें स्टॉक्स और गोल्ड की कीमतों पर टिकी हैं। लेकिन, असली मौका चांदी में दिख रहा है। चांदी के बढ़ते इंडस्ट्रियल इस्तेमाल का असर इसकी कीमतें पर पड़ रहा है। चांदी की कीमतों में तेजी आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। कमोडिटी एक्सचेंज में सिल्वर फ्यूचर्स 115,136 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है। इंडिया में सिल्वर फ्यूचर्स में मार्च 2015 से ट्रेडिंग हो रही है। तब से पहली बार चांदी इस लेवल पर पहुंची है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतें 14 साल की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। चांदी में तेजी जारी रहने की 5 बड़ी वजहें हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से अनिश्चितता बढ़ी है। इससे इनवेस्टर्स Gold में ज्यादा इनवेस्ट कर रहे हैं। इसका असर चांदी पर भी दिख रहा है। इसके अलावा अमेरिका के कॉपर पर 50 फीसदी ड्यूटी लगा देने के बाद चांदी की कीमतों में तेजी देखने को मिली। चांदी कॉपर माइनिंग का एक बायोप्रोडक्ट है। मैकिस्को पर अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ से भी चांदी की कीमतों को सपोर्ट मिला है। इसकी वजह यह है कि मैक्सिको दुनिया में चांदी का सबसे बड़ा उत्पादक है।
चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड बढ़ रही है। खासकर ग्रीन एनर्जी सेक्टर में इसका काफी इस्तेमाल हो रहा है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और सोलर पैनल्स इसके उदाहरण हैं। इसके अलावा चांदी का इस्तेमाल पहले से स्मार्टफोन और कंप्यूटर्स में भी होता आया है। 2040 तक ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में चांदी का इस्तेमाल तिगुना हो जाने का अनुमान है। अब मेडिकल डिवाइसेज में भी चांदी का इस्तेमाल होने लगा है।
इंडिया सहित दुनिया के कई देशों में सिल्वर ईटीएफ में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। अभी सिल्वर की कुल डिमांड में इनवेस्टमेंट डिमांड की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है। इसके मुकाबले गोल्ड की कुल डिमांड में इनवेस्टमेंट डिमांड की हिस्सेदारी 24 फीसदी है। इस साल सिल्वर ईटीएफ में रिकॉर्ड इनवेस्टमेंट देखने को मिला है। CME Group सिल्वर फ्यूचर्स में बढ़ता ओपन इंटरेस्ट चांदी में बुलिश सेंटिमेंट का संकेत है।
सिल्वर की सप्लाई और डिमांड के बीच फर्क जारी रहने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक, 2025 तक सिल्वर की सप्लाई में करीब 2 फीसदी का इजाफा होगा। इसके बावजूद डिमांड और सप्लाई के बीच फर्क बना रहेगा। यह फर्क 19 फीसदी तक पहुंच जाने की उम्मीद है। यूरोप और अमेरिका में भी चांदी की डिमांड बढ़ रही है।
बुलियन में निवेश करने वाले लोग गोल्ड-सिल्वर रेशियो पर नजर रखते हैं। यह रेशिया बताता है कि करेंट मार्केट प्राइस पर एक औंस गोल्ड की वैल्यू की बराबरी के लिए कितने औंस चांदी की जरूरत पड़ेगी। अभी गोल्ड और सिल्वर रेशियो करीब 88 है। इससे यह पता चलता है कि प्राइस मूवमेंट के आधार पर कोविड के बाद से सिल्वर की वैल्यू कम बनी हुई है। हालांकि, कोविड के बाद के अपने लो लेवल से चांदी की कीमतें 3.5 गुनी हैं, जबकि सोने की कीमतें 2.5 गुनी हुई हैं।